भारत में प्रसिद्ध मंदिरों और किले के अलावा ऐसे कई प्रसिद्ध और खूबसूरत गुरुद्वारा भी मौजूद हे जिनके बारे में बहुत कम लोगो को मालूम हे स्वर्ण मंदिर के अलावा भी ऐसे कई गुरुद्वारा मौजूद है जिनका इतिहास हजारो लाखो साल पुराना है आज भी ये गुरूद्वारे लाखों पर्यटकों के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में एक है, यहीं वजह है कि हर साल हजारों सिख भक्तों के अलावा हजारों टूरिस्ट्स भी अपनी फैमली के साथ यहां घूमने जाते हैं। आज हम आपको कुछ प्रमुख गुरुद्वारों के बारे में बताने जा रहे है। तो आइए जानते हैं।
तख़्त श्री हरिमंदिर जी
सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह का जन्म यहीं 22 दिसंबर, 1666 को हुआ था। सिख धर्म के पांच प्रमुख तख्तों में दूसरा तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब हैं। गंगा नदी के किनारे बसा बिहार के पटना में सिख भक्तो के लिए तख़्त श्री हरिमंदिर जी बेहद ही पवित्र धार्मिक जगह है क्योंकि कहा जाता है की यह गुरुद्वारा सीखो के अंतिम गुरु यानि गुरु गोबिंद सिंह की जन्म स्थिली है यहाँ लाखो सिख श्रद्धालु घूमने आते है। खासकर बैसाखी के दिन यहाँ और भी अधिक पर्यटक गोबिंद सिंह के दर्शन के लिए आते हैं। यह गुरुद्वारा पटना रेलवे स्टेशन के ठीक बगल में स्थित है। इसलिए आपको यहाँ आने के लिए ज्यादा यात्रा करने की जरूरत नहीं होगी। आप आसानी से यहाँ आकर दर्शन कर सकते हैं।
कैसे पहुँचें
यहाँ आप हवाई, सड़क और रेल नेटवर्क द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं। पटना शहर देश और राज्य के प्रमुख शहरों से बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। पटना का लोक नायक जयप्रकाश हवाई अड्डा भारत के अधिकांश शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप देश के किसी भी कोने से पटना के लिए फ्लाइट ले सकते हैं। देश और राज्य के अधिकांश शहरों से पटना के लिए बसें उपलब्ध हैं। इसलिए आप बस से भी पटना शाहिब गुरुद्वारा के लिए यात्रा चुन सकते हैं।
अगर आप रेल माध्यम से पटना शहर जाना चाहते हैं तो पटना शहर का अपना रेलवे स्टेशन है जहाँ के लिए आप देश के सभी प्रमुख शहरों से ट्रेन पकड़ सकते हैं।
गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब
यह हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित है कहा जाता है की गुरु गोविंद सिंह ने अपने जीवन के चार साल यहाँ बिताएं और इसी जगह दशम ग्रंथ की रचना की थी। पहाड़ो के बीच स्थित यह गुरुद्वारा बेहद खूबसूरत भी है। लोगों के बीच मान्यता है कि यहाँ पांवटा से निकलने वाली यमुना नदी बहुत शोर करती थी, लेकिन गुरू गोबिंद सिंह के अनुरोध करने पर वह शांति से बहने लगी। सिख धर्म के लोगों के लिए यह स्थल भी काफी महत्व रखता है।
कैसे पहुंचे
यहाँ आने के लिए आप वायुमार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग का उपयोग कर सकते हैं। यहाँ से निकटतम हवाई अड्डा 70 किलोमीटर दूर जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। इसके अलावा 145 किलोमीटर दूर जबरहट्टी हवाई अड्डा है। यह दिल्ली, मुंबई और श्रीनगर के हवाई अड्डों से अच्छी तरह जुड़ा है। दोनों ही जगहों से पांवटा साहिब आने के लिए बस और टैक्सियां उपलब्ध हैं। यहाँ से निकटतम रेलवे स्टेशन 45 किलोमीटर दूर देहरादून और 56 किलोमीटर दूर यमुनानगर में स्थित है। पौंटा साहिब राष्ट्रीय राजमार्ग-72 पर स्थित है। यह चंडीगढ़ और देहरादून के साथ जुड़ा है। यहाँ से देहरादून 45 किलोमीटर और ऋषिकेश 90 किलोमीटर दूर है। दोनों ही जगहों से पांवटा साहिब जाने के लिए बसें उपलब्ध हैं।
