पूर्वोत्तर भारत प्राकृतिक सुंदरता को लेकर पर्यटकों के बीच ख़ासा लोकप्रिय है। पहाड़ों, नदियों, जंगलों से होते हुए जब आप बादलों की सैर पर होते हैं तो जनाब आप मेघालय में होते हैं। मेघालय को बादलों का घर बताया गया है, जहाँ मेघ जमकर अपना प्यार लुटाते हैं। कभी असम सहित पूरे नार्थ ईस्ट का केन्द्र बिंदु रहा शिलांग शहर मेघालय की राजधानी है। शिलांग ऐसा हिल स्टेशन है, जहाँ आप चारों ओर से पहुँच सकते हैं। यूँ तो इसका नाम स्थानीय देवता यू-शिलांग के नाम पर रखा गया, लेकिन खूबसूरती के कारण ब्रिटिश इसे 'पूर्व का स्कॉटलैंड' कहा करते थे!
समुद्र तट से शिलांग की ऊँचाई लगभग 1,491 मीटर है तो वहीं इसका उच्चतम बिंदु 6,449 फीट पर है। नार्थईस्ट का प्रवेश द्वार गुवाहाटी से मात्र 100 किलोमीटर की दूरी पर शिलांग में बादलों ने अपना घर बनाया है। आइए जानते हैं कि यहाँ और क्या कुछ है ख़ास जो कि इसे घुमक्क्ड़ों का चहेता बनाता है।
शिलांग गोल्फ कोर्स
जानकारी हो कि शिलांग हाल के दिनों तक असम की राजधानी थी। उन दिनों मेघालय असम का हिस्सा हुआ करता था। जब 21 जनवरी 1972 को मेघालय राज्य के रूप मेंअस्तित्व में आया तो शिलांग इसकी राजधानी बनी। ब्रिटिश जमाने में इसे गर्मी के दिनों में बेहतरीन गंतव्य माना जाता था। लिहाजा आज भी यहाँ उसकी झलक दिखती है। 1898 में स्थापित शिलांग गोल्फ कोर्स जाकर आप ब्रिटिश वास्तुकला देख सकते हैं। बता दें कि ये गोल्फ कोर्स भारत के 3 सबसे पुराने गोल्फ़ कोर्सों में शुमार है। शिलांग भ्रमण की शुरुआत आप इस गोल्फ कोर्स से कर सकते हैं।
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उमियाम झील
प्रकृति ने शिलांग को बड़े मन से सजाया है। यही कारण है कि संसाधनों के मामले में भी ये शहर धनी है। उमियाम नदी पर बिजली उत्पादन को लेकर बांध बनाया गया था जिसके कारण झील का निर्माण हो गया। इस तरह मानव निर्मित ये झील वाटर स्पोर्ट्स, एडवेंचर स्पोर्ट्स और पिकनिक का अड्डा बन चुका है। ये झील बारापानी के नाम से जाना जाता है और पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है। इसके साथ ही वार्ड की झील भी एक बेहतरीन पिकनिक मनाने की जगह के रूप में फेमस है।
शिलांग पीक
ये शहर का सबसे ऊँचा स्थान है, जहाँ से पूरे शहर को निहारा जा सकता है। समुद्र तल से 6449 फीट की ऊँचाई पर पर्यटक शानदार दृश्य देखकर फूले नहीं समाते! यहाँ से सैलानी दूरबीन के द्वारा पक्षियों को देखते हैं तो वहीं कोहरे से घिरा आसमान अद्भुत दिख पड़ता है। रात के समय जब शहर रौशनी से सराबोर होता है तो लगता है कि तारों से भरे आसमान को जैसे आँखों के सामने से देख पा रहे हों!
झरने ही झरने
शिलांग में बड़ी संख्या में झरने पाए जाता है लिहाजा इसे झरनों का शहर भी कहा जाता है। यहाँ का हाथी झरना, मीठा झरना ज़रूर देखने जाएँ। हाथी झरना ऊपरी शिलांग में वायुसेना के पूर्वी कमान के पास स्थित है। यहाँ छोटे-छोटे झरने को एक साथ नीचे उतरते देख सकते हैं। इसके हाथी जैसे लुक को देखते हुए अंग्रेज इसे एलीफेंट फॉल्स कहा करते थे। हालांकि 1897 में आए भूकम्प ने इसे डैमेज कर दिया है लेकिन फिर भी इसे पूर्वोत्तर के सबसे लोकप्रिय झरनों में शुमार किया जाता है। वहीं हैप्पी वैली से 5 कि.मी. दूर स्वीट फॉल्स या मीठा झरना बेहतरीन पिकनिक स्पॉट है। इसके अलावा स्प्रेड ईगल फॉल्स, जकार्म फाल्स, नोहसिंगिथियांग फॉल्स भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं!
