शिमला से 45 किलोमीटर दूर बसी इस जगह पर मैंने कुछ यूँ लिया घुमक्कड़ी का अनोखा एहसास

Tripoto
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हफ्ते के खत्म होते-होते सभी नौकरी करने वाले लोगों को हैंगोवर जैसा महसूस होने लगता है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। हर बार की तरह शुक्रवार को शाम के समय मैं अपने कुछ अच्छे दोस्तों के साथ बैठकर बोरियत भरी जिंदगी के बारे में बातें कर रही थी। हम सब एक दूसरे को पूरे हफ्ते की थकान के बारे में बता रहे थे। हम सबके मन में बस एक बात थी। कैसे हम सबकी जिंदगी बोरिंग हो गई है। बस कुछ ही देर में चीजें हाथ से निकल गईं और सच्चे दिल्लीवालों की तरह हमने भी अगली सुबह शिमला जाने का बढ़िया प्लान बना डाला। हमने प्लान तो बना लिया लेकिन अब हमारे सामने एक और दिक्कत थी। शिमला जाने के लिए हम सबको अपने-अपने ऑफिसों से सोमवार की छुट्टी लेनी थी। लेकिन कहते हैं ना जब इरादा पक्का हो तो आप कुछ भी कर सकते हैं। हम सबने भी किसी तरह बहाने बनाकर ऑफिसों से छुट्टी ली और बन गया एक शानदार वीकेंड हॉलिडे का प्लान।

अगली सुबह हम शिमला की वादियों में थे। हम अब भी शिमला से कुछ 50 किमी. दूर ही रहे होंगे कि हमें एक बड़ा-सा लेकिन फीका पड़ चुका बोर्ड दिखाई दिया। बोर्ड पर लिखा था "भारत के मशरूम कैपिटल में आपका स्वागत है"। हम सब गाड़ी में चल रहे म्यूजिक की मस्ती में इतना खो चुके थे कि इस बोर्ड से पहले हमने किसी और चीज पर इतना ध्यान नहीं दिया था। लेकिन इस बोर्ड ने हमारा ध्यान अपनी तरफ खींच लिया। हमने सड़क के किनारे बनी एक चाय की टपरी पर रुकने का फैसला किया और जैसे ही हम सब गाड़ी से नीचे उतरे ऐसा लगा मानो हम एक अलग दुनिया में आ चुके थे। चारों तरफ खूबसूरती ही खूबसूरती थी। मौसम इतना सुहाना था कि किसी का भी दिल खुश हो जाए। पंछियों की आवाज से पूरा इलाका चाचहा उठा था। देवदार के पेड़ों को छूकर आती हल्की ठंडी हवा के बीच कड़क इलायची वाली चाय पीने का मजा ही कुछ अलग था। हमने चायवाले से उस जगह के बारे में पूछा। उसने बताया हम सोलन नाम के शहर में हैं। सोलन हिमाचल का वो शहर है जो अपने मशरूम के बागानों और लोकल हिमाचली माल्ट व्हिस्की के लिए जाना जाता है। बस फिर क्या था मशरूम और व्हिस्की का नाम सुनते ही हमने सोचा शिमला फिर कभी आ जाएंगे। इस बार सोलन का मजा लेना चाहिए।

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सोलन क्यों आएँ?

कहते हैं पहाड़ों में आप अलग तरह की शांति महसूस करते हैं और सोलन पहाड़ों की इस खूबी का सबसे बढ़िया उदाहरण है। भारत में अगर पहाड़ी राज्यों की बात की जाए तो सबसे पहला नाम हिमाचल प्रदेश का आता है। हिमाचल के पहाड़ सबको अपनी तरफ आकर्षित करते हैं और इसी वजह से ये सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी है। हिमाचल में ऐसी बहुत सारी जगहें है जहाँ से आप हिमालय के सीधे और साफ नजारे देखने का आनंद ले सकते हैं। इनमें सबसे लोकप्रिय जगह है हिमाचल की राजधानी शिमला। लेकिन सच कहें तो शिमला में अब वो बात नहीं रही जो पहले के समय में रहा करती थी। दिल्ली में बचपन बिताने की वजह से मेरे पास शिमला से जुड़ी हुई बहुत यादें हैं। दिल्लीवालों के लिए शिमला घर जैसा हो गया था। लेकिन इस शहर ने आधुनिकता की रफ्तार इतनी तेजी से पकड़ी कि अब शिमला में गंदगी, भीड़ और महंगे होटलों के अलावा कुछ नहीं है।

वहीं दूसरी तरफ सोलन अब भी ऐसी भीड़ से बचा हुआ है। शानदार वादियों के गोद में बसी ये जगह इतनी खूबसूरत है कि आपका मन मोह लेगी। सोलन को साफ और सही तरीके से रखने में यहाँ के लोगों की भी बड़ी भूमिका है। शिमला के इतने पास बसे होने के बावजूद सोलन में सरलता और ब्रिटिश छवि को आज भी जिंदा रखा गया है।

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यहाँ के लोगों का अपनी संस्कृति और परम्पराओं के तरफ लगाव बिल्कुल भी कम नहीं हुआ है। अगर आप सोच रहे हैं कि सोलन में आपको बहुत भीड़ मिलेगी तो ऐसा एकदम नहीं है। सोलन की यही खूबी मुझे बहुत पसंद आई।

