शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास

Tripoto
3rd Dec 2020
Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav
Day 1

देश में ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं जहाँ शिव जी अपने विभिन्न रूपों में विराजमान हैं। आज हम आपको शिव जी की एक ऐसी ही गुफ़ा के बारे में बताने जा रहे हैं जो बहुत ही प्राचीन और प्रसिद्ध है। बता दें जिस गुफ़ा की हम बात कर रहे हैं वो शिवालिक पर्वत की श्रृंखलाओं में स्थित है, जहाँ प्रकृति-निर्मित शिवलिंग और अन्य दुर्लभ प्रतिमाएं स्थापित हैं। कहा जाता है ये प्राकृतिक गुफ़ा हर शिवभक्त के लिए बहुत मायने रखती हैं।

जम्मू-कश्मीर राज्य के जम्मू से कुछ दूरी पर स्थित है रयासी में ही भगवान शिव का घर कहे जानेवाली शिवखोड़ी गुफा स्थित है। इससे जुड़ी सबसे हैरानी वाली बात ये है कि इसी गुफा का दूसरा छोर अमरनाथ गुफा में खुलता है। यही कारण है कि शिवखोड़ी शिव भक्तों की आस्था का केंद्र बिंदु माना जाता है।

इस चमत्कारी गुफ़ा में देवों के देव महादेव भोलेनाथ अपने परिवार के साथ विराजते हैं। कहा जाता है कि शिवखोड़ी गुफ़ा के दर्शन करने जाने के लिए अप्रैल से लेकर जून तक का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है। क्योंकि इस दौरान यहाँ का मौसम बेहद सुहावना और ठंडा रहता है। इसके बारे में कहा जाता है कि प्रकृति की गोद में बसी हुई यह एक ऐसी दुर्लभ जगह है, जहाँ अपने आप ही आदिकाल से ही लेकर अब तक भगवान शिव की महिमा बनी हुई है।

Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav
Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav

शिवखोड़ी गुफा का रहस्य

भगवान शिव का निवास कही जाने वाली शिव खोड़ी गुफा 3 मीटर ऊंची और 200 मीटर लंबी है। यह गुफा 1 मीटर चौड़ी और 2 से 3 मीटर ऊंची भी है।इसके अलावा इस गुफा में कई प्राकृतिक चीजें हैं जैसे नंदी की मूर्ति, पार्वती की मूर्ति आदि। सबसे हैरत की बात है कि इस गुफा की छत पर सांप की आकृति भी बनी हुई है, जो अपने आप ही यहाँ बनी है।इस पवित्र गुफा से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी यहाँ के स्थानीय लोगों के बीच काफी प्रचलित है। जिसके अनुसार इस गुफा को स्वयं भगवान शंकर ने बनाया था।कथा के अनुसार भस्मासुर ने तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था। तब भस्मासुर ने शिव से यह वर पाया कि वह जिसके भी सिर पर हाथ रखे, वह भस्म हो जाए।लेकिन वे भस्मासुर की अगली मंशा से अवगत नहीं थे। वर मिलते ही भस्मासुर भगवान शिव पर ही हाथ रखकर उन्हें भस्म करना चाहता था।इस दौरान भगवान शंकर और भस्मासुर में भीषण युद्ध हुआ। युद्ध के बाद भी भस्मासुर ने हार नहीं मानी। तब भगवान शंकर वहाँ से निकलकर ऊंची पहाड़ी पर पहुंचे और एक गुफा बनाकर उसमें छि पे।माना जाता है कि शिव खोड़ी की यह गुफा वही गुफा है जहां आकर भगवान शिव छिपे थे। उनके छिप जाने के बाद भगवान विष्णु वहाँ सुंदर स्त्री का रूप लेकर आए, जिसे देख भस्मासुर मोहित हो गया।सुंदरी रूप में विष्णु के साथ नृत्य के दौरान भस्मासुर शिव का वर भूल गया और अपने ही सिर पर हाथ रख कर भस्म हो गया।

