रूह को कंपाने वाली है श्रीखंड महादेव की यात्रा, अमरनाथ से भी हैं ज्यादा कठिन

Tripoto
4th Dec 2020
Photo of रूह को कंपाने वाली है श्रीखंड महादेव की यात्रा, अमरनाथ से भी हैं ज्यादा कठिन by Yadav Vishal
Day 1

समूचा हिमालय शिव शंकर का स्थान है और उनके सभी स्थानों पर पहुंचना बहुत ही कठिन होता है। चाहे वह अमरनाथ हो, केदारनाथ हो या कैलाश मानसरोवर। इसी क्रम में एक और स्थान है श्रीखंड महादेव का स्थान। अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है तो श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट ऊंचाई पर चढ़ना होता है।

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स्थान से जुड़ी मान्यता

यहां के बारे में मान्‍यता है कि यही वह स्‍थान है जहां भस्‍मासुर नामक राक्षस ने कठोर तपस्‍या करके शिव से वरदान प्राप्‍त किया था कि वह जिस पर भी अपना हाथ रख देगा वह भस्‍म हो जाएगा। फिर उसके मन में पाप आ गया और वह माता पार्वती से विवाह करने के बारे सोचने लगा और वह भगवान शिव के ऊपर हाथ रखकर उन्‍हें नष्‍ट करना चाहता था। मगर भगवान विष्‍णु सब समझ गए। उन्‍होंने माता पार्वती का रूप धारण करके भस्‍मासुर को अपने साथ नृत्‍य करने के लिए राजी किया। नृत्‍य करते हुए भस्‍मासुर ने खुद के ही सिर पर हाथ रख लिया और वह भस्‍म हो गया। बताते हैं कि आज भी यहां की मिट्टी और पानी लाल दिखाई देते हैं।

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चढ़नी पड़ती है 18570 फीट की ऊंचाई

आमतौर पर कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे कठिन व दुर्गम धार्मिक यात्रा मानी जाती है। उसके बाद किसी का नंबर आता है तो वो है अमरनाथ यात्रा, लेकिन हिमाचल प्रदेश के श्रीखंड महादेव की यात्रा अमरनाथ यात्रा से भी ज्यादा कठिन है। अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है तो श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट की ऊचाई पर चढ़ना होता है और यहां पहुंचने का रास्ता भी बेहद खतरनाक है। अमरनाथ से भी कठिन श्री खंड महादेव की इस यात्रा में रूह कांप जाती है।

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सुंदर घाटियों के बीच से गुजरता है ट्रैक

18 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड यात्रा के दौरान सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की भी कमी पडती है। श्रीखंड जाते समय करीब एक दर्जन धार्मिक स्थल व देव शिलाएं हैं। श्रीखंड में भगवान शिव का शिवलिंग हैं। श्रीखंड से करीब 50 मीटर पहले पार्वती, गणेश व कार्तिक स्वामी की प्रतिमाएं भी हैं। श्रीखंड महादेव हिमाचल के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से सटा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस चोटी पर भगवान शिव का वास है। इसके शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है। यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रैक है।

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श्रीखंड महादेव के कठिन रास्तों में खच्चर नहीं चल सकता

अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग जहां खच्चरों का सहारा लेते हैं। वहीं, श्रीखण्ड महादेव की 35 किलोमीटर की इतनी कठिन चढ़ाई है, जिसपर कोई खच्चर घोड़ा चल ही नहीं सकता। श्रीखण्ड का रास्ता रामपुर बुशैहर से जाता है। यहां से निरमण्ड, उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है।

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मेडिकल चेकअप के बाद हैं यात्रा की अनुमति

इस टीम के सुझावों के अनुसार आवश्यक प्रबंध किए जाएंगे। यात्रा के सभी महत्वपूर्ण पड़ावों व रास्तों की मरम्मत भी की जाएगी। विधायक खूब राम ने संबंधित अधिकारियों से कहा कि वे सभी पड़ावों पर यात्रियों को आवश्यक सुविधाएं मुहैया करवाएं। उपायुक्त ने बताया कि सभी यात्रियों का पंजीकरण किया जाएगा और उनसे 100 रुपए पंजीकरण शुल्क लिया जाएगा। मेडिकल चेकअप के बाद ही श्रद्धालुओं को यात्रा आरंभ करने की अनुमति दी जाएगी। यात्रा के दौरान बचाव दल और मेडिकल टीमें हर समय तैनात रहेंगी। पंजीकरण के बगैर किसी भी श्रद्धालु को यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी।

यात्रा के हैं तीन पड़ाव-

जाँव से सिंहगाड़ 3 कि० मी० सिंहगाड़ से थाचड़ू 8 कि० मी० और थाचड़ू से भीम डवार 9 कि० मी० की दूरी पर है यात्रा के तीनो पडावो मे श्री खंड सेवा दल की ओर से यात्रियों की सेवा मे लंगर दिन रात चलाया जाता है भीम डवार से श्री खण्ड कैलाश दर्शन 7 कि० मी० की दूरी पर है तथा दर्शन उपरांत भीम डवार या थाचड़ू वापिस आना अनिवार्य होता है।

यात्रा मे सिंहगाड, थाचरू, कालीकुंड, भीमडवारी, पार्वती बाग, नयनसरोवर व भीमबही आदि स्थान आते हैं। सिंहगाड यात्रा का बेस कैंप है। जहां से नाम दर्ज करने के बाद श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति दी जाती है। श्रीखंडसेवा समिति की ओर से श्रद्धालुओं के लिए हर पडाव पर लंगर की व्यवस्था होती है।

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कैसे पहुंचे

श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए शिमला जिला के रामपुर से कुल्लू जिला के निरमंड होकर बागीपुल और जाओं तक गाड़ियों और बसों में पहुंचना पड़ता है। जहां से आगे करीब तीस किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है।

शिमला से रामपुर - 130 किमी

रामपुर से निरमंड - 17 किलोमीटर

निरमंड से बागीपुल - 17 किलोमीटर

बागीपुल से जाओं - करीब 12 किलोमीटर

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