हैरान कर देने वाला कुदरत का करिश्मा, रेगिस्तान में हो रहा है स्नोफॉल!

Tripoto
Photo of हैरान कर देने वाला कुदरत का करिश्मा, रेगिस्तान में हो रहा है स्नोफॉल! by Deeksha

किसी ने सच ही कहा है कब क्या हो जाए कोई नहीं बता सकता। साल 2020 अभी अच्छे से खत्म भी नहीं हुआ है और 2021 ने शुरुआत से ही अपना जादू दिखाना शुरू कर दिया है। दिसंबर और जनवरी के महीनों में दुनियाभर के कई हिस्सों में भरी बर्फबारी होती है जिसकी वजह से वो सभी इलाके बर्फ की मोटी चादर से ढक जाते हैं। लेकिन इस साल उन जगहों पर बर्फ तो पड़ी ही लेकिन एक ऐसी जगह पर भी बर्फबारी हुई जिसके बारे में शायद किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तानों में शुमार सहारा ने इस साल स्नोफॉल का स्वाद चखा। आमतौर पर रेगिस्तानों की पहचान उनके ऊँचे तापमान और तेज गर्मी से की जाती है। लेकिन जब इन सबके बीच उसी रेगिस्तान में स्नोफॉल देखने के लिए मिल जाए तो दुनिया के हर घुमक्कड़ का मन जरूर मचल उठेगा।

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सहारा में स्नोफॉल के समय तापमान -2 डिग्री सेल्सियस तक चला गया था जो एक गर्म जगह के लिए बेहद हैरान कर देने वाली बात है। इसके अलावा 13 जनवरी को अल्जीरिया के एक रेगिस्तानी शहर ऐन सेफ्रा में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने के लिए मिला। सहारा और सऊदी अरब के इन हैरतअंगेज लेकिन आकर्षक दृश्यों को फोटोग्राफर करीम बूशटाटा ने अपने सोशल मीडिया के जरिए पूरी दुनिया के साथ शेयर भी किया। उनकी शेयर की गई तस्वीरों में आप रेतीली जमीन पर छोटे-छोटे बर्फ के कण देख सकते हैं जो सूरज की किरणों के नीचे बिल्कुल मोतियों जैसे चमक रहे हैं। ध्यान से ना देखने पर ये नजारा आपको नमक के रेगिस्तान जैसा भी लग सकता है लेकिन असल में को नमक नहीं बल्कि सहारा में हुई स्नोफॉल है।

क्या रेगिस्तान में स्नोफॉल होना आम बात है?

रेगिस्तान में स्नोफॉल और बर्फ होना असाधारण जरूर है लेकिन ये पूरी तरह से हैरान कर देने वाली बात भी नहीं है। रेगिस्तान में दिन का समय जितना गर्म और उमस भरा होता है, रात के समय यहाँ उतनी ही तेजी से तापमान कम भी हो जाता है। इसलिए रेगिस्तानों में अक्सर रात में जबरदस्त ठंड पड़ती है। अल्जीरिया, सऊदी अरब और सहारा के मामले में ठंडी हवा हाई प्रेशर के चलते जमीन की तरफ आ गई जिसकी वजह से इन इलाकों में स्नोफॉल हुई। आंकड़ों की माने तो ऐसी असामान्य चीज पिछले 37 सालों में अबतक केवल तीन बार हुई है- 1979, 2016 और 2017।

जनवरी के तीसरे हफ्ते में सहारा और सऊदी अरब में हुई स्नोफॉल को देखकर हर किसी के मन में बस एक ही चाहत है। काश! मैं भी वहाँ होता।

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