हम सभी ने सुना है कि हमारा देश भारत एक समय में सोने की चिड़िया हुआ करता था और लम्बे समय तक इसे कई विदेशी आक्रमणकारियों ने जमकर लुटा था। सैंकड़ो वर्षों तक चलने वाली इस लूट के बावजूद हमारा देश आज भी दुनिया की महाशक्तियों के सामने एक समृद्ध देश के तौर खड़ा हुआ है और आजादी के बाद से ही निरंतर तरक्की कर रहा है। लेकिन क्या आपको पता है कि आज भी ऐसे यहाँ कुछ ऐसे स्थान है जहाँ अंग्रेज़ अपने बेहद कड़े प्रयासों के बाद भी हमारा खजाना लूट नहीं पाए। आज हम आपको बिहार में स्थित एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने वाले हैं जहाँ छुपे खजाने का रहस्य अंग्रेज़ तो क्या बल्कि आज तक बड़े से बड़े विद्वान भी सुलझा नहीं पाए। बताया जाता है कि इस जगह पर एक विशाल चट्टान के पीछे इतना सोना छिपा है जो अगर मिल जाये तो बिहार ही क्या बल्कि पुरे देश का भाग्य बदल सकता है। साथ ही यहाँ गुफा में ही शंख लिपि में एक मंत्र भी लिखा है जिसके लिया कहा जाता है कि इसी में उस गुफा के चट्टान से बने द्वार को खोलने का रहस्य भी छिपा है। अभी तक आप इस जगह के बारे में विस्तार से जानने के लिए उत्सुक तो हो ही गए होंगे तो चलिए बताते हैं आपको इसके बारे में पूरी जानकारी...
सोनभंडार, राजगीर
जैसा कि हमने बताया कि बिहार के राजगीर में एक ऐसी गुफा है जहाँ हज़ारों टन सोना छिपा होने की संभावना व्यक्त की जाती है। आपको बता दें कि इस स्थान को सोनभंडार (स्वर्णभंडार) के नाम से जाना जाता है और यह गुफा बिहार में पर्यटन की दृष्टि से एक बेहद महत्वपूर्ण शहर राजगीर में वैभवगिरी पहाड़ी की तलहटी में स्थित है। ऐसा बताया जाता है कि यहाँ इस पहाड़ी की तलहटी में चट्टान को काटकर हज़ारों साल पहले यह गुफा बनवायी गयी थी जिसमें पहले एक कमरे में खजाने की सुरक्षा में लगे सिपाहियों के रुकने की व्यवस्था थी वहीं इस कमरे के दूसरी ओर खजाना छिपा है जिसे चट्टान से बंद कर दिया गया है जिसमें हम आज भी चट्टान से बने एक दरवाजे जैसी आकृति साफ़ देख सकते हैं। इस गुफा में छिपे खजाने के रहस्य के साथ ही पहले कमरे की दीवारों पर बनी रहस्यमयी आकृतियां, दीवारों की बनावट और साथ ही अंग्रेजों की तोप के गोलों के निशान दूर-दूर से पर्यटकों को यहाँ आने के लिए आकर्षित करते हैं।
आखिर कब से छिपा है यहाँ खजाना ?
