पहाड़ में जितना जाओ उतना कम है। हर मौसम में पहाड़ की अपनी खूबसूरती होती है लेकिन बर्फ की चादर में ढके पहाड़ सबसे सुंदर लगते हैं। आप बर्फ को देखने के लिए उत्तराखंड में मसूरी, नैनीताल और रानीखेत ही आते होंगे लेकिन ये जगहें काफी फेमस है। आपको उत्तराखंड में बर्फ देखने ऐसी जगहों पर जाना चाहिए जिनको एक्सप्लोर करने की ज़रूरत है और जो वाकई खूबसूरत है। उत्तराखंड की वादियों में ऐसा ही एक खूबसूरत शहर है जहाँ आप कुछ दिन रहेंगे तो उसके दीवाने हो जाएँगे और सबको यही आने को कहेंगे। उत्तराखंड का ये शहर सपनों के घर से कम नहीं है। ये खूबसूरत शहर है उत्तराखंड के गढ़वाल में बसा, जोशीमठ।
जोशीमठ, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। समुद्र तल से 6000 फीट की ऊँचाई पर बसा ये शहर चारों तरफ से बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरा हुआ है। ये शहर हिंदुओं के लिए बहुत पवित्र स्थान है। आदि शंकराचार्य को इसी जगह पर ज्ञान प्राप्त हुआ था। चारों मठों में से उन्होंने यहीं पर सबसे पहले मठ की स्थापना की थी। सर्दियों में बद्रीनाथ की गद्दी यहीं विराजित होती है और पूजा होती है। पहले इस जगह को ज्योतिषीमठ के नाम से जाना जाता था। समय के साथ इसे जोशीमठ कहा जाने लगा। जोशीमठ कई खूबसूरत जगहों का घर है और उसी खूबसूरती को देखने लोग यहाँ खिंचे चले आते हैं।
जोगी वाटरफाॅल
सिर्फ यहाँ की आसपास की जगहें ही खूबसूरत नहीं है बल्कि शहर भी बेहद खूबसूरत है। जिसका अंदाजा शहर में घुसते ही हो जाता है। शहर में घुसते ही आपको एक खूबसूरत वाटरफाॅल दिखाई देगा। आसमान जितना ऊँचे पहाड़ से गिरता पानी आपको मन मोह लेगा। उस नज़ारे को देखने के बाद उससे नजरें हटने का मन नहीं करता है। इस झरने को जोगी नाम इसलिए दिया गया क्योंकि यहाँ साधु और योगी स्नान करने के लिए रुकते हैं।
जोशीमठ शहर
जोशीमठ शहर कुछ-कुछ आपको मसूरी की तरह लगेगा। हालांकि ये ना तो उतना बड़ा शहर है और ना ही उतनी भीड़ वाली जगह है। जब आप यहाँ की सड़कों पर चलेंगे तो मसूरी के माॅल रोड की याद ज़रूर आएगी। आपको दूर तलक मखमली घास वाले पहाड़ दिखाई देंगे। जोशीमठ तिराहे से एक रोड बद्रीनाथ के लिए गया है और एक रोड शहर की ओर। जोशीमठ के बारे में कहा जाता है कि ये तीन हज़ार साल पुराना शहर है। यहाँ आपको होटल, रेस्तरां और काम भर की दुकानें मिल जाएँगी। आपको शहर में पैदल चलते हुए अच्छा लगेगा।
नरसिंह मंदिर
जोशीमठ में सबसे प्रसिद्ध मंदिर नरसिंह मंदिर है। इसके बारे में कहा जाता है कि बद्रीनाथ यात्रा तब पूरी नहीं मानी जाती, जब तक नरसिंह मंदिर के दर्शन ना किए जाएँ। नरसिंह मंदिर, भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह को समर्पित है। इसके निर्माण के बारे में कई कहानियाँ हैं। राजतरंगिणी के अनुसार इसका निर्माण कश्मीर के राजा ललितादित्य मुक्तापीड़ ने किया। कुछ लोगों का मानना है इसकी स्थापना पांडवों ने की थी और कुछ का मानना है इसका निर्माण शंकराचार्य ने करवाया था। इन किवदंतियों के बावजदू जोशीमठ आएँ तो इन जगहों को ज़रूर देखें।
वासुदेव मंदिर