मौलिन्नोंग
शिलांग की यात्रा पर हों तो 'क्लीनेस्ट विलेज इन इंडिया' रूप में मशहूर मौलिन्नोंग गाँव ज़रूर देखने जाएँ। साल 2003 में इस गाँव को एशिया के सबसे साफ-सुथरे गाँव के रूप में दर्ज किया गया। तभी से सैलानी इसे देखने आने लगे। यहाँ शत-प्रतिशत लोग साक्षर और कृषि में लगे हुए हैं। इस गाँव को ‘गॉड्स ऑन गार्डन’ भी कहते हैं। यहाँ के लोगों की जीवनशैली और सफाई के प्रति लगाव को देखने, उसे समझने लोग आते रहते हैं।
डॉन बॉस्को संग्रहालय
पूर्वोत्तर की सम्पूर्ण संस्कृति, जनजीवन और इतिहास को जानने के लिए डॉन बॉस्को संग्रहालय ज़रूर जाएँ। यहाँ सामूहिक जानकारी को एक जगह रखा गया है जिसमें एक थीम संग्रहालय, पहनावा, हैंडीक्राफ्ट, कलाकृति, हथियार, रेयर तस्वीर आदि देखने को मिलता है। सात मंजिला बिल्डिंग वाला डॉन बॉस्को जानकारी का खज़ाना है।
चेरापूँजी
धरती का सबसे नम स्थान भारत में ही है और वो चेरापूंजी है। पहाड़ों, झरनों से भरा ये इलाका पूरी दुनिया में अपनी इस खासियत के लिए जाना जाता है। यहाँ से उस पार बांग्लादेश को निहार सकते हैं। सैलानियों के लिए जनजातीय जीवनशैली को देखने का ये के बेहतरीन मौका होता है। जानकारी हो कि इसे अब आधिकारिक रूप से सोहरा के नाम से जाना जाता है जो कि स्थानीय नाम है। यहाँ मॉस्मई गुफाएँ, नोहकालिकाई झरना आदि चेरापूंजी में देखने लायक जगह है।
इन स्थानों के अलावा भी शिलांग में कदम-कदम पर टूरिस्टों के लिए देखने की जगहें मौजूद हैं। आप जितना अधिक एक्सप्लोर करेंगे उतने ही अधिक जगहों के बारे में जान पाएँगे। डेंगी पीक, कैलांग रॉक, गारो हिल्स, खासी हिल्स, तितली संग्रहालय, सोहपेटबिनेंग, वायु सेना संग्रहालय, जयंतिया हिल्स, लेडी हैदरी पार्क, मज्जिमुबिन गुफा, लेटलम कैन्यनस, ऑल सेंट्स चर्च, राइनो हेरिटेज म्यूजियम आदि अनेक जगहों पर आप जा सकते हैं!
कब और कैसे जाएँ
शिलांग घूमने के लिए अप्रैल से जून के बीच गर्मी के दिनों में जाना बेहतरीन होता है। ठहरने के लिए यहाँ लो बजट से शुरू होकर एक से एक होटल या हॉस्टल मिलते हैं जो आप ऑनलाइन भी बुक कर सकते हैं।
हवाई मार्ग से जाएँ तो गुवाहाटी या फिर बारापानी के पास उमरोई हवाई अड्डा पहुँच सकते हैं। गुवाहाटी से शिलांग 100 कि.मी. है इसलिए यहाँ आना बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है। रेल से भी गुवाहाटी आकर फिर बस या टैक्सी से शिलांग पहुँचा जा सकता है। सड़क से भी गुवाहाटी होते हुए शिलांग आना संभव है।
शिलांग आकर लोकल जायके का आनंद लें जिनमें मोमोज, जलेबी, तुंगरीम्बाई, डोनिंग, चाउमीन, पाइनएप्पल, स्मोक्ड मीट, दोह खलीह, पुखलीन आदि मिलते हैं। कुल मिलाकर नेचर की ब्यूटी से लबालब शिलांग बेहतरीन अनुभूति देने के लिए आपके स्वागत में खड़ा है!