भारत में कई आश्चर्यचकित कर देने वाली जगह है जो आज भी वैज्ञानिकों के लिये शोध का विषय बनी हुई है। ऐसा ही एक स्थान है जो दिल्ली से महज 60 किमी और गुड़गांव से 25 किमी. दूर अरावली की तलहटी में बसा सोहना कस्बा। यहाँ एक ऐसा कुण्ड है जिसके बारे में कहा जाता है की यहाँ स्नान ओ0०करने से त्वचा संबंधी सभी रोग खत्म हो जाते हैं। इस कुण्ड को शिव कुण्ड कहते है।
इस मंदिर की प्रसिद्धि का प्रमुख कारण है की इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से गर्म पानी निकलता है। वैज्ञानिकों का मानना है की प्राकृतिक रूप से निकलने वाले जल में गंधक होता है जो त्वचा संबंधित रोग जैसे एक्जीमा, चर्म रोग, कुष्ठ रोग, खाज, खुजली आदि ठीक हो जाते है। कुछ लोगों का तो ये भी कहना है कि जोड़ों का दर्द आदि भी ठीक हो जाता है।
दूसरी ओर शिव भक्तों का कहना है कि इस कुण्ड पर शिव भगवान की विशेष कृपा और आशीर्वाद है। यही कारण है कि इस कुण्ड से निकलने वाला गर्म जल चर्म रोगों में लाभ पहुंचाता है।
माना जाता है कि राजा सावन सिंह ने अरावली पहाड़ों की तलहटी में, 900 साल पहले, ये रमणीक शहर सोहना को बसाया था। करीब 500 साल पहले एक चतुर्भुज नाम के एक बंजारे ने इस गर्म जल की खोज की और गुबंद बनवाई थी। लोगों की भी आस्था इस कुंड से जुड़ने लगी। मंदिर, भवन बनवाए और तभी से इस कुंड का नाम शिव कुंड पड़ गया।
55 फीट गहराई से यह गर्म पानी निकलता है जो एक कुण्ड में एकत्र होता है। इस प्राकृतिक कुण्ड का ऊपर से कवर कर दिया गया है। इस मंदिर मुख्य कुण्ड के पानी को छोटे छोटे अलग अलग कुण्डों में डाला जाता है। महिलाओं और पुरूषों के स्नान करने के लिए अलग-अलग कुण्ड है।
स्नान की व्यवस्था भी बहुत अच्छी तरह से की गई है। वी आई पी स्नान, 5 लोगों का समूह स्नान और कुण्ड में एक साथ नहाने का बहुत साधारण चार्ज करते है। बुकिंग के लिये आपको पर्ची कटवानी पड़ती है। आपको अपनी बारी के लिए 20-30 मिनट इंतजार करना पड़ता है।
रात में ठहरने के लिए भी वी आई पी और साधारण कमरे उपलब्ध है।
मंदिर के सामने गली में खाने-पीने की उचित व्यवस्था है।
सर्दियों में स्नान करने का समय ज्यादा अच्छा है। गर्मियों में इस कुण्ड के गर्म पानी में नहाना बहुत मुशिकल काम है।
सोमवती अमावस्या, फगुन और सावन के महीनों के दौरान बड़ी संख्या में लोग इस कुण्ड में स्नान के लिए आते है। शिवरात्रि के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
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