हेमकुंट साहिब
हिमालय में स्थित हेमकुंड साहिब सिखों के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है उत्तराखंड के चमौली में स्थित श्री हेमकुंड साहिब 15200 फीट की ऊंचाई पर बना है। श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा 6 महीने तक बर्फ से ढका रहता है। यह जगह पवित्र स्थान होने के साथ -साथ सैलानियों के घूमने के लिए भी परफेक्ट जगह मानी जाती है। हेमकुंड साहिब अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है और यह देश के सबसे महत्वपूर्ण गुरुद्वारों में से एक है। गुरूद्वारे के पास ही एक सरोवर है। इस पवित्र जगह को अमृत सरोवर अर्थात अमृत का तालाब कहा जाता है। यह सरोवर लगभग 400 गज लंबा और 200 गज चौड़ा है। यह चारों तरफ से हिमालय की सात चोटियों से घिरा हुआ है। इस पवित्र स्थल को रामायण के समय से मौजूद माना गया है। कहा जाता है कि लोकपाल वही जगह है जहाँ श्री लक्ष्मण जी अपना मनभावन स्थान होने के कारण ध्यान पर बैठ गए थे। कहा जाता है कि अपने पहले के अवतार में गोबिंद सिंह जी ध्यान के लिए यहाँ आए थे।
कैसे पहुंचे
हेमकुंड साहिब की यात्रा के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं। हेमकुंड साहिब की यात्रा के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं तो हेमकुंड साहिब के सबसे निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। जोकि देहरादून शहर में स्थित हैं और हेमकुंड साहिब से लगभग 310 किलोमीटर की दूरी पर हैं। हेमकुंड साहिब गुरूद्वारे के सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून और हरिद्वार में हैं। इन दोनों स्टेशन से हेमकुंड पहुंचने के लिए पर्यटको को बस और टैक्सी आसानी से मिल जाएंगी।
हेमकुंड साहिब जाने के लिए सड़क मार्ग भी एक अच्छी पसंद हो सकती हैं। क्योंकि जोशीमठ के लिए हरिद्वार और देहरादून दोनों शहरों से निजी बसें उपलब्ध हैं। जोशीमठ के लिए ये बसें सुबह जल्दी निकल जाती हैं और जोशीमठ तक पहुंचने में लगभग 9-11 घंटे का समय लेती हैं। जोशीमठ से टैक्सी पर्यटकों को गोविन्द घाट तक ले जाती हैं।
तख़्त श्री केसगढ़ साहिब
शिवालिक पर्वत के किनारे मौजूद श्री केसगढ़ साहिब पंजाब के रोपड़ शहर में स्थित है इस गुरुद्वारे को पांच सबसे पवित्र गुरुद्वारे में से एक और सबसे अहम तख्त में से एक माना जाता है। इस गुरूद्वारे के बारे कहा जाता है, कि यह वह जगह है, जहाँ 9वें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर और 10वें गुरु गोबिंद सिंह ने पंज प्यारों की उपाधि और खालसा पंथ की स्थापना की थी।
कैसे पहुंचे
यहाँ की यात्रा के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं। यहाँ का सबसे नजीदीकी इंटरनेशनल एयरपोर्ट अमृतसर में है, जो रूपनगर से 200 किमी दूर है। सड़क मार्ग के जरिए यह दूरी चार घंटे में तय की जा सकती है। इसके अलावा आप आनंदपुर साहिब से 90 किमी दूर स्थित चंडीगढ़ एयरपोर्ट का भी सहारा ले सकते हैं। ढेरों ट्रेनें रूपनगर रेलवे स्टेशन को पंजाब के अलावा भारत के अन्य शहरों से जोड़ती हैं। यूएचएल जनशताब्दी इसे जहाँ दिल्ली से जोड़ती है, वहीं हिमाचल एक्सप्रेस से यह हिमाचल प्रदेश से जुड़ा हुआ है। तो आपको यहाँ तक पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं होगी। यहाँ पर पहुंचने के लिए सरकारी व निजी बसें सबसे अच्छा साधन है। अगर आप चाहें तो टैक्सी और कैब के जरिए भी आनन्दपुर साहिब पहुंच सकते हैं।
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