VAN VIHAR & SHAURYA SAMARAK TOUR.... नमस्कार दोस्तो,पिछली पोस्ट में आपने भोपाल आगमन और VAN VIHAR भ्रमण का पढ़ा होगा अगर नहीं पढ़ा है तो शुरुआती अक्षर पिछली पोस्ट में Click करके आप पढ़ सकते हैं।VAN VIHAR में पूर्णतः आनंदित होकर हम शौर्य स्मारक आए। यह पहला ही मौका था जब मैं यहां आप आई वरना शौर्य स्मारक के बारे में पढ़ा सुना तो बहुत था पर यहां आने का मौका नहीं मिल पाया।
जब देश में सेना और सैनिकों की बात होती है तब से सबसे पहले उनकी शहादत और कुर्बानी को ही याद किया जाता है और जब शहीदों को याद करते हैं तो केवल India Gate ही याद आता है जिसे First World War के समय अंग्रेजों द्वारा बनवाया गया था किंतु जब स्वतंत्र भारत का इतिहास देखते हैं तो हमें किसी भी प्रकार ऐसा स्थान नहीं मिलता है जहां सभी शहीदों को एक साथ स्थान प्राप्त हो।
इसी के मद्देनजर मध्य प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा राजधानी भोपाल में शौर्य स्मारक का निर्माण कराया वाकई सराहनीय है। भोपाल के अरेरा हिल्स में लगभग 12.6 एकड़ भूमि में शौर्य स्मारक का निर्माण किया गया है, जहां देश के सभी वीरों और शहीदों को उचित व सम्मानीय स्थान दिया गया है।
इसका उद्घाटन 14 अक्टूबर 2016 को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया है इसके साथ ही यह एक ऐसी कोशिश है जिसके द्वारा देश के नागरिकों को सैनिकों और शहीदों से रूबरू कराया जा सके। शौर्य स्मारक बाहर से जितना Simple और सौम्य था अंदर से उतना ही आकर्षक और मनमोहक। Sourya smarak के Entry Gate से हम finally अंदर आ गए। हम यहां 15 अक्टूबर 2017 को आए थे अर्थात लगभग पहली वर्षगांठ पर, वाकई हम सही समय पर आए थे। इस समय यहां Entry Fee नहीं लग रही थी केवल कैमरे का ही charge देना था। खैर जैसे ही हम अंदर आये शानदार गीत प्रस्तुति से ही हमारा स्वागत हो रहा था एक तो इतनी राष्ट्रीयता से परिपूर्ण परिवेश ऊपर से राष्ट्र को समर्पित गीतों की अद्भुत बेला... वाकई यह तो अविस्मरणीय हो गया। अंदर एकदम अलग ही नजारा था जहां बाहर की तरह शहर की मुख्य सड़कें थी वहीं अंदर खूबसूरत प्राकृतिक वातावरण..... वाकई में शहर की लंबी चौड़ी सड़कें और गांव के लंबे लंबे पेड़ दोनों को मिश्रण देखने को भोपाल में ही मिलता है जो शहर के शोरगुल वाले माहौल में मन को एक अपार शांति प्रदान करता है। हम अब वापस शौर्य स्मारक में आ जाते हैं। शौर्य स्मारक की परिकल्पना और इसका निर्माण अद्भुत है।
मुख्य द्वार से जब हम अंदर आते हैं तो एक तरफ खुला हुआ रंग मंच (ऑडिटोरियम) बना हुआ है वहीं सामने शानदार सा गार्डन है कुछ समय रंगमंच में हो रहे गीतों का आनंद लेकर हम आगे बढ़े।
आगे तीन सेनाओं से संबंधित एक संग्रहालय का निर्माण किया गया है संग्रहालय वाकई बहुत अचंभित करने वाला था अगर आप अपने अंदर के देश प्रेम और भारतीय सेना के इतिहास को जानने के इच्छुक हैं तो आपको यहां एक बार अवश्य आना चाहिए।