जोशीमठ में नरसिंह मंदिर जितना पुराना एक और मंदिर है, वासुदेव मंदिर, जो भगवान कृष्ण का मंदिर है। इसको सातवीं शताब्दी में कत्यूरी राजाओं ने बनवाया था। मंदिर में भगवान विष्णु के चतुर्भुज अवतार की मूर्ति है। उनके हाथों में शंख, गदा, चक्र और पद्यम है लेकिन ये क्रम के अनुसार नहीं है बल्कि उस समय के राजाओं ने इसे बदल दिया था। कहा जाता है कि राजा को सपना आया था कि ऐसा करने से उनका राज्य और प्रजा सुरक्षित रहेगी। ये मंदिर आज की तुलना में पहले बहुत बड़ा था।
तपोवन
जोशीमठ से 15 कि.मी. दूर है, तपोवन। जोशीमठ से तपोवन जाते हुए आप एक शांत घाटी में पहुँच जाते हैं जहाँ हरे और पीले खेतों के अलावा द्रोणगिरि की खूबसूरत चोटी का नज़ारा दिखाई देता है। तपोवन अपने गर्म कुंडों और जलाशयों के लिए फेमस है। यहाँ गर्म पानी का एक जलाशय है जिसमें आप नहा भी सकते हैं। यहांँपुरूष और महिलाओं के अलग-अलग जलाशय भी हैं। कहा जाता है कि इन जलाशय में स्नान करने से कई बिमारियाँ दूर हो जाती हैं।
गौरी शंकर मंदिर
तपोवन में जलाशय के अलावा एक गौरी शंकर मंदिर भी है। कहा जाता है कि भगवान शिव को पाने के लिए पार्वती ने इसी जगह पर 6 हजार साल तक तपस्या की थी। भगवान शिव ने पार्वती की उनकी तपस्या कुबूल की और उनसे शादी की। तब से माना जाता है कि कोई भी अपनी इच्छा के लिए इस मंदिर में पूजा करेंगे तो पार्वती की तरह उनकी इच्छा भी पूरी होगी।
औली
इन जगहों के अलावा जोशीमठ में ही बर्फ और स्कीइंग के लिए सबसे फेमस जगह औली भी यहीं है। सर्दियों में बर्फ देखने के लिए टूरिस्ट औली खिचे चले आते हैं। समुद्र तल से तीन हजार मीटर की ऊँचाई पर स्थित है औली। जोशीमठ से औली 16 कि.मी. दूर है। जोशीमठ से औली जाने के तीन रास्ते हैं रोपवे, सड़क मार्ग और पैदल रास्ता। आप एक दिन में औली घूमकर जोशीमठ वापिस आ सकते हैं।
ट्रेकिंग
जोशीमठ में आप ट्रेकिंग का भी मज़ा ले सकता है। इसके लिए आपको गोविंदघाट जाना होगा। वहाँ से पुरोला के रास्ते ट्रेकिंग शुरू होती है और पहले दिन आप घांघरिया जाते हैं। यहाँ से दो ट्रेकिंग होती है, एक फूलों की घाटी और दूसरी हेमकुंड साहिब। हेमकुंड साहिब 6 कि.मी. का ट्रेक है और फूलों की घाटी 4 कि.मी. का ट्रेक है। फूलों की घाटी में आपको फूलों की लगभग 600 प्रजातियाँ देखने को मिलेंगी। लेकिन सर्दियों में ये जगह बर्फ से पटी रहती है। अगर आपको फूलों को देखना है तो जून में आना सबसे अच्छा समय रहता है।
कहाँ ठहरें?
जोशीमठ में ठहरने की कोई दिक्कत नहीं है। आपको यहाँ छोटे-बड़े हर प्रकार के होटल आराम से मिल जाएँगे। कई बजट होटल तो बहुत शानदार होते हैं। होटल के बाहर का नज़ारा इन होटलों को और शानदार बना देता है। आपको ₹400 से ₹1000 तक मे होटल या हॉस्टल मिल जाएँगे।
कब और कैसे पहुंचे?
जोशीमठ वैसे तो खूबसूरत जगहों का एक पड़ाव भर है लेकिन अगर यहाँ ठहरा जाए तो किसी जन्नत से कम नहीं है। बर्फ देखनी हो तो यहाँ सर्दियों में आएँ और ट्रेकिंग करनी हो तो जून में आना सबसे सही रहता है। बारिश के समय यहाँ आने से बचें।
देहरादून से जोशीमठ की दूरी 290 कि.मी. है। अगर आप बस से आना चाहती हैं ती बद्रीनाथ वाली बस में बैठिए। रास्ते में ही आपको जोशीमठ मिलेगा। सबसे नज़दीक एयरपोर्ट जाॅली ग्रांट एयरपोर्ट है जहाँ से देहरादून आइए और बस से जोशीमठ आराम से आ सकती हैं।
तो जोशीमठ का प्लान बनाइए और सर्दियों का मज़ा लीजिए।
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