10 से 6 की जॉब की थकान और बहुत दिनों से घुमक्कड़ी नहीं कर पाने की वजह से मन बहुत बेचैन था । इस थकान को और बेचैनी को दूर करने मैं मसूरी निकल गई । वीकेंड का प्लान बनाया दिल्ली से शताब्दी एक्सप्रेस में टिकिट किया और निकल गई। देहरादून पहुंच कर लोकल बस से मसूरी गई।एक अच्छा सा रहने का ठिकाना ढूंढ कर बुक कर लिया था , किस्मत से रूम से बहुत बढ़िया दृश्य दिखता था। हैरानी होती थी जब भी पर्दा हटाओ अलग ही सीन रहता था शायद बादलों की करस्तानी थी जो चुपचाप खड़े पर्वत श्रृंखला को छेड़ रहे थे। बहरहाल मन बहुत खुश था , ऑफिस के पचड़े से दूर मेरा दिल पहाड़ों की रानी मसूरी में खोया हुआ था।,,,,,,,ये दिन गुजर गया ,
सुबह जल्दी नींद खुल गई ,मस्त चाय ऑर्डर किया और 1 घंटे लगभग अपने रूम की खिड़की पर बैठी निहारती रही प्रकृति को। आह कितना सुकून देते हैं ये पहाड़, बादल, हवाएं और ये खूबसूरत वातावरण। मैं तो भर भर के सांस ले लेती हूं,अपने फेफड़े से दिल्ली की प्रदूषित हवा को निकाल कर पहाड़ों की हवा भर लाती हूं।
वैसे योग तो शरीर के लिए अच्छा ही होता है न।
अब फटाफट तैयार होके मैं मसूरी की साइट सीन करने निकली हां रेंट पर एक स्कूटी ले लिया था । उस दिन कंपनी गार्डन होते हुए धनौल्टी घूमा। यकीन मानिए मसूरी से धनौल्टी का रास्ता बेहद खूबसूरत है ,यहां 2 इको पार्क हैं, पहला वाला कुछ खास नही था लेकिन दूसरा बहुत सुंदर था । बस इतना घूम के वापस अपने कूचे पर आई मस्त पिज्जा खाया और सो गई।
आज मुझे बहुत कुछ कवर करना था , रेंट वाली स्कूटी आज भी थी। इस दिन मैंने बौधिस्ट मंदिर देखा और केम्प्टी वाटर फॉल घूमा।वहां इतना एंज्वॉय किया खूब नहाया ,बहुत मजा आया । अगर मौका मिला तो फिर जाना चाहूंगी वहां।बस फिर मैं देहरादून के लिए निकल गई और वहा। से दिल्ली
और फिर वही 10 से 6 की जॉब
कोई बात नहीं दोस्तों पिक्चर अभी बाकी है, क्योंकि जब तक जीयूंगी घूमती रहूंगी।