5,364 मीटर (17,598 फीट) की ऊंचाई पर दक्षिण की ओर नेपाल में एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक हैं।जिसे हिमालय में सबसे लोकप्रिय ट्रेकिंग मार्गों में से एक माना जाता हैं। जहां प्रति वर्ष लगभग 40,000 लोग ट्रेक करने आते हैं। जहां हाल ही में एक वाकया सामने आया हैं जहां बिना सप्लीमैंट ऑक्सीजन के विश्व की 10वीं सबसे ऊंची चोटी नेपाल की माऊंट अन्नपूर्णा फतह करने के बाद लापता हुई हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले की पवर्तारोही 28 वर्षीय बलजीत कौर।फिलहाल खुशखबरी ये भी हैं कि रैस्क्यू टीम उन्हें जीवित खोज निकालने में कामयाब हो गई हैं और उन्हें काठमांडू के अस्पताल में भर्ती करा दिया गया हैं।
कौन हैं बलीजत कौर?
हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन के ममलीग गांव में बलजीत कौर का जन्म हुआ था। बचपन से ही वो पर्वतारोही बनना चाहती थी।बलीजत कौर ने पर्वतारोही के रूप में 19 साल की छोटी-सी उम्र में अपने करियर की शुरूआत की थी। करियर के शुरूआती दौर में उन्होंने मनाली के देओ टिब्बा को फतह किया था।फिर उन्होंने माऊंट पमोरी को फतह किया।माऊंट पमोरी पर फतेह करने वाली यह भारत की पहली महिला हैं।वह भारत की पहली पवर्तारोही हैं जो महज 30 दिनों के अंतराल में 8 हजार मीटर की ऊंचाई वाली चार चोटियों माऊंट अन्नपूर्णा,कंचनजंगा,माऊंट एवरैस्ट और माऊंट ल्होत्से को फतह कर इतिहास बनाया।
माऊंट अन्नपूर्णा फतह करने के बाद हुईं थीं लापता
बलजीत कौर सोमवार शाम करीब सवा 5 बजे 2 शेरपा गाइडों के साथ समुद्र तल से 8091 मीटर ऊंचे माऊंट अन्नपूर्णा पर्वत पर दुबारा चढ़ने में कामयाब हो गईं थीं।आपको बता दूं कि पिछले साल 28 अप्रैल को बलजीत कौर ने माऊंट अन्नपूर्णा एक बार झंड़ा फतेह कर चुकीं हैं।बताया जा रहा है कि माऊंट अन्नापूर्ण फतह करने के बाद जब यह दल वापस लौट रहा था तो 7375 मीटर (24193 फुट) की ऊंचाई पर स्थित माऊंट अन्नपूर्णा कैंप-4 के पास उनका रेडियो संपर्क टूट गया था। जिसके फलस्वरूप उनका लापता होना घोषित हुआ और उनका रैस्क्यू ऑप्रेशन शुरू किया गया।उनका पता लगाने में 3 हैलीकॉप्टरों को लगाया गया था।यह रैस्क्यू ऑपरेशन मंगलवार को सुबह शुरू हुआ था और दोपहर तक रैस्क्यू टीम उन्हें जीवित खोजने में कामयाब हों गई। तत्पश्चात उनको काठमांडू के अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पर उनका उपचार चला हुआ है।
रेडिया सिग्नल भेजने के बाद शुरू किया गया रैस्क्यू ऑपरेशन
भारतीय महिला पर्वतारोही बलजीत कौर मंगलवार सुबह तक रेडियो संपर्क से बाहर थीं।पायनियर एडवैंचर पासंग शेरपा ने बताया कि हवाई खोज दल ने बलजीत कौर को कैंप-4 की ओर अकेले उतरते देखा था। मंगलवार सुबह जब उन्होंने रेडियो से सिग्नल भेजा की उन्हें तत्काल मदद चहिए फिर उनका रैस्क्यू ऑपरेशन शुरु हुआ।उनके जीवित मिलने की खबर के बाद भारत के लोगों ने राहत की सांस ली है।
पढ़ने के लिए धन्यवाद। यदि आपको यह लेख अच्छा लगे तो अपने सुंदर विचार और रचनात्मक प्रतिक्रिया को साझा करें।