यात्रा एक ऐसा शब्द है जो हमें नई-नई जगहों का अनुभव, विभिन्न संस्कृतियों की झलक और अनगिनत यादों की सौगात देता है। यह हमें न सिर्फ भौतिक दूरियों को पार करने का मौका देता है, बल्कि अपनी सोच और समझ की सीमाओं को भी विस्तृत करता है। यात्रा के दौरान, हमें कई बार चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि भाषा की बाधा, रास्ते में खो जाना या अपरिचित खान-पान के साथ समायोजन। लेकिन ये चुनौतियाँ हमें अधिक सहनशील, अनुकूलनशील और समस्या-समाधान करने की क्षमता में निपुण बनाती हैं।यात्रा का आनंद लेना हर किसी के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन बजट में रहकर यात्रा करना एक विचारशील और सत्यप्रिय प्रक्रिया है। "बचत ट्रिप" का अर्थ है कि आप अपनी यात्रा को संभालते हुए उचित बजट में रहना पसंद करते हैं। ऐसे ही एक बचत ट्रिप का प्लान हमनें भी किया।
मेरा नाम विशाल हैं और मैं एक ट्रैवल ब्लॉगर हूं। मैं अपनी यात्राओं और खोजों के बारे में लिखता हूं और उन्हें इंटरनेट पर साझा करता हुं। ताकि मेरे माध्यम से लोगों तक काफ़ी जगहों की जानकारी पहुंच सकें। आज हम इस आर्टिकल के ज़रिए आपको अपने एक ऐसे ट्रिप के बारे में बताने जा रहा हुं जो कि आपके आने वाले ट्रिप प्लान के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहेंगी।
यूं तो हमनें कई ट्रिप किए हैं पर इस बार हम कुछ हट के ट्रिप प्लान कर रहें थे। जो हमारे कंफर्टजोन से कुछ अलग हों तो हम ने सोचा क्यों ना बजट ट्रिप प्लान किया जाएं। मैं और मेरे दो और दोस्तों ने अमृतसर जानें का प्लान किया। चैलेंज ये था कि क्या ये ट्रिप हम 500 रुपए में कर पाएंगे? क्योंकि महीने का आख़िरी दिन चल रहा था और हमें घूमने भी जानें की तलब लगीं हुई थीं। फिर हमनें सोचा चलो कोई ना चलते हैं हम कर सकतें हैं। बस यहीं सोच के साथ हम ने बैग उठाया और ले ली जालंधर से अमृतसर की बस और कर दिया अपना सफर शुरू।
अमृतसर के ट्रिप का प्लान हम ने कुछ ऐसा बनाया की हम वहां एक दिन में तो सब कुछ नहीं घूम पाएंगे तो कम से कम हम वहां दो दिन रूकेंगे ताकि अधिक से अधिक जगहों को कवर किया जा सकें। सुबह सुबह हम ने जालंधर से अमृतसर के लिए बस लिया। जिसके लिए हम ने प्रति व्यक्ति 120 रुपए का भुगतान किया। लगभग दो घंटे के सफ़र के बाद हम अमृतसर पहुंच गए वहां पहुंचते ही हम ने एक रूम लिया जिस के लिए हम ने 500 रुपए दिए। रूम से फ्रेश होते ही हम डायरेक्ट पहुंचे गोल्डन टेंपल। दर्शन करते ही हम पहुंचे लंगर खाने। आपको बता दूं कि गोल्डन टेंपल के लंगर में भगवान के भक्तों को निःशुल्क भोजन मिलता है, जो सेवाभाव से संचालित होता है। यहाँ लोग साधु-संतों के साथ एकता और सेवा का अनुभव करते हैं। गोल्डन टेंपल, जिसे स्वर्ण मंदिर या हरमंदिर साहिब भी कहा जाता है, अमृतसर, पंजाब में सिख धर्म का सबसे पवित्र स्थल है। लंगर की परंपरा सिख धर्म के संस्थापक, गुरु नानक देव जी द्वारा शुरू की गई थी और यह समाज में समानता, एकता, और सेवा के मूल्यों को दर्शाती है। लंगर में सभी लोग जमीन पर एक समान पंक्तियों में बैठते हैं, चाहे उनका सामाजिक या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। इससे समाज में समानता का संदेश मिलता है। आपको बता दूं कि लंगर में परोसा जाने वाला भोजन पूरी तरह से शाकाहारी होता है, ताकि किसी भी धार्मिक या आहारिक प्रतिबंधों के बिना सभी लोग इसे ग्रहण कर सकें। गोल्डन टेंपल का लंगर हर दिन लाखों लोगों को भोजन प्रदान करता है, जिससे यह दुनिया के सबसे बड़े निःशुल्क भोजनालयों में से एक है। लंगर 24/7 चलता है, जिससे किसी भी समय आने वाले भक्तों और यात्रियों को भोजन मिल सके।गोल्डन टेंपल का लंगर न केवल भौतिक पोषण प्रदान करता है, बल्कि यह आत्मिक संतुष्टि और समाज में एकता व सेवाभाव की भावना को भी बढ़ावा देता है।
