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#सिंगापुर सफरनामा
#भाग 2
#सिंगापुर सिटी टूर
दोस्तों पहले दिन 23 जून 2022 को सिंगापुर में आकर रात को मैंने होटल में विश्राम किया कयोंकि बहुत थक चुका था। सिंगापुर टूर 24 जून को ही शुरू होना था।
दिन की शुरुआत
सुबह 6 बजे ही मेरी आँख खुली गई तो फ्रैश होकर, रुम में दी हुई बिजली की केतली में पानी गरम करके श्रीलंका की Dilmah कंपनी की चाय का पैकेट गरम पानी में रख कर चाय पी, दोस्तों मेरा होटल तीन सितारा होटल है जिसमें बिजली की केतली, चाय, गरीन चाय, कौफी, चीनी, सूखे दूध आदि के छोटे पैकट रुम में दिए गए हैं, इनका ईसतमाल करके आप चाय, कौफी, गरीन चाय आदि बना सकते हो। आठ बजे के आसपास मैं होटल के रिशैपशन के पास बने हाल में ब्रेकफास्ट करने के लिए चला गया, ब्रेकफास्ट में वैज नान वैज सभी तरह का खाना था, इडली, छोले, दूध, जूस, सलाद, ब्रैंड बटर आदि। अगर आप सिंगापुर घूमने आते हो तो आपको होटल में वैजीटेरियन खाना भी मिलेगा। खाना खाने के बाद मैं तैयार हो गया और अपने ड्राइवर का इंतजार करने लगा जिसका समय सुबह 10 बजे था।
विदेश में मिला अपना सा कोई
मैं होटल रिशैपशन पर ही था कयोंकि गाईड या ड्राइवर होटल रिशैपशन पर ही नाम पूछकर लोगों को लेकर जा रहे थे घूमाने के लिए। मेरा ड्राइवर भी आ गया जिसका नाम जगतार सिंह था और वह पंजाब से था, हम दोनों ने पंजाबी में एक दूसरे से बात की और फिर मैं पिंक कलर की एक डीलक्स बस में बैठ गया, इस खूबसूरत बस के आगे वाले शीशे में बिलकुल ऊपर वाले हिस्से में पंजाबी में "सतगुरु तेरी ओट " लिखा हुआ था जिसे पढ़कर इस बेगाने देश में भी अपनेपन का अहसास हो रहा था। मेरे होटल से भी तीन लोग जो नेपाल से सिंगापुर घूमने आए थे बस में मेरे साथ चढ़ गए। अब बस चल पड़ी और अलग अलग होटलों से टूरिस्टों को बिठाती हुई सिंगापुर की खूबसूरत सड़को पर दौड़ने लगी| बस में एक चीनी औरत गाईड थी जिसके हाथ में माईक था और उसका नाम बीन था। उसने सभी यात्रियों के नाम बोल कर उन्हें नंबर दे दिए मुझे पहला नंबर मिला कयोंकि मैं बस में सबसे पहले चढ़ा था, फिर गाईड ने अपने बारे में जानकारी दी और बताया मैं लोकल चायनीज हूँ। उसने हमे बताया उसका जन्म सिंगापुर में ही हुआ है पालन पोषण भी यहाँ ही हुआ है लेकिन उसकी फैमिली चीन की है। यहाँ उनकी तीसरी पीढ़ी है, जो चायनीज सिंगापुर में ही पलते बढ़ते है उनको लोकल चायनीज बोलते है।
सिंगापुर की जानकारी
गाईड ने सिंगापुर की बहुत अच्छी जानकारी दी उसने बताया सिंगापुर का श्रेत्र फल सिर्फ 710 किमी है और सिंगापुर पूर्व से पश्चिम तक 50 किमी और उत्तर से दक्षिण तक सिर्फ 27 किमी है। सिंगापुर में 70 प्रतिशत से जयादा लोग चायनीज है, 17 प्रतिशत लोग मलाया है और 9 प्रतिशत लोग भारतीय हैं जिसमें जयादा तमिल लोग है। सिंगापुर पहले मछली पकड़ने वालो का गाँव हुआ करता था। सिंगापुर पहले मलेशिया का हिस्सा था, अंग्रेजो ने इसे भारत और चीन के बीच समुद्री व्यापार करने के लिए एक समुद्री अड्डे के रूप में विकसित किया। आज भी सिंगापुर दुनिया की वयस्त बंदरगाहों में से एक है। चलते चलते ही बस में गाईड ने हमें रैफल्स होटल दिखाया जो