बैठे बैठे बस प्लान बना लिया सोलो ट्रिप का और बैग लगा के निकल गया 12000 फीट पर विराजे महादेव के दर्शन के लिए। एचआरटीसी बस से नाहन पहुंचा रात बहुत हो चुकी थी खाना मैं साथ ले के आया था । दुर्भाग्य से कोई होटल नहीं खुला था एक बज रहा था अकेले भटकता रहा मेरी नजर एक शादी के घर पर गई मैं वहां गया विनती की मैंने मुझे रुकने के लिए मदद भी की हिमाचल के लोग बहुत अच्छे होते है समझ आ गया था। मैं आराम करने के लिए वही रुका फिर।।
घर वालो का शुक्रिया अदा कर के मैं निकल गया नौराधर की ओर, लगभग २ बजे मैं पहुंच गया और यहां से ट्रेक स्टार्ट हुआ मैंने कुछ जानकारी जुटाई एक व्यक्ति बोला आप लेट हो गए १२००० फीट तक नहीं जा सकते लेकिन तीसरी नामक स्थान तक जा सकते जो कि १२ किमी की दूरी पर खड़ी चढ़ाई, पत्थरों के ऊपर चल के जाया जा सकता था । खाने का थोड़ा बहुत समान था मैंने ट्रेक शुरू कर दिया रास्ते में जंगली जानवरों का भी खतरा था क्यूं की ये एक संक्चरी थी सूचना बोर्ड में भी ऐसा लिखा था । अब मै एक स्थान पहुंचा जिसका नाम था दूसरी यहां एक छोटा सा ढाबा था जहां विश्राम किया कुछ देर । फिर से ट्रेक स्टार्ट किया बहुत थक चुका था शाम को ६ बजे मैं तीसरी पहुंच गया । हिमालय के दर्शन मात्र से मेरी सारी थकान मिट गई यहां मैं सोनू पुंडीर जी से मिला जिनका ढाबा था उन्होंने मुझे खाना खिलाया जो की ३०० में रुकना खाना सुबह का नाश्ता सब उसी ३०० में किस्मत अच्छी थी अक्टूबर में बर्फबारी हो रही थी ठंड बहुत थी मैं थक के सो गया।
मैं सुबह उठा लगभग माइनस में तापमान था पुंडीर जी ने चाय वगैरा पीला के मुझे आगे का रास्ता बताया लेकिन अब दिक्कत थी क्यूंकि रास्ते में बर्फ़ ही बर्फ़ थी और मैं अकेला जानवरों का डर किस्से भी सुने थे ६ किमी और बचा था ट्रेक बस महादेव का नाम लिया और प्रारंभ किया चलना रास्ता संकरा था और बर्फ़ ही बर्फ़ रास्ते में मैं लगभग ९ बजे मंदिर पहुंच गया १२००० फीट पर पहुंचकर एक सुखद अहसास हुआ महादेव के दर्शन किए और हिमाचल से उत्तराखंड के हिमालयन पर्वत श्रंखला साफ दिख रही थी।। महादेव के दर्शन करने के बाद मैं वापिस आ गया नौरधार.. यहां से मैं राजगढ़ रुका जहां मैंने मात्र ५० रुपए का रूम लिया खाना खाया और सो गया । और सुबह सोलन गया वहां से चंडीगढ़ ये ट्रिप बहुत ही सस्ती थी
धन्यवाद..
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