चित्तौडगढ़ के मंडफिया स्थित श्री सांवलिया सेठ का मंदिर करीब 450 साल पुराना है। मेवाड़ राजपरिवार की ओर से इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था।
मंडफिया मंदिर कृष्ण धाम के रूप में सबसे ज्यादा प्रसिद्द है। यह मंदिर चित्तौडग़ढ़ रेलवे स्टेशन से 41 किमी एवं डबोक एयरपोर्ट-उदयपुर से 65 किमी की दुरी पर स्थित है।
सांवलिया जी का संबंध मीरा बाई से बताया जाता है। मान्यता के अनुसार मंदिर में स्थित सांवलिया जी मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल है जिनकी वह पूजा किया करती थी।
खेती से लेकर हर बिजनेस में है भागीदारी
लोगों की सांवलिया जी को लेकर ऐसी मान्यता है जितना वे यहां चढ़ाएंगे सांवलिया सेठ उनके खजाने को उतना ज्यादा भरेंगे। ऐसे में कई लोगों ने अपने खेती से लेकर व्यापार व तनख्वाह में सांवलिया सेठ का हिस्सा रखा हुआ है। ऐसे लोग हर माह मंदिर आते हैं और उसके हिस्से की राशि चढ़ा देते हैं। यह राशि 2 से लेकर 20 फीसदी तक है।
हर महीने खुलता है मंदिर का भंडारा
श्री सांवलिया जी मंदिर का भंडारा हर माह अमावस्या के 1 दिन पहले चतुर्दशी को खोला जाता है। इसके बाद अमावस्या का मेला शुरू हो जाता है। वही दीपावली के समय यह भंडारा दो महीने व होली के समय डेढ़ माह में खोला जाता है।
इतिहास - एक बार जब औरंगजेब की मुग़ल सेना मंदिरों को तोड़ रही थी। मेवाड़ राज्य में पंहुचने पर मुग़ल सैनिकों को इन मूर्तियों के बारे में पता लगा। तब संत दयाराम जी ने प्रभु प्रेरणा से इन मूर्तियों को बागुंड-भादसौड़ा की छापर (खुला मैदान) में एक वट-वृक्ष के नीचे गड्ढा खोद कर पधरा दिया और फिर समय बीतने के साथ संत दयाराम जी का देवलोकगमन हो गया।
कालान्तर में सन 1840 में मंडफिया ग्राम निवासी भोलाराम गुर्जर नाम के ग्वाले को एक सपना आया कि भादसोड़ा-बागूंड के छापर में 4 मूर्तियां ज़मीन में दबी हुई है, जब उस जगह पर खुदाई की गई तो भोलाराम का सपना सही निकला और वहां से एक जैसी 4 मूर्तियां प्रकट हुईं। सभी मूर्तियां बहुत ही मनोहारी थी।
रसीद कटा कर भी देकर जाते हैं लोग
मंदिर में लोग रसीद कटाकर नंबर 1 में भी दान कर कर जाते हैं। यह राशि 30 से 70 लाख रूपय के बीच होती है। जनवरी माह में खुले भंडारे में यह राशि 66 लाख रूपय आई है। अधिकांश राशि सेवा कार्य में मंदिर ट्रस्ट को अर्जित होने वाली आय सेवा और विकास कार्य में उपयोग की जाती है। ट्रस्ट शिक्षा, चिकित्सा, धार्मिक आयोजन, विकास और मूलभूत सुविधाओं को विकसित करने में यह राशि खर्च करता है। ट्रस्ट ने मंडफिया के आसपास के 16 गांवों का विकास भी इसी राशि से करवा रहा है।
विदेशों में भी है हिस्सेदार
सांवरिया सेठ मंदिर में आने वाले कई भक्त एनआरआई है। ये विदेशों में अर्जित आय से सांवरिया सेठ का हिस्सा चढ़ाते हैं। ऐसे में भारतीय रुपए के साथ अमरीकी डॉलर, पाउण्ड, रियॉल, दिनार और नाईजीरिया नीरा के साथ कई देशों की मुद्रा मंदिर के भंडारे में आती है।
एक करोड़ लोग हर साल आते हैं दर्शन के लिए
सांवरिया सेठ की ऐसी मान्यता है जिसके कारण देश के कोने-कोने व विदेशों से हर साल करीब एक करोड़ लोग मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के पुजारियों के अनुसार हर माह करीब साढ़े 8 से 9 लाख के बीच श्रद्धालु मंदिर में आते हैं।














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