सिंगापुर के हैरीटेज और पुराने होटलों में से एक है। बस में बैठे ही गाईड ने हमें सिंगापुर की संसद बिलडिंग दिखाई जो आधुनिक युग के अनुसार बनी हुई है, सुप्रीम कोर्ट भी इसके पास ही है, फिर हम सिंगापुर की नैशनल गैलरी के सामने से गुजरे, उसके सामने ही पडांग नाम का खूबसूरत मैदान है जहाँ पर सिंगापुर के आजाद होने के बाद जश्न मनाया गया था। इन जगहों को बस में बैठे ही देखकर हम आगे बढ़ चले लेकिन मैं किसी दिन फ्री होकर इन सारी जगहों को अकेला देखने आऊँगा।
मर्लिओन पार्क
फिर हम सिंगापुर की सबसे मशहूर जगह मर्लिओन पार्क पहुँच गए, ड्राइवर ने हमें 40 मिंट का समय दिया जिसमें हमें मेरलियन पार्क को देखकर उसी जगह पर वापिस आना था। बस से उतर कर सीढ़ियों को उतर कर सिंगापुर नदी के किनारे पर बने खूबसूरत मर्लिओन पार्क में पहुँच गए| यहाँ पर वाईट ग्रेनाइट की 8.6 मीटर की और 70 टन ( 1 टन = 1000 किलो) भारी मेरलियन की मूर्ति बनी हुई है। इस मूर्ति में मूंह शेर का बना हुआ है और धड़ मछली का, शेर के मूंह से पानी की बौछार निकलती है जो सीधी नदी में गिरती है। सिंगापुर को शेर का शहर कहा जाता है और मछली पकड़ने का यह पुराना गाँव हुआ करता था तो दोनों मिला कर एक शानदार मूर्ति कला को प्रदर्शित किया गया है।
आज मर्लिओन पूरे सिंगापुर का आइकोनिक सपाट है, इसकी फोटो देखकर पता लग जाता है कि यह सिंगापुर है। इस खूबसूरत मूर्ति को सिंगापुर के लोकल कलाकार ने बनाया है। मैंने भी यहाँ कुछ फोटोग्राफी की , वीडियो बनाई| यहाँ से दृश्य बहुत खूबसूरत दिखाई देता है, आप यहाँ से सिंगापुर फलाईर, Marina Bay Sands होटल जिसकी एक रात का किराया दो लाख रूपये है, सिंगापुर नदी आदि के शानदार दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। निर्धारित समय पर सभी लोग अपनी बस में आकर बैठ गए।
चायनीज मंदिर चाइनाटाउन
मेरलियन पार्क देखने के बाद हमारी चाईनीज गाईड हमें चाइनाटाउन में बने हुए एक खूबसूरत चायनीज मंदिर में ले गई। यहाँ हम चायनीज मंदिर में दाखिल हुए, मंदिर तीसरी मंजिल पर बना हुआ है, लेडीज और बूढ़े लोग लिफ्ट से गए, हम सीढ़ियों को चढ़ कर, वहाँ हमारे सबके नाम एक कागज पर लिख कर बौद्ध देवताओं के सामने वहाँ के पुजारी ने पूजा की, यहाँ पर लाफिंग बुद्ध, महात्मा बुद्ध और चीन के देवताओं की सुनहरी रंग की खूबसूरत मूर्तियों के दर्शन होते हैं। दर्शन के बाद हम एक हाल में कुर्सी पर बैठे और फिर हमें बौद्ध धर्म पर एक डाकूमेंटरी दिखाई गई, उसके बाद पुजारी ने अपनी मर्जी से 10 डालर तक दान करने के लिए कहा जिसके लिए कोई मैंबर नहीं उठा तो उसने कहा आप इंडिया जाकर इस पैसे को अपने मंदिर या गुरूद्वारे में दे देना, फिर हम वहाँ से दुबारा अपनी बस में बैठ गए। गाईड ने हम सबको एक एक सेब दिया जो मंदिर में प्रसाद के लिए मिले थे। इसके बाद गाईड ने सबका धन्यवाद किया और बस ड्राइवर ने सभी लोगों को उनके होटल तक छोड़ दिया। मैं भी तीन घंटे तक का सिटी टूर करके दोपहर दो बजे तक होटल में वापस आ गया। शाम को पांच बजे मुझे नाईट सफारी पर जाना था जिसका वर्णन अगली पोस्ट में करूँगा।
फोटो गैलरी: मेरे कैमरा से
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