गाइड टूर : स्पीति वैली घाटी नहीं जन्नत है, जाने सब कुछ।

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Photo of गाइड टूर : स्पीति वैली घाटी नहीं जन्नत है, जाने सब कुछ। by Ankit Kumar

हिमाचल प्रदेश घुमक्कडों का पसन्दीदा ठिकाना है। अगर आप ख़ुद को घुमक्कड़ कहते हैं और हिमाचल प्रदेश नहीं गए तो आप घुमक्कड़ नहीं! हिमाचल प्रदेश की स्पीति वैली (Spiti Valley) का सफ़र अपने 1 हफ्ते में कैसे कर सकते हैं जानिए।

स्पीति वैली की शुरुआत

सफ़र की शुरुआत चण्डीगढ़ से नारकण्डा के ख़ूबसूरत 280 किलोमीटर के रास्ते से होती है। नारकण्डा जाते वक्त आप शिमला के रास्तों से गुज़रेंगे। यहाँ यह बताने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं कि शिमला के रास्ते कितने ज़्यादा ख़ूबसूरत और हसीन वादियों से सुसज्जित है। नारकण्डा पहुँच वहाँ पर रात में कैम्पिंग कर सकते हैं।

सांगला का सफ़र (दिन 1)

पहले दिन सुबह सूरज के ऊगते दृश्य को देखने के बाद आप सांगला के लिए निकलें। नारकण्डा से सांगला का सफ़र खुदसूरत बर्फीले पहाड़ों वाले रास्ते से होते हुए, अनोखे झरने और वादियों से गुज़रता है। सांगला अपने यहाँ मनाए जाने वाले त्यौहार- ‘होली’ के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यहाँ होली मनाने देश-विदेश से लोग आते हैं। यहाँ होली का त्यौहार 3 दिन तक बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। यहाँ पर आए हर व्यक्ति को चिलता (रोटी) और फ़सार (मदिरा) खिलाया-पिलाया जाता है। यहाँ पर आप अपनी ज़िन्दगी की बेस्ट होली मनाने वाले हैं।

कल्पा जाना न भूले (दिन 2)

सांगला घूमने के बाद अब दूसरे दिन का सफ़र जारी रखेंगे जिसकी शुरुआत हम करने वाले हैं चितकुल होते हुए कल्पा के लिए। सांगला से चितकुल का सुकून भरा रास्ता केवल 24 किलोमीटर का है। जिसको नहीं पता उसके लिए बता दूँ चितकुल भारत का आख़री गाँव है। चितकुल जाते हुए आपको भारत का आख़री ढाबा भी मिलेगा, उस ढाबे के बाद भारत में कोई और ढाबा है ही नहीं। चितकुल इतना ज़्यादा ख़ूबसूरत शहर है कि आप जाओगे तो वहाँ से वापस लौटने का मन ही नहीं करेगा। पर क्या कर सकते हैं, आगे का सफ़र भी तो करना है!

अब चितकुल तो हो लिया इसके बाद 3 घण्टे ख़ूबसूरत बर्फिले पहाड़ों वाले रास्ते से होते हुए कल्पा के लिए जाना है। जब इन रास्तों पर चल रहे होंगे तब आपको बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगेगा कि आप भारत में हैं। रास्ते मे बहुत सी ख़ूबसूरत नदियाँ मिलेंगी, जिनके पानी का शोर आपको आन्तरिक शान्ति का बोध कराएगा। कल्पा पहुँचते ही सबसे पहले आप ‘सुसाइड पॉइंट’ जा सकते हैं जो यहाँ का सबसे ज़्यादा व्यस्त इलाका है। यहाँ से कैलाश पर्वत भी आप देख पाएँगे। और अन्त में रात होते होते आप कल्पा मोनेस्ट्री जाएँ जो यहाँ की संस्कृति से आपको रूबरू करवाएगी।

नाको से ताबो चकय और चलें (दिन 3)

तीसरे दिन का सफ़र कल्पा में रात बिताने के बाद सुबह-सुबह कल्पा से 150 किलोमीटर ‘नाको’ गाँव होते हुए ‘ताबो’ जाना है। इस रास्ते में बहुत से ख़ूबसूरत ब्रिज पड़ेंगे जहाँ फ़ोटोग्राफ़ी पसन्द करने वाले बहुत सी ख़ूबसूरत तस्वीरें ले सकते हैं। जैसे-जैसे रास्ते में आगे बढ़ते जाएँगे वैसे-वैसे हरे-भरे पहाड़ गायब से होते जाएँगे और बंज़र पहाड़ दिखने लगेंगे। इस सफ़र में एक ऐसी अद्धभुत जगह आएगी जहाँ नेपाल से आ रही नदी भारत की नदी से मिल जाएगी, ये मिलन कितना ख़ूबसूरत है आप यह देख कर ही पता लगा जाएँगे।

100 किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद आप जैसे ही नाको पहुँचेंगे तब आप वहाँ पर पहाड़ो के ऊपर से पूरे नाको गाँव का सुन्दर नज़ारा देख सकते हैं। नाको में कुछ समय बिताने के बाद आप ताबो के लिए निकल सकते हैं। नाको से 40 किलोमीटर दूर ताबो से थोड़ा पहले ‘गुरु घण्टाल मठ’ (माॅनेस्ट्री) पड़ेगी जहाँ लोग दूर-दूर से 500 साल पुरानी एक मम्मी को देखने आते हैं। माना जाता है कि यह मम्मी यहाँ के लोगों को भूकम्प के दौरान ज़मीन से बाहर आ जाने से मिली थी। यहाँ से आप ताबो पहुँच कर रात वहीं गुज़ार सकते हैं और साथ ही में ताबो गाँव में रात का आनन्द ले सकते हैं।

