बर्फ़बारी के बाद बर्फिस्तान जैसी वादियों में घूमने और अनेक तरह के विंटर स्पोर्ट्स का आनंद लेने के लिए हिमाचल प्रदेश का मनाली सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशनों में गिना जाता है। वैसे मनाली जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल पर मौसम का इतना अधिक असर नहीं पड़ता और यहाँ लगभग हर महीने देश-विदेश से आये पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। फिर सीजन के समय तो मनाली के प्रसिद्द पर्यटन स्थलों का हाउसफुल होना भी आम बात है। लेकिन ये कहानी मनाली के सिर्फ प्रसिद्द पर्यटन स्थलों की है और अगर आप मनाली की छिपी खूबसूरती को बड़ी शांति से देखना चाहते हैं साथ ही प्रकृति के बेहद करीब सुकून से एक अनूठा अनुभव लेना चाहते हैं तो मनाली की वादियों में ऐसे अनेकों छिपे हुए प्राकृतिक नगीने हैं जहाँ आप ऐसा अनुभव कर सकते हैं। आज हम आपको मनाली के एक ऐसे ही खूबसूरत रत्न के बारे में बताने वाले हैं जिसकी यात्रा वास्तव में आपको अपनी सपनों की दुनिया के एकदम करीब ले जाएगी। तो चलिए बताते हैं आपको इस सुन्दर पहाड़ी गाँव की पूरी जानकारी...
सोयल, मनाली
मनाली में कुछ दिन बिताने और अनेकों प्रसिद्द पर्यटन स्थलों के साथ कुछ छिपी हुई जगहें देखने के साथ ही हमारी खोज जारी थी यहाँ की कुछ और प्राकृतिक खूबसूरती से भरी और भीड़ से दूर बसी सुन्दर जगहों के लिए और ऐसे ही हमें पता लगा मनाली शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर वादियों के बीच बसे एक पुराने पहाड़ी गाँव के बारे में जिसकी खूबसूरती के किस्से सुनकर हमने जल्द से जल्द यहाँ जाने का प्लान बना लिया।
मनाली से नग्गर रोड पर चलते हुए करीब 16 किलोमीटर बाद हरिपुर से पहले पेट्रोल पंप के बगल से एक छोटी पक्की रोड सोयल गाँव की ओर जाती है। हालाँकि रोड काफी संकरी है लेकिन ट्रैफिक भी उतना ही कम रहता है इसीलिए आसानी से करीब 5-10 मिनट में वहां से करीब 2 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद हम पहुँच गए सोयल गाँव। यहाँ पहुँचने पर हमें 2 दुकानें दिखी और पास में लगी कुछ गाड़ियां और साथ ही एक छोटा सा रास्ता जो कि ऊपर की तरफ जा रहा था। वहीं दुकान के पास कार पार्क करके उनसे कुछ पूछताछ करके हमने ट्रेक शुरू किया।
ट्रेक का बेहतरीन सफर
कार पार्क करके थोड़ी सी चढ़ाई चढ़ने के बाद बायीं ओर एक रास्ता नीचे की ओर जाता है। रास्ता काफी छोटा था जो सिर्फ पैदल चलने के लिए ही ठीक था रास्ता पर कुछ दूर चलने पर कुछ स्थानीय लोगों के साथ मुस्कान के आदान-प्रदान के साथ पारम्परिक हिमाचली जीवनशैली की झलक देखते हुए हम ट्रेक पर आगे बढ़ते गए। कुछ देर बाद ही ट्रेक के एक ओर ऊँचे-ऊँचे पर्वतों को बेहद करीब से देखना और दूसरी ओर दूर बर्फ से ढकी हिमालय की कुछ चोटियों के नज़ारे वास्तव में एक शानदार नज़ारा पेश कर रहे थे।
करीब आधे घंटे के प्राकृतिक खूबसूरती से भरे रास्ते पर चलने के बाद हम किसी गाँव के पास पहुंचे जहाँ चारों ओर ऊँचे-ऊँचे देवदार के पेड़ों की छाया के नीचे बहती एक सुन्दर जलधारा इस सफर को कहीं अधिक खूबसूरत बना रही थी। यहाँ इतनी शांति थी मानो कानो में पड़ने वाली एकमात्र जलधारा की आवाज़ हमारे कानो में प्रवेश करके हमारे अंदर बैठी हर एक नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालने का काम कर रही थी।
कैंपिंग लोकेशन