संग्रहालय की प्रवेश वीधिका में विभिन्न चित्र और तस्वीरों के माध्यम से प्राचीन से लेकर आधुनिक इतिहास का सविस्तार चित्रण किया गया है।
इसके पश्चात भारत के समस्त राष्ट्रपतियों के चित्रों को प्रदर्शित किया गया है जो कि भारत की लोकतांत्रिकता के प्रतीक स्वरूप लग रहे थे।
इसके साथ ही यहां पर अब तक के सभी थल सेना, जल सेना और वायु सेना प्रमुखों के चित्रों को भी प्रदर्शित किया गया है
इसके पश्चात भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन युद्धों के चित्रों को भी इसमें प्रदर्शित किया गया था। इसके पश्चात 1999 में हुए कारगिल युद्धों को भी यहाँ सम्मिलित किया गया था।
इसके पश्चात यहां से आगे इसके पश्चात यहां सियाचिन ग्लेशियर का भी निर्माण किया गया था यहां बिल्कुल सियाचिन की तरह ठंड थी। साथ ही बर्फ की चादर भी हमें स्वयं की उपस्थिति सियाचिन में महसूस करा रही थी।
यहां आकर यहां की ठंड को महसूस करके ही समझ आया भारतीय सैनिक कितने कष्टो को सहकर देश की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं।
और आगे बढ़ने पर हमें हमारे सैनिकों को उनके द्वारा किए गए कार्य हेतु मिले पदको की बेला मिली अर्थात यहां परमवीर चक्र प्राप्त सभी सैनिकों की तस्वीरें प्रदर्शित थीं जिसे देख कर मन प्रफुल्लित तो हुआ पर मन में उनकी यादें नमी भी ला गई।
आखिर आज इन के कारण ही तो हम इसे सुरक्षित और बेफिक्र जीवन जी रहे हैं
इसके बाद आगे बढ़ने पर हमें भारतीय थल सेना के टैंक, मिसाइल, नौसेना के युद्धपोत, विमान वाहक पोत, पनडुब्बियों के साथ वायु सेना के युद्धक विमान आदि के मॉडल दिखाई दिए जो भारतीय सेना की सफलता को बयां कर रहे थे।
इसके पश्चात हम युद्ध के रंगमंच नामक खुले मैदान में आते हैं यहां द्वार में एक दीप भी प्रचलित है यही भारतीय सैनिकों के सम्मान का सूचक है
इसके पश्चात हम संग्रहालय परिधि से बाहर आ गए यहां तीनों सेनाओं के सैनिकों की याद और सम्मान में एक स्मारक बनाया गया है जिसमें डिजिटल ज्योति प्रज्ज्वलित है
इसके अलावा शहीदों को सम्मान और श्रद्धांजलि देने के लिए बूट और बंदूक के चिन्ह भी इस परिसर में उपस्थित हैं
इसके बाद इसके बाद हम लाल रंग के एक स्मारक की तरफ आए जो शायद नमस्कार का प्रतिरूप था या फिर A Drop of Blood का प्रतिरूप, खैर जो भी है यह बहुत अच्छा और खूबसूरत था।
इस शौर्य स्मारक में देशभक्ति से ओतप्रोत होकर घूमते घूमते कब शाम हो गई पता ही नहीं चला। वाकई शौर्य स्मारक में आकर यहां का संग्रह, शहीदों की कुर्बानी का स्मारक देख कर मन को जितनी खुशी और गर्व महसूस हुआ उसे सारे शब्दों में बयां कर पाना थोड़ा मुश्किल है, पर वाकई आज भारतीय होने पर इतना गर्व महसूस हुआ क्योंकि मैं एेसे देश की नागरिक हूं जहां के नागरिकों की रक्षा का दायित्व एक ऐसी सेना के हाथों में है जो देश की खातिर कुछ भी करने को तत्पर हैं।
इस प्रकार यह यात्रा यहीं समाप्त होती है परंतु यहां यात्राओं का सफर जारी रहेगा। आशा करती हूं आपको यह POST अवश्य पसंद आया होगा अगर आप किसी भी तरह का सुझाव देना चाहते हैं तो आपके सुझाव सादर आमंत्रित है