दिन 4

चौथे दिन की सुबह सबसे पहला काम 1000 साल पुरानी 10,000 फ़ीट पर मौजूद बुद्ध का सबसे पुराना मठ घूमना है। जो रात होने के कारण तीसरे दिन नहीं घूम सके थे। यहाँ पर सम्भाल कर रखे गए चित्र, मूर्तियाॅं और यहाँ की नक्काशी के कारण इसे 'अजन्ता ऑफ़ हिमालय' भी कहलाता है। जितना ज़्यादा यह ख़ूबसूरत है उतना शायद ही कोई और मठ हो। ताबो घूमने के बाद आप क़ाज़ा के लिए निकले। इस सफ़र का हर मोड़ आपको एक नया नज़ारा दिखाएगा, जिसको आप ज़िन्दगी में कभी नहीं भूलोगे।

रास्ते में थोड़ा आगे जाते ही ‘धनकर मठ’ पड़ेगा जहाँ पर दो मठ है एक पुराना और दूसरा नया। इस मठ को स्पीति वैली का सबसे पुराना मठ भी माना जाता है। यहाँ पर ऊपर के तरफ़ धनकर झील है जो साल के ज़्यादा समय तो बर्फ जमी ही रहती है। ये सब देखने के बाद क़ाज़ा के लिए निकले। क़ाज़ा जाते वक्त रास्ते में आप बर्फ से जमे पानी के झरने और पिट वैली देख सकते हैं। ऐसी जगह आपको पूरे भारत में और कहीं नहीं मिल सकती है।

क़ज़ा की खूबसूरती (दिन 5 )

क़ाज़ा में रात बिताने के बाद सुबह होते ही क़ाज़ा की असली सैर के लिए निकले। ये हमारे सफ़र का अन्तिम दिन है तो इसको यादगार बनाना तो बनता है। क़ाज़ा और यहाँ के आसपास सब कुछ विश्व की सबसे श्रेष्ठ चीज़े हैं। सबसे पहले हम की मठ (Key Monastry) जा सकते हैं जहाॅं ऊपर से इसका ख़ूबसूरत नज़ारा देख सकते हैं। उसके बाद चिचम ब्रिज को 13,500 फ़ीट की ऊँचाई पर 120 मीटर लम्बा ब्रिज है, जो एशिया में सबसे ऊँचाई पर है। ये चिचम ब्रिज आपको किब्बर गाँव तक जाएगा जो वाइल्डलाइफ़ लवर्स के लिए स्पेशल जगह है।

स्पीति वैली की समाप्ति (दिन 6)

इसके बाद आप कॉमिक गाँव जा सकते हैं जो इण्डिया का आख़री गाँव है, जो आख़री होने के साथ ही बहुत प्यारा भी है। फ़िर आप हिक्किम गाँव जाएँ, जहाँ पर आप विश्व में सबसे ऊँचाई पर स्थित पोस्ट ऑफ़िस से अपने मित्र और परिवार को चिट्ठी भेज सकते हैं। और अन्त मे लंगज़ा जाएँ जो अन्त में बेशक है पर सबसे ख़ूबसूरत भी है। यहाँ की ख़ूबसूरती में आप खो जाएँगे और वापस जाने के लिए दिल नहीं मानेगा पर जाना तो पड़ेगा। इसके साथ ही हमारी ‘स्पीति वैली’ का सफ़र समाप्त होता है जो कि यादगार अनुभव रहेगा।

कौन से ट्रेवल्स के साथ जाएँ?

एडवेंचर ट्रेवल एंड टूर

अगर आप अकेले जाना चाह रहे हैं तक आप 'जोगा मोटर्स' से बाइक रेंट कर सकते हैं। ये लोग एक दिन के 1000 रुपए लेते हैं। आप लोग दिल्ली में स्थित इनकी शॉप पर जा कर या फिर इनके वेबसाइट पर जा कर अपने लिए बाइक बुक कर सकते हैं।

शुल्क: 1000 रुपये प्रति दिन

पता: करोल बाघ, नई दिल्ली

टूर द स्पीति

अगर आप लोग ग्रुप में जाने एक बजट प्लान बनाने का सोच रहे तो अभु 'टूर द स्पीति' को कॉल लगाएँ। ये लोग आप को दिल्ली से ले कर पूरे स्पीति वैली घुमा कर वापस दिल्ली छोड़ देंगे। इनका ये टूर पूरे 10 दिन चलेगा। अगर आप ट्रेवल करना पसन्द करते हैं तो आप के लिए सबसे बेहतर ऑप्शन यही है।

शुल्क: 6 से 7 लोगो के 39,000 रुपए पूरे ट्रिप का

पता: ऑनलाइन वेबसाइट

मुफ्त में यात्रा करने के लिए तैयार हैं? क्रेडिट कमाएँ और उन्हें ट्रिपोटो वीकेंड गेटवे, होटल स्टे, माइंडफुल रिट्रीट और वेकेशन पैकेज पर रिडीम करें।

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