जब भी हम कहीं घूमने जाते हैं तो उस नई जगह की खूबसूरती में खो जाते हैं, लेकिन कितनी बार ऐसा होता है कि हम वहाँ के लोगों की अंदरूनी खूबसूरती देखने के लिए वक्त निकालते हैं? शायद बेहद कम। हम अपनी खूशी में इतने खोए होते हैं कि किसी और की परेशानी नज़र नहीं आती। लेकिन दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो सबको साथ लेकर चलने और ज़िंदगी में आगे बढ़ने का मौका देते हैं।
भारत में कई ऐसी संस्थाएँ और कारोबार हैं जो द्वियांग या दूसरी तरह से मजबूर लोगों को हिस्सा बनाकर उन्हें बराबरी का मौका और बाकियों को प्रेरणा दे रहे हैं। तो चलिए आपको कुछ ऐसे कैफे और रेस्टोरेंट के बारे में बताते हैं जहाँ स्वाद के साथ इंसानियत भी परोसी जाती है। तो अपनी अगली यात्रा पर यहाँ का स्वाद चखना ना भूलें।
1. एकोज़, दिल्ली
चेहरे पर मुस्कुराहट लिए यहाँ का स्टाफ आपका स्वागत करता है। ओर्डर देने के लिए नोटपैड आपके सामने हैं, खास फरमाईश है तो सामने रखे बोर्ड को उठा दें या सीट पर लगें बटन को दबाएँ। आपके खाने के बरतनों में भी खास लेबल लगाए गए हैं। दरअसल ये सारी तैयारी इसलिए है क्योंकि यहाँ का स्टाफ सुनने और बोलने में कमज़ोर लोगों से बना है। लेकिन इनकी ये कमज़ोरी आपके अनुभव में कहीं भी नज़र नहीं आएगी। बल्कि यहाँ का स्वाद और लोगों की मुस्कुराहट खाने को और भी स्वादिष्ट बना देती है।
कहाँ है एकोज़ कैफे: फर्स्ट फ्लोर, 17, सत्यनिकेतन मार्ग, साउथ मोती बाग, नई दिल्ली 110021
2. शीरोज़ हैंगाउट, आगरा
किसी की सूरत से ज्यादा अहम है इंसान की सीरत और इसी बात को साबित करता है आगरा का शीरोज़ कैफे। ये कैफे ऐसिड अटैक सर्वाइवर चलाते हैं। सभी महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा ये कैफे ज़िंदादिली की मिसाल है। यहाँ कि रंगीन दिवारें और मुस्कुराते चहरे आपके दिलों में उतर जाते हैं। परिवार और समाज के हाथों शोषण झेल चुकी ये महिलाएँ, अपने अतीत को छोड़ इस कैफे के साथ, सिर उँचा कर अपना नाम बना रही है। कैफे का स्लोगन है 'माइ स्माइल इस माइ ब्यूटी' यानी मेरी मुस्कान ही मेरी सुंदरता है, और वाकई ये बात बिल्कुल सही है। अगर आप आगरा ताज की खूबसूरती निहारने आ रहे हैं तो शीरोज़ कैफे जाकर एक स्वादिष्ट लंच के साथ यहाँ के स्टाफ के दिलों की खूबसूरती देखना ना भूलें।
कहाँ है शीरोज़ हैंगाउट: फतेहाबाद रोड, द गेटवे होटल ताजगंज के सामने, ताज व्यू चौराहा, आगरा
3. मिर्ची एंड माईम, मुंबई