अगर आप सोच रहे हैं कि सोलन में आप बोर हो जाएंगे तो ऐसा नहीं होगा। यहाँ करने के लिए ऐसी बहुत चीजें हैं और उनमें से कुछ मैं आपको बता देती हूँ।

1. खेतों में काम करें: भारत का मशरूम कैपिटल होने की वजह से सोलन में मशरूम के बहुत सारे खेत हैं। आप खेतों में जाकर मशरूम उगाने और उससे जुड़ी जानकारी ले सकते हैं। यकीन मानिए यहाँ मशरूम की इतनी वैरायटी है कि आप विश्वास नहीं करेंगे।

2. व्हिस्की बनते हुए देखें: सोलन ब्रूअरी देश की सबसे पुरानी जगहों में से है जिसको 1855 में खोला गया था। ये ब्रूअरी सोलन की लोकल और सबसे फेमस माल्ट सोलन नंबर 1 का घर है। फिलहाल इस ब्रूअरी को डिस्टिलरी में बदल दिया गया है। आप इन भट्टियों में घूम सकते हैं और शराब को बनते हुए भी देख सकते है।

3. शांति और सुकून: अगर आप अपनी ट्रिप पर कुछ ऐसे पल भी चाहते हैं जिनमें आप शांति से बैठ सकें तो आपको सोलन के शूलिनी माता मंदिर में आना चाहिए। सोलन की लोकल देवी शूलिनी के नाम पर बना ये मंदिर इस इलाके के सबसे पुराने और फेमस मंदिरों में से है।

4. शॉपिंग करें: सभी पहाड़ी शहरों की तरह सोलन में भी मॉल रोड है। अगर आप अपने परिवार और दोस्तों के लिए कुछ पहाड़ी यादें बटोरना चाहते हैं तो आपको मॉल रोड से अच्छी जगह नहीं मिलेगी। इस इलाके में तिब्बती बाजार भी है तो अगर आपको बारगेन करना आता है तो आपको यहाँ जरूर आना चाहिए।

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क्या खाएँ?

अगर आप पारंपरिक हिमाचली खाने का स्वाद लेना चाहते हैं तो सोलन आकर आपकी ये भूख शांत हो जाएगी। मेरे अंदर के किसी कोने में भी फूडी इंसान है। इसलिए जब मेरे दोस्तों ने दोपहर की नींद लेना सही समझा मैंने बाहर निकलकर खाने की दुनिया एक्सप्लोर करने का फैसला किया।

1. मॉडर्न ढाबा: सोलन बस अड्डे के ठीक सामने बसा ये ढाबा पूरे सोलन का सबसे प्रसिद्ध ढाबा है। यहाँ सोलन के सबसे अच्छे आलू पराठे मिलते हैं। पराठे के साथ हरी चटनी खाकर आपका मन खुश हो जाएगा।

2. हिमानी रिजॉर्ट्स: इस रिजॉर्ट के अंदर एक रेस्त्रां है जहाँ हिमाचली और नॉर्थ इंडियन खाना परोसा जाता है। खाना इतना स्वादिष्ट होता है कि आप उंगलियाँ चाटते रह जाएंगे। इसके अलावा अगर किस्मत अच्छी रही तो आपको रूफ टॉप पर बैठकर खाना चाहिए। सोलन के बेहतरीन नजारों को देखते हुए बटर चिकन, मशरूम मटर और मटन रोगन जोश खाने का एहसास ही अलग है।

3. प्रेमजी: लाजवाब खाना खाने के बाद मॉल रोड पर बसी इस दुकान पर आना चाहिए। अगर आप सोलन की सबसे अच्छी मिठाइयाँ खाना चाहते हैं तो प्रेमजी बेस्ट जगह है। सोलन में लैंडमार्क बन चुकी इस दुकान में शहर के सबसे स्वादिष्ट गुलाब जामुन मिलते हैं जिन्हें आपको जरूर खाना चाहिए।

कैसे पहुँचें?

सोलन आने के लिए सबसे बढ़िया ऑप्शन है पहले दिल्ली आइए। दिल्ली से सोलन जाने के लिए बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं इसलिए आपको दिक्कत नहीं होगी।

रोड से: सोलन दिल्ली से नेशनल हाईवे 1 के जरिए अच्छी तरह जुड़ा हुए है। इस 310 किमी. लंबे सफर को तय करने में लगभग 7 घंटों का समय लगता है।

ट्रेन से: अगर आप ट्रेन से आना चाहते हैं तो दिल्ली-कालका शताब्दी सबसे सेफ और अच्छा ऑप्शन है। कालका स्टेशन से आप कालका-शिमला टॉय ट्रेन लेकर आसानी से सोलन आ सकते हैं। ये ट्रेन पहाड़ों के बीच से गुजरती है और पूरा रास्ता बेहद खूबसूरत नजारों से भरा हुआ है।

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श्रेय: जनरलाइजिंग

फ्लाइट से: शिमला एयरपोर्ट सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है जो सोलन से दो घंटे दूर है।

कहाँ ठहरें?

मयूर होटल बार एंड रेस्तरां ।

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श्रेय: मयूर होटल

मंगलवार की सुबह मैं ऑफिस में जरूर थी लेकिन मेरा मन और दिल सोलन की वादियों में रह गया था।

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