हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में तीर्थन घाटी की यात्रा में हम सबसे पहले बंजार घाटी के प्रमुख देवता श्रृंगा ऋषि के मंदिर के दर्शन करने गए। हम कार में बैठ गए और अपने कैंप साइट से बंजार की ओर बढ़ने लगे। बंजार तीर्थन घाटी का मुख्य शहर है और कुल्लू जिले की एक तहसील भी है। यह नगर तीर्थन घाटी का प्रमुख बाजार भी है। यहां का बाजार बहुत संकरा है, दिन में हमेशा जाम रहता है, एक तरफ से ट्रैफिक भी पुलिस द्वारा नियंत्रित किया जाता है | बंजार शहर की सड़कें बहुत संकरी हैं। उसी ट्रैफिक को पार करते हुए हम बंजार के इस खूबसूरत पहाड़ी शहर से गुजरते हुए जिबी जालौरी दर्रे की ओर बढ़ने लगे। जीबी से 4 किमी पहले श्रृंगा ऋषि मंदिर की ओर एक रास्ता कटता है | मुख्य सड़क को छोड़कर हम उस रास्ते पर चलने लगे | अब हम लगातार ऊपर जा रहे थे। कुछ ही देर में हम देवदार के जंगल में आ गए। रास्ते में बहुत सुंदर दृश्य थे, कोई यातायात नहीं, कोई शोर नहीं, बस प्रकृति की अंतहीन सुंदरता थी।
थोड़ी देर बाद हम एक ऐसे स्थान पर पहुँचे जहाँ श्रृंगा ऋषि मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियाँ बनी थीं। हमने वहां गाड़ी खड़ी की हालांकि कार भी मंदिर जाती है| हमने देखा कि रास्ते में बहुत सारे पत्थर थे आगे एक पत्थर की सड़क थी जो कार को नुकसान पहुंचा सकती थी। हमने पैदल ही मंदिर जाने का फैसला किया लेकिन फिर मैंने हिमाचल प्रदेश नंबर वाला एक पिकअप वाहन देखा जो मंदिर की ओर जा रहा था। मैंने उस कार के ड्राइवर भाई को मंदिर तक छोड़ने के लिए कहा | वह मान गया हमारा पूरा समूह उस पिकअप कार में बैठ गया और श्रृंगा ऋषि मंदिर पहुंच गया।
हम श्रृंगा ऋषि मंदिर पहुंचे |मंदिर के सामने एक खुला मैदान है। मंदिर दूर से बहुत ही आकर्षक लग रहा था। श्रृंगा ऋषि जी की पूरी बंजार घाटी में बहुत आस्था है। श्रृंग ऋषि जी बंजार घाटी के सबसे बड़े देवता हैं | इस क्षेत्र के लोग इस मंदिर में जाकर ही कोई भी शुभ कार्य करते हैं। यह मंदिर लकड़ी का बना है। इस मंदिर की कलाकृति बहुत ही अद्भुत है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर कुछ सीढ़ियां चढ़ने के बाद एक सुंदर मीनाकारी द्वार आता है। उस गेट के बाद हम मंदिर परिसर में दाखिल हुए। लकड़ी की छोटी सी सीढ़ियाँ चढ़कर हम मंदिर के भीतरी भाग में पहुँचते हैं जहाँ श्रृंग ऋषि जी विराजमान हैं। पंडित जी बैठे थे उन्होंने श्रृंग ऋषि जी की महिमा के बारे में बताया। ऐसा कहा जाता है कि राजा दशरथ के कोई पुत्र नहीं था इसलिए भगवान राम का जन्म ऋषि श्रृंग की कृपा से हुआ था। मंदिर में लकड़ी की नक्काशी बहुत सुंदर है। मंदिर के अंदर के कमरे का ताला भी बहुत अद्भुत है, इसकी फोटो भी मैंने पोस्ट में शामिल की है। तब हमने प्रसाद ग्रहण किया। कुछ समय मंदिर में बिताया। श्रृंग ऋषि मंदिर को देखकर मन प्रसन्न हो गया।
कैसे पहुंचे - श्रृंगा ऋषि मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में कुल्लू शहर से 60 किमी, मंडी से 65 किमी और बंजार से 6.5 किमी दूर है| यहाँ आप अपने साधन से ही पहुँच सकते हो |
कहाँ ठहरे- श्रृंगा ऋषि मंदिर के पास बंजार और जीभी नामक जगहों में आपको रहने के लिए हर बजट के होटल, होमसटे आदि में कमरे मिल जाऐगे|