मुंबई के पवई इलाके में बना मिर्ची एंड माइम कैफे अपने आप में एक अनूठी जगह है। यहाँ काम करने वाला स्टाफ सुनने या बोलने में तकलीफ वाले लोगों से बना है। लेकिन इससे काम में कोई कमी ना आए इसलिए ऑर्डर देने के लिए हाथों के इशारों का इस्तेमाल होता है। मेन्यू में मौजूद हर फूड आइटम के सामने उससे जुड़ी तस्वीर और हाथ के इशारे बने हुए हैं, जिनका इस्तेमाल कर आप आर्डर कर सकते हैं। ये इशारों से आर्डर करने का तरीका ग्राहकों के लिए मज़ेदार तो होता ही है लेकिन स्टाफ को ग्राहकों से जोड़ता भी है और शायद उनकी परेशानी को बेहतर समझने में भी मदद करता है।
कहाँ है मिर्ची एंड माइम: ट्रांस ओशियन हाउस, हिरानंदानी गार्डन्स, म्हाडा कॉलोनी 19, पवई
4. डायलॉग इन द डार्क, हैदराबाद
हैदराबाद की बिरयानी का स्वाद तो आपने चखा ही होगा, लेकिन क्या बिना किसी रोशनी या मेन्यू के किसी रेस्तरां में खाना खाया है? आपको ऐसा ही अनोखा अनुभव देता है डायलॉग इन द डार्क का टेस्ट ऑफ डार्कनेस। सबसे पहले तो आपको आँखों में पट्टी बाँधकर एक एग्ज़िबिशन घूमाया जाता है जिसमें आवाज़, तापनमान के ज़रिए आपको क्रिकेट ग्राउंड, बोटिंग, मार्केट और जंगल जैसा रास्ता अनुभव करवाया जाता है। इसके बाद आती है अंधेरे का स्वाद चखने की, यानी टेस्ट ऑफ डार्कनेस रेस्टोरेंट की। यहाँ बिल्कुल अंधेरे में आपको कुछ नेत्रहीन वेटर आपके लिए एक सर्पराइज 4 कोर्स मील परोसते हैं। दरअसल, इस पूरे अनुभव का मकसद लोगों को नेत्रहीनों लोगों की जिंदगी से जुड़ी परेशानियों और संघर्ष से रूबरू करवाना है। ये पूरा अनुभव आपकी 'आँखें खोल देता है' और इन लोगों की मेहनत को सराहने और उनसे प्रेरणा लेने पर मजबूर कर देता है।
कहाँ है डायलॉग इन द डार्क: लेवल 5, इनऑरबिट मॉल, सॉफ्टवेयर युनिट्स लेआउट, विट्टल राव रोड, माधापुक, हैदराबाद
5. कैफे कॉफी डे
पूरे भारत में मशहूर कैफे कॉफी डे समाज की ओर अपनी ज़िम्मेदारी को अपने स्टाफ चुनने के तरीके के ज़रिए अच्छी तरह निभा रहा है। कैफे के कई सारे आउटलेट में आपको सुनने या बोलने में बाधित लोग आपकी बेहतरीन कॉफी बनाते मिल जाएँगे। इन 'साइलेंट ब्रू मास्टर्स' की सुगंध और स्वाद की बेहतर पहचान इन्हें कॉफी बनाने में मास्टर प्लेयर बनाती है। और ये सिर्फ कॉफी बनाने तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि कई आउटलेट्स में मैनेजर का पद भी बड़ी कुशलता से संभाले हुए हैं।
6. कैफे अर्पण, जुहू
मुंबई के पॉश इलाके में बना ये कैफे अपनी खुली जगह और सिंपल मगर स्वादिष्ट खाने से आपको खुश करता है। लेकिन इससे ज़्यादा खुशी यहाँ काम करते लोगों को देखकर होती है। इस कैफे में काम कर रहे लोग द्वियांग है जो ऑटिज़म, डाउन सिंड्रोम या मानसिक विकास पर कमज़ोर हैं। लेकिन यकीन मानिए इनकी शिद्दत और कुशलता किसी भी तरह से इनके काम के आढ़े नहीं आती। मुंबई दर्शन पर निकले तो इस कैफे को भी अपनी लिस्ट में ज़रूर जोड़ें।
