दुनिया घूमना किसे पसंद नहीं होता, हर किसी को घूमना बहुत पसंद है और एक उम्र होती है जब हम या तो अपने दोस्तों के साथ या फिर अपने किसी चहेतों के साथ घूमना पसंद करते है। लेकिन आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे है जिसने अपनी माँ के साथ घूमने का सपना देखा और उसे पूरा भी किया। जी हां हम बात कर रहे हैं युवा कारोबारी 'सरथ कृष्णन' की। सरथ देश के कई हिस्सों की यात्रा अपनी माँ के साथ कर चुके है।
इसकी शुरुआत हुई एक सपने से -
दरअसल एक दिन उन्होंने देखा कि वो अपनी मां का हाथ पकड़े वाराणसी (काशी) के घाटों पर घूम रहे हैं और पीछे से भजन की आवाज़ आ रही है, लेकिन जैसे ही उनकी आंख खुली तो उन्हें एहसास हुआ कि दरअसल वो त्रिशूर का उनका कमरा था जहां वो नींद में सपना देख रहे थे। उन्होंने बताया कि मुझे यह असंभव लग रहा था क्योंकि मैं वाराणसी के घाटों में उठने वाली सुगंध को महसूस कर सकता था। यह एक सपने जैसा कैसे हो सकता है। इसी के साथ उन्होंने फैसला लिया और बिस्तर से बाहर निकलकर लैपटॉप से दो हवाई टिकटें बुक की और किचन में काम कर रही मां को जा कर बता दिया. “अम्मा, मैंने टिकट बुक कर ली है; चलो अब चलते हैं। " उनकी मां को शुरू में इस फ़ैसले पर हैरानी हुई और उन्होंने मना भी किया, लेकिन बाद में वो मान गई,और वो अपने बेटे के साथ पहली ट्रिप पर निकल गई।
30 साल के सरथ कहते हैं कि अम्मा के साथ कोई भी यात्रा स्वर्ग जैसा सुख देती है, गीता भी इसे बहुत पसंद करती हैं। साथ में, मां-बेटे की ये जोड़ी लगभग हर तीन महीने में एक बार यात्रा पर जाती है।
मां के साथ देश के अधिकांश हिस्सों में की यात्रा -
सरथ अपने मां के साथ देश के अधिकांश हिस्सों में यात्रा कर चुके है। इनकी “पहली यात्रा मुंबई की थी जहां से ये नासिक, शिरडी और अजंता-एलोरा की गुफाएं गए थे, यात्रा में 11 दिन लगे, “60 वर्षीय गीता याद करती हैं, जो तब से अपने बेटे के साथ दिल्ली, अमृतसर, अंजता एलोरा. वाघा बॉर्डर, तिब्बत, नेपाल और माउंट एवरेस्ट शिखर पर जा चुकी हैं! बेटे और मां एक दूसरे को अपना बेस्ट ट्रेवलिंग पार्टनर मानते है।
कैसा रहा मां के साथ एक सुंदर दृश्य और नए अनुभवों का आनंद लेना? -
यूँ तो कारोबारी सरथ ने बहुत सी यात्राएं भी की हैं, लेकिन अब दोनों माँ-बेटे अपने काम के हिस्से के रूप में और दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए निकलते हैं। उन्होंने कहा, ”एक सुंदर दृश्य और नए अनुभवों की खुशी, मैं अपनी अम्मा के साथ साझा जरुर करना चाहता था और मैंने उससे पूछा कि क्या वह मेरे साथ आएंगी। अम्मा आध्यात्मिक व्यक्ति होने के कारण हमारे घर से बाहर नहीं निकलीं, मुझे मजबूरन उसे अपने साथ आने के लिए बाध्य करना पड़ा लेकिन एक बार जब हम यात्रा शुरू करते हैं, तो फिर वह बेहद खुश रहती है जो मुझे बहुत अच्छा लगता है और एक सुखद अनुभूति देता है।”
इसपर गीता भी हंसते हुए बताती हैं कि, “मुझे नहीं पता था कि मैं इन सालों में क्या याद कर रही हूं। मैं 60 साल की हूं, अब मुझे डायबिटीज या मधुमेह की वजह से इस उम्र में दुनिया को देखने की कोई आशा नहीं थी। लेकिन अब मैं इससे बेहद खुश हूं और अपनी अगली यात्रा की योजना बना रही हूं। मेरी प्रार्थना है कि अब मेरे जीवन को किस्मत कुछ साल और आगे बढ़ा दे ताकि मैं बची हुई जगहों पर भी अपने बेटे के साथ जा सकूं।”
सोशल मीडिया पर की जाती है काफी पसंद माँ बेटे की ट्रैवलिंग जोड़ी-
सारथ और उनकी माता दोनों की यह ट्रैवल जोड़ी सोशल मीडिया पर काफी ट्रेन करती है। सारथ अपने और अपनी मां की हर ट्रैवल जर्नी के बारे में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर जरूर बताते हैं।
आप भी सरथ की तरह अपनी माँ के साथ यात्रा करके बीते हुए बचपन का ले आनंद-
यह तो साफ़ है कि सरथ अपनी अम्मा के साथ इन यात्राओं में कितनी सुखद अनुभूति प्राप्त कर रहे हैं। वह बहुत खुश हैं और अपनी माँ के साथ इन यात्राओं में वे एक तरह से अपना बचपन जी रहे हैं जो शायद हम सबके लिए एक सबक है कि, चाहे आप कितने भी सफल हों और धनी हों। लेकिन आपका असली धन तो आपके माता पिता हैं। फिर सरथ तो अपने इस मातृधन के साथ एक तरह से विश्वविजय पर निकले हैं। हमें ऐसे और ‘सरथ’ की जरुरत है अपने अन्दर के ‘सरथ’ को जगाने के लिए।
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