भोजन ग्रहण करने के बाद हम निकले अपने अगले जगह के लिए जो की था भारत पाकिस्तान का बॉर्डर। वाघा बॉर्डर, अमृतसर, पंजाब, भारत और लाहौर, पाकिस्तान के बीच का एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सीमांकन है। यह जगह अपने दैनिक होने वाले झंडा उतारने की समारोह के लिए प्रसिद्ध है, जिसे 'बीटिंग रिट्रीट' समारोह के नाम से भी जाना जाता है। यहां के लिए हम ने शेयरिंग ऑटो लिया। गोल्डन टेंपल से ही यहां के लिए आपको ऑटो मिल जायेगी। इस शेयरिंग ऑटो के लिए हम ने 30 रुपए प्रति व्यत्ति दिए जिसमें आने और जानें दोनों के मूल्य शामिल थे। यहां पहुंचते ही आपको एक अलग ही देश भक्ति की फीलिंग आयेगी। इस समारोह में दोनों देशों के सैनिक अपनी-अपनी तरफ से विशेष रूप से निर्धारित परेड और मार्चिंग करते हैं। इसमें ऊँची किक्स, लाउड शोर्ट्स और तीव्र गति में मार्चिंग शामिल होती है, जो दोनों देशों की सैन्य शक्ति और अनुशासन का प्रदर्शन करती है। समारोह का समापन दोनों देशों के झंडों को समान रूप से और सावधानीपूर्वक नीचे उतारने के साथ होता है, और अंत में दोनों तरफ के सैनिक हाथ मिलाते हैं।
यहां से आते आते हमें रात हो गई और हम पहुंचे डायरेक्ट लंगर खाने फिर से उसके बाद रात को गोल्डन टेंपल पे घंटो बैठे। दोस्तों आप जब भी गोल्डेन टेंपल जाएं तो यहां रात को ज़रूर जाएं रात के वक्त यहां का नज़ारा बहुत ही ख़ूबसूरत होता हैं और साथ ही एक अलग ही सुकून की प्राप्ति होती हैं। कुछ वक्त गोल्डेन टेंपल में रूकने के बाद हम पहुंचे अपने रूम पे सोने ताकि सुबह सुबह अपनी दूसरी बची हुए जगहों का दीदार कर सकें।
सुबह सुबह हम ने चाय पिया और पहुंच गए सीधे जलियांवाला बाग। आपको बता दूं कि जलियांवाला बाग भारत के इतिहास में एक काला अध्याय है, जो अमृतसर, पंजाब में स्थित है। यह स्थान 13 अप्रैल 1919 को एक नृशंस हत्याकांड का गवाह बना, जब ब्रिटिश सेना के अधिकारी जनरल डायर ने वैसाखी के त्यौहार पर एकत्र हुए हजारों निर्दोष भारतीयों पर बिना किसी चेतावनी के गोलीबारी कर दी थी। इस घटना में महिलाएं, पुरुष और बच्चे सहित सैकड़ों लोग मारे गए थे और बहुत से लोग घायल हुए थे। इस घटना को याद करने और उसमें मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए जलियांवाला बाग में एक स्मारक भी बनाया गया है। आज यह स्थल उन लोगों की याद दिलाता है जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन की आहुति दी।
यहां घूमते घूमते हमें 12 बज गए और हम ने होटल से चेक आउट लिया और बैग ले कर फिर पहुंच गए लंगर खाने। खाने के बाद हम ने अपने बस ली और वापस जालंधर आ गए। वैसे दोस्त ठीक ठीक देखा जाए तो हम ने यहां प्रति व्यक्ति 450 रुपए ही खर्च किए (240 बस के+160 रूम के+30 ऑटो के+20 चाय के)। बचत में ट्रैवल करना इतना भी मुुश्किल नहीं होता बस घूमने की लगन होनी चाहिए। वैसे आपको बता दूं कि अमृतसर में अधिकतर जगहों पे इंट्री फ्री नहीं लगती जिससे आपका बहुत पैसा बच जाता हैं। इसके साथ ही साथ यहां खाना भी आसानी से भी मिल जाता हैं।
अगर आप भी अमृतसर की बचत ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो डरने की कोई जरूरत नहीं हैं बस बैग उठाओ और निकल जाओ । आप बहुत सस्ते में भी अपने ट्रिप को अंजाम दे सकते हों बस घूमने की लगन होनी चाहिए।
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