कहाँ है कैफे अरपन: दुकान नं. 20, जुहू रुतुराज CHS, SNDT महिला विश्वविद्यालय के सामने, जुहू रोड, मुंबई
7. नुक्कड़ टीफे, रायपुर
चाय की एक चुस्की मूड तो बदल देती है लेकिन रायपुर का नुक्कड़ टीफे (टी-कैफे) आपका नज़रिया भी बदल देगा। मूक-बधिर लोगों द्वारा चलाया जाने वाला ये कैफे आपको चॉकलेट, बासुंदी, गुलाब चाय जैसे कई फ्लेवर तो परोसता ही है साथ ही यहाँ काम कर रहे लोग आपके चेहरे पर मुस्कान और दिल में इज़्जत का भाव भी भर देते हैं। इतना ही नहीं, यहाँ पर कवि सम्मेलन और लाइब्रेरी के साथ ज्ञान का भी आदान-प्रदान होता है।
कहाँ है नुक्कर टीफे: श्री राम कॉम्प्लेक्स, GB 8, समता कॉलोनी मेन रोड, बैंक ऑफ बड़ौदा के सामने, रायपुर
8. द थर्ड आई कैफे
जहाँ पर किन्नरों की बधाई को बेहद शुभ माना जाता है वहीं समाज का ये हिस्सा अच्छी नौकरियों और एक इज्जत की ज़िंदगी का मौहताज हैं। लेकिन इसी सोच को बदलने का काम कर रहा है मुंबई के वाशी में बना द थर्ड आई कैफे। ये कैफे ट्रांसजेंडर स्टाफ को नौकरी देता है लेकिन कैफे के मालिक का मानना है कि कैफे का नाम बस इसी वजह से ना होकर वहाँ के खाने और माहौल की गुणवत्ता की वजह से हो। इससे ट्रांसजेंडर लोगों के उनकी सही कुशलता के लिए उन्हें बाकी क्षेत्रों में जगह मिलेगी ना कि उनके लिंग के हिसाब से।
कहाँ है द थर्ड आई कैफे: शॉप नं 20, पाम बीच गैलेरिया मॉल, फेस 2, सेक्टर 19 डी, वाशी, नवी मुंबई
9. राइटर्स कैफे, चेन्नई
किताबें और केक परोसने वाली ये बेकरी जिंदगी जीने का एक नया मौका भी परोस रही है। यहाँ मौजूद स्टाफ किसी न किसी कारण आग में झुलसने का शिकार थीं, लेकिन हिम्म्त बाँधे ये महिलाएँ आज यहाँ स्विज़ बेकिंग और ओरिएंटल कुकिंग के गुर सीख रही हैं। यहाँ का स्टाफ आपको एक मीठी मुस्कुराहट के साथ आपका लज़ीज खाना पेश करता है, जिसकी मिठास आपके पेट से लेकर दिल तक पहुँचती है।
कहाँ है राइटर्स कैफे: 127, पीटर्स रोड, गोपालापुरम,चेन्नई
10. कॉस्टा कॉफी, दिल्ली
जहाँ कैफे कॉफी डे दिव्यांग लोगों को अपने स्टाफ का हिस्सा बनाता है उसी तरह कॉस्टा कॉफी भी अपने कर्मचारियों में 15% हिस्सा दिव्यांगो के लिए आरक्षित रखता है। यहाँ पर मौजूद मूक-बधिर या दिव्यांग लोग किचन से लेकर सर्विंग , बिलिंग और मैनेजर के पद संभाले हुए हैं।
कहाँ है कॉस्टा कॉफी: SPH-27, ग्रीन पार्क एक्सटेंशन, ग्रीन पार्क, नई दिल्ली- 110016
हम यात्रा इसलिए करते हैं कि हम एक अलग दुनिया देख सकें, कुछ अनोखे अनुभव ले सकें जो किसी ना किसी तरह हमारी सोच और समझ को बेहतर बनाते हैं। तो समाज की सोच बदलने में लगे इन कैफे और रेस्तरां को भी अपनी यात्रा का हिस्सा बनाएँ और नए शहर को देखने के साथ लोगों को देखने का नया तरीका भी आज़माएँ।