श्री खण्ड महादेव पंच कैलाश में से एक है और लगभग 18000 ft कि ऊंचाई पर स्थित है । यह यत्रा विश्व की कठोरतम धार्मिक यात्राओं में से एक है ।
हमारी यात्रा आरंभ होती है चंडीगढ से । जहा से हम जाओं नामक एक गांव की ओर प्रयाण करते है । यह गांव शिमला से लगभग 150 Km दूर है और इस यात्रा का आरंभ स्थल है ।
जेसे जेसे हमारी गाडी आगे बढ़ती है हम शहर की भीडभाड से दूर शिमला कि मनोहर वादियों मे आते हैं । शिमला से रामपुर बुशहर सतलुज नदी का अद्भुत नज़ारा देखते हुए हम जाओं की ओर बढते है और शाम को पहुंच जाते हैं।
जाओ के होम स्टे में खाना खाने के बाद हमारे गाइड विशाल ठाकुर द्वारा ब्रीफिंग होता है।
दूसरे दिन सुबह नाश्ता करने के बाद हर हर महादेव के नाद के साथ हम यात्रा आरंभ करते हैं । जाओं से सिंघाड होते हुए बराहटी नाला पहुंचते हैं जो कि लगभग 8000 ft की ऊंचाई पर है । यहां से डाण्डी कि धार रुपक खरी चढाई पार करते हुए लगभग 11 घंटो में थांचडू पहुंचते हैं जहां यात्रा का अगला पडाव है जो 12000 ft पर स्थित है ।
अगले दिन सुबह थांचडू से काली टॉप होते हुए भीम द्वार जाते है। काली टॉप एक अत्यंत ही खरी चढ़ाई है जो लगभग 70° है । वहा से मां काली के दर्शन करके हम आगे बढ़ते है। कुछ घंटों के ट्रेक के बाद हम भीम द्वार पहुंचते हैं। थांचडू से भीम द्वार लगभग 10 घंटों का ट्रेक है जो 14500 ft की ऊंचाई पर है। ऐसा कहा जाता है इसी जगह पर मां ने मोहिनी रूप धारण कर भस्मासुर का वध किया था जिस जगह की मिट्टी अभी भी लाल है।
भीम द्वार से रात के 2 बजे हम महादेव के दर्शन के लिए चल पड़ते है। भीम द्वार से पहला विश्राम स्थल पार्वती बाग आता है । सुंदर फूलो के बगीचे से गुजरते हुए हम नैन सरोवर की ओर चलते है। वहा से खरी चढ़ाई और तीन चोटी पार करते हुए हम श्री खंड महादेव के दर्शन प्राप्त करते है।
लगभग 7 से 8 घंटे के ट्रेक के बाद यहां पहुंचते है। भीम द्वार से समिट तक 8 km के आसपास है। चोटी की ऊंचाई 18000 ft हैं और मौसम साफ होने पर गणेश कार्तिकेय और पार्वती चोटी देखी जा सकती है।
रुकने का अत्यंत मन होने पर भी वापिस नीचे उतरना था क्योंकि मौसम खराब हो रहा था। नीचे उतरते समय बारिश और स्नो फॉल का सामना होता है जो नीचे जाने के रास्ते को और भी कठिन बनाता है।
लगभग 15 घंटे के ट्रेक के बाद हम दर्शन करके भीम द्वार वापिस पहुंचते है। उचित समय पर जाने में रास्ते में ब्रह्म कमल दिख सकता है।
अगले दिन फिर हम भीम द्वार से थांचडू के लिए प्रयाण करते है। इस जगह पर बारिश की वजह से उतरना थोड़ा कठिन हो जाता है।
लगभग 10 घंटों के ट्रेक के बाद हम पुनः थांचडू आते है।
रात को कैंप फायर जलाई जाती है और सभी लोग अपनी थकान दूर करते है।
अगली सुबह थांचडू से जाओ के लिए उतरना आरंभ करते है।
में पहुंचने ही वाला होता हूं कि रास्ता भटकने के कारण एक छोटी सी पहाड़ी से घूम कर गांव तक पहोंच पता हूं।
दोपहर तक जाओ पहोंच के सभी लोग खाना खा के विश्राम करते है।
अगले दिन ढेर सारी यादों को लेकर वहा से वापिस चंडीगढ़ के लिए रवाना होते है।