शिव खोड़ी की इस पवित्र गुफा में रोजाना हजारों श्रद्धालु मन्नत मांगने आते हैं। कहा जाता है कि जो भी सच्चे दिल से, बिना मन में कपट रखे यहां आकर मन्नत मांगता है, भगवान शिव उसे अवश्य वरदान देते हैं।

Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav
Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav
Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav

अमरनाथ गुफा और शिव खोड़ी

इसके पीछे मान्यता है इस गुफा का अमरनाथ गुफा से ही संबंधित होना। कहा गया है कि गुफा का दूसरा छोर बाबा अमरनाथ जी की गुफा में जाकर ही खुलता है। लेकिन यह कितना सच है इसका पता लगाने के लिए इसके भीतर कोई नहीं जाता।

Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav
Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav

दूध सा सफ़ेद जल

माना जाता है कि शिवखोड़ी गुफ़ा में समस्त 33 कोटि देवी-देवता निवास करते हैं। बता दें कि यह स्थान जम्मू से करीब 140 कि.मी. एवं कटरा से 85 कि.मी. दूर उधमपुर ज़िले में स्थित है। रनसू (रणसू) से शिवखोड़ी की गुफ़ा करीब 3.5 कि.मी. दूर रह जाती है। यहां से पैदल व खच्चर के द्वारा बाबा भोलेनाथ की यात्रा प्रारंभ हो जाती है। इसके अलावा रनसू से थोड़ा आगे चलने पर लोहे का एक छोटा सा पुल आता है, जो नदी पर बना हुआ है। लोक मान्यता के अनुसार इस नदी को दूध गंगा कहते हैं। इससे जुड़ी किंवदंति के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन इस नदी का जल स्वतः ही दूध के समान सफ़ेद हो जाता है।

Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav
Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav
Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav
Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav
Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav

कैसे पहुँचे

शिवखोड़ी की प्राकृतिक गुफा संगड़ की पहाड़ियों में स्थित है। पुरानी गुफा से भीतर जाने का रास्ता काफी संकरा और टेढ़ा-मेढ़ा है। वहां से खड़े होकर अथवा बैठ कर ही निकला जा सकता है। लगभग तेरह वर्ष पहले कोंकण रेलवे की तरफ से एक नई गुफा का निर्माण किया गया, जिससे श्रद्धालु किसी भी प्रकार से अंदर जा सकते हैं। शिवखोड़ी के आधार शिविर रनसू से जम्मू, कटड़ा, उधमपुर या फिर अन्य किसी भी स्थान से किसी भी वाहन के जरिये पहुंचा जा सकता है। आधार शिविर से गुफा तक पौने चार किलोमीटर की सरल चढ़ाई है। इसके अलावा घोड़ा पालकी की भी सेवा ली जा सकती है।

श्री शिवखोड़ी श्राइन बोर्ड रनसू की तरफ से पैदल ट्रैक पर सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी हैं। यहाँ पानी की व्यवस्था के साथ ही शौचालय भी बनाए गए हैं। गुफा के बाहर पांच मंजिला इमारत बना कर कमरे बनाए गए हैं। इसके साथ ही लॉकर की भी व्यवस्था की गई है। महाशिवरात्रि के मौके पर यहाँ प्रतिवर्ष दो लाख श्रद्धालु आते हैं, जिसके लिए पूरे इंतजाम किए गए होते हैं।

Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav
Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav
Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav
Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav
Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav
Photo of शिवखोड़ी :जहाँ है अलौकिक शक्तियों का वास और स्वयं महादेव करते है निवास by Priya Yadav

कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।

अपनी यात्राओं के अनुभव को Tripoto मुसाफिरों के साथ बाँटने के लिए यहाँ क्लिक करें।

बांग्ला और गुजराती के सफ़रनामे पढ़ने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।

रोज़ाना Telegram पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।

Further Reads