अब तक खजाने के बारे में ये जानकारी पढ़कर आपका मन ये जानने का जरूर हो रहा होगा कि आखिर ये बेशुमार खजाना है किसका और कितने समय से इस गुफा में छिपा हुआ है। आपको बता दें कि अधिकतर इतिहासकार बिहार के राजगीर में सोनभंडार गुफाओं में मौजूद इस खजाने को हर्यक वंश के राजा बिम्बिसार का मानते हैं।
ऐसा बताया जाता है कि बिम्बिसार को सोने-चांदी का बहुत शौक था और इसीलिए उसने इतने सोने और चांदी के आभूषणों को इकठ्ठा किया था साथ ही इसे छिपाने के लिए उन्होंने वैभवगिरी पर्वत की तलहटी में गुफाएं भी बनवायी थीं। बिम्बिसार की कई रानियों में से एक रानी उसकी पसंद का बेहद ख्याल रखा करती थी। एक समय ऐसा आया जब खुद बिम्बिसार के बेटे अजातशत्रु ने अपने पिता को ही बंदी बना लिया था और खुद मगध का सम्राट बन गया। उस समय बिम्बिसार की पत्नी ने सारा खजाना इस गुफा में छिपा दिया था और बाद में बिम्बिसार की मृत्यु के बाद भी अजातशत्रु को इस गुप्त दरवाजे को खोलने का राज़ नहीं समझ आया और वह कभी इस खजाने तक भी नहीं पहुँच पाया।
हालाँकि इस खजाने से जुड़ी एक और कहानी महाभारत काल की भी बताई जाती है। वायु पुराण के अनुसार हर्यक वंश से भी करीब 2500 वर्ष पहले मगध सम्राट वृहदरथ के बाद उसके बेटे जरासंघ ने शासन की कमान संभाली और कई सम्राटों को हराकर उनका खजाना भी कब्जे में ले लिया और फिर वो सारा खजाना जरासंघ ने वैभवगिरी पर्वत की तलहटी में इस गुफा में छिपा दिया था।
क्या है खजाने के द्वार को खोलने का रहस्य
अब अगर इस खजाने के बारे में सदियों से लोग सुनते आ रहे हैं तो ऐसा तो हो नहीं सकता कि किसी ने इस खजाने को पाने की कोशिश नहीं की होगी। जानकारों का कहना है कि अंग्रेज़ों ने भी जब इस खजाने के बारे में सुना तो उन्होंने भी इसे पाने के लिए इस गुफा को तोप के गोलों से उड़ाने की भी कोशिश की थी। हालाँकि वो अपनी इस कोशिश में कामयाब नहीं हुए लेकिन आज भी इस गुफा के चट्टानी द्वार पर तोप के गोलों के निशान देखे जा सकते हैं। इसके बाद भी कई वैज्ञानिकों और अन्य विशेषज्ञों ने भी इस द्वार को खोलने के कई प्रयास किये लेकिन आज तक कोई भी इसमें सफल नहीं हो पाया।
साथ ही जानकारों का कहना है कि इस रहस्यमयी चट्टानी दरवाजे को खोलने का राज़ वहीं गुफा की दीवार पर लिखे एक मंत्र में ही छिपा है। आज भी हम दीवार पर लिखे इस शिलालेख को देख सकते हैं लेकिन समस्या ये है की यह शंख लिपि में लिखा है जिस वजह से आज तक इसे कोई भी नहीं समझ पाया। इसीलिए आज तक यह खजाना और इसे छिपाई हुई यह गुफा एक गहरा राज़ ही बनी हुई है। माना जाता है कि जो भी इस शिलालेख को समझ लेगा वो इस खजाने तक भी पहुँच जायेगा।
नालंदा विश्वविद्यालय से भी जुड़ा है इसका राज़
इसके साथ ही यह भी बताया जाता है की इस गुप्त शंख लिपि के बारे में जानकारी प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में रखी एक पुस्तक में थी क्योंकि इस खास लिपि की जानकारी आम लोगों को नहीं थी। लेकिन जब नालंदा विश्वविद्यालय को तबाह किया गया तो इसके पुस्तकालय के साथ ही वो किताब भी जल गयी और इसी के साथ इस लिपि को समझने की हमारी उम्मीद भी ख़त्म हो गयी।अब सिर्फ एक ही रास्ता बचा है कि जब कोई भी इस लिपि में लिखे इस शिलालेख के रहस्य की गुत्थी सुलझा लेगा तभी इस खजाने से भरी गुफा का द्वार खुलेगा और हम इस खजाने तक पहुँच पाएंगे।
तो इसी के साथ अगर आप भी बिहार में राजगीर के आस-पास हैं या फिर घूमने जाने वाले हैं तो यहाँ स्थित सोनभंडार देखने जरूर जाएँ। इससे जुड़ी जितनी भी जानकारी हमारे पास थी हमने आपसे इस लेख के माध्यम से साझा करने की कोशिश की है। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इस आर्टिकल को लाइक जरूर करें और साथ ही ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं।
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