यहाँ से आगे चलते हुए जलधारा को छोटे पुलों की सहायता से पार करते हुए, पहाड़ों पर बने घास के मैदानों से गुजरते हुए हम घनी घाटियों के बीच पहुँच गए। यहाँ से एक रास्ता एक खूबसूरत मंजिल की ओर जाता है। उसी पर कुछ दूर चलकर हमें यहाँ कुछ कैंप साइट दिखी और उन कैंप साइट्स से आगे जाकर दिखी एक शानदार लोकेशन जहाँ चारों ओर घने देवदार के पेड़ों के बीच नीचे तेज़ जलधारा बह रही थी और जलधारा पर बने एक पुल पर बिताया हर पल हमें प्रकृति की गोद में बैठे होने का एहसास करवा रहा था। यह जगह सच में हमारे किसी सपने में देखी किसी जगह जैसी लग रही थी और प्रकृति के बीच बिना किसी भीड़ के सिर्फ देवदार के पेड़ों और इस सुन्दर बहती जलधारा के किनारे किसी पत्थर पर बैठकर समय बिताना वास्तव में हमारे जीवन के सबसे बेहतरीन पलों में शामिल हो गया।
आस-पास की अन्य देखने लायक जगहें
कैंपिंग साइट के पास इस शानदार प्राकृतिक नज़ारों वाली जगह इस खूबसूरत पुल पर कुछ समय बिताने के बाद आप यहाँ से आगे भी ट्रेक कर सकते हैं। यहाँ से आगे करीब 1/2 घंटे की दूरी के बाद पेड़ के तने से एक दूसरे प्राकृतिक पुल तक पहुँच सकते हैं जो कि घने जंगल के बीच मौजूद है और यहाँ आपको पहले जैसी कोई कैंपिंग साइट भी नहीं दिखने वाली। यहाँ बिताया हर पल हमारे लिए किसी नए एडवेंचर से कम नहीं था, लग रहा था पता नहीं कब अचानक से कोई जंगली जानवर पानी को ढूंढ़ता यहाँ आ जाये ! इसी वजह से ज्यादा देर यहाँ रुकना हमें ठीक नहीं लगा और हम वापस गाँव की तरफ जाने का सोचने लगे।
इसके अलावा भी यहाँ से करीब 15 मिनट की दूरी पर एक झरना भी है जिसका रास्ता भी घने जंगल से होकर जाता है। यहाँ कुछ जगह आपको क्रिस्टल वॉटरफॉल के नाम से दिशा दिखाते चिन्ह भी मिल जायेंगे। हालाँकि आगे जंगली जानवर होने की संभावना थोड़ी अधिक थी और हमारे अलावा उस समय कोई इस ट्रेक पर नहीं दिखाई दे रहा था। आस-पास सिर्फ एक सुनसान घर के अलावा कोई इंसानी बसावट न दिखना भी हमारे इस एडवेंचर और प्राकृतिक खूबसूरती से भरे सफर में डरावनी कहानी का मसाला मिश्रित कर रहा था। इसीलिए परिस्थिति के अनुसार हमने वापस गाँव की तरफ जाने का ही निश्चय किया।
ट्रेक से जुड़ी सावधानियां
जैसा कि हमने आपको बताया कि यह ट्रेक वास्तव में आपको अपनी सपनों की दुनिया के करीब ले जायेगा और इस ट्रेक में आपको कोई खास परेशानी नहीं होने वाली। बस आपको बता दें कि ट्रेक में आधे से ज्यादा सफर में हालाँकि आप गाँवों से होकर गुजरेंगे लेकिन नाश्ते वगैरह की दुकानें आपको पूरे ट्रेक में मुश्किल ही मिलेंगी। हालाँकि बीच में कुछ गाँव के लोगों ने राजमा-चावल, पराठे इत्यादि के नाश्ते की व्यवस्था की होती है लेकिन इसके अलावा आपको पूरे ट्रेक में कोई छोटी दुकान भी नहीं मिलने वाली तो आप इसका ध्यान रखते हुए ही इस ट्रेक पर जाने की प्लानिंग करें।
इस तरह से मनाली में भीड़ से दूर प्रकृति की गोद में बैठने का अनुभव अगर आप लेना चाहते हैं तो सोयल गाँव की इस खूबसूरत यात्रा पर जरूर जाएँ। इससे जुड़ी जितनी भी जानकारी हमारे पास थी हमने आपसे इस लेख के माध्यम से साझा करने की कोशिश की है। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इस आर्टिकल को लाइक जरूर करें और साथ ही ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं
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