सफरनामा, पहला सोलो ट्रिप,पांच दिन और ऋषिकेश का ही चुनाओं क्यो जानें?

Tripoto
6th Jan 2024
Photo of सफरनामा, पहला सोलो ट्रिप,पांच दिन और ऋषिकेश का ही चुनाओं क्यो जानें? by Yadav Vishal
Day 1

सोलो ट्रिप पर जाना एक अद्भुत अनुभव है। यह एकमात्र सफर नहीं, बल्कि आत्मा की खोज में एक महान प्रवृत्ति है। सोलो ट्रिप न केवल एक यात्रा होती है, बल्कि यह एक नए दृष्टिकोण और आत्मा की संबोधना का संजीवनी हो सकता है। मेरा ऐसा सोचना हैं कि सोलो ट्रिप आपको आत्मा की पुनर्निर्माण करने का मौका देता है, आपको अपने सोचने के तरीके में परिवर्तन कर सकता है। बस इसी परिवर्तन को करने के लिए मैंने सोलो ट्रिप करने का निर्णय लिया।

सलाम, नमस्ते, केम छू दोस्तो। कैरीमिनाती के अंदाज़ में पुछू तो"कैसे हो आप लोग "? मेरा नाम विशाल कुमार हैं, मैं एक ट्रैवलर और इंजीनियर हूं। वैसे तो मै काफी घुमक्कड़ किस्म का आदमी हूँ ,अगर परिस्थितियों वश में होती तो मैं अपना करियर इसमें जरुर बनाता पर कोई बात नहीं। वैसे मेरे अंदर का घूमने का कीड़ा कभी मरा ही नहीं यही कारण रहा की मै अपने आप से जितना बन पड़ता था घूमता और अपनी घुमक्कड़ जिज्ञास को शांत कर लेता हूं। ऐसी ही एक जिज्ञास मेरी सोलो ट्रैवलिंग करने को की। और सबसे बड़ा सवाल यह था कि कहां की जाएं?

Photo of सफरनामा, पहला सोलो ट्रिप,पांच दिन और ऋषिकेश का ही चुनाओं क्यो जानें? by Yadav Vishal


ऋषिकेश का ही चुनाव क्यो जानें?

मैंने अपने पहले सोलो ट्रिप के बहुत सारी जगहों पे विचार विमर्श किया पर दिल से एक ही आवाज़ निकली ऋषिकेश चलते हैं ना यार। ऋषिकेश इसलिए क्योंकि सोलो ट्रिप के लिए ऋषिकेश एक शांत, प्राकृतिक और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान कर सकता है। यहां आप गंगा के किनारे, योग आश्रमों, और विभिन्न धार्मिक स्थलों का आनंद ले सकते हैं। यहां के विभिन्न एक्टिविटीज और स्थानों का अनुसरण करके आप अपने सोलो ट्रिप को यादगार बना सकते हैं। और मेरे लिए यह जगह इसलिए भी इतनी खास क्योंकि यहीं से मुझे घूमने की प्रेरणा मिली थीं

Photo of सफरनामा, पहला सोलो ट्रिप,पांच दिन और ऋषिकेश का ही चुनाओं क्यो जानें? by Yadav Vishal


सोलो ट्रिप का सफ़र 

घुमक्कड़ी का शौक कब से लगा यह तो नहीं पता, लेकिन जब भी मौका मिलता है कहीं न कहीं निकल जाता हूँ। यात्रायें मुझे बेहद हद तक शांत रखती हैं। जब मैं बहुत दिनों तक एक ही जगह रुक जाता हूं तो परेशानी मेरा चेहरा बयां कर देता है। यात्राएं बेहद कठिन लेकिन अद्भुत होती हैं। जो हमें जीवन के फेर से दूर रखती हैं, वे हमें उलझने नहीं देती हैं। यात्रा करके अक्सर मैं हल्का महसूस करता हूं। ऐसे ही सुकून की तलाश में मैं अकेले निकल पड़ा उत्तराखंड की वादियों में।

हरिद्वार और ऋषिकेश के शांत वातावरण से मैं पहले भी रूबरू हो चुका हूं। पर उस वक्त मैंने वहा के वादियों को जी भर के जिया नहीं था।मेरा मानना हैं कहीं जा के बस 1-2 दिन में आ जाना एक घुम्मकड़ की प्रवृति नहीं हैं। तो इस बार मैं ऋषिकेश की हर जगह को महसूस करने के इरादे से जा रहा था।

DAY 1: खूबसूरत वादियां और लक्ष्मण झूला

मैंने अपनी यात्रा टैक्सी द्वारा शुरू की जो की मुझे हर की पौड़ी से कुछ दुरी पर स्थित बस स्टॉप के पास से मिल गयी,ये टैक्सी आपको ऋषिकेश के प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला के निकट उतारेगी। इन टैक्सी द्वारा हरिद्वार से ऋषिकेश जाने का किराया 40-50 रुपये है। आप बस द्वारा जाना चाहे तो आपको बस स्टैंड जाना होगा। रेल द्वारा जाने पर पहाड़ियों के मनोरम दृश्य का आनंद उठा सकते है। ऋषिकेश पहुंच के मैंने सबसे पहले होटल बुक किया और फ्रेश हो के लक्ष्मण झूला की तरफ निकल लिया।पहले दिन मैंने बस दो चीज़ देखने का प्लान बनाया लक्ष्मण झूला और भूतनाथ मंदिर देखने का। आपको बता दूं भूतनाथ वहीं मंदिर हैं, जहां भोले बाबा की बारात रुकी थी।

Photo of सफरनामा, पहला सोलो ट्रिप,पांच दिन और ऋषिकेश का ही चुनाओं क्यो जानें? by Yadav Vishal
Day 2

गंगा किनारे वाली सुबह और नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शन

ऋषिकेश का दूसरा दिन था, मैंने पहले ही सोच रखा था कि ऋषिकेश की सुबह मैं गंगा के किनारे एकांत में व्यतीत करूंगा। सुबह सुबह मैं ब्रेकफास्ट करके राम झूला की ओर निकला। मेरे एक मित्र गढ़ ने मेरे से बोला था जब भी तुम ऋषिकेश जाना तो सुबह सुबह गंगा के किनारे जा के वहा सुबह बिताना, सुबह-सुबह नदी के किनारे खड़े होकर शांति को महसूस करना, एक अलग ही अनुभव होता हैं। बस क्या था उसी अनुभव को महसूस करने के लिए मैं भी पहुंच गया।
मेरे एक मित्र गढ़ ने मेरे से बोला था जब भी तुम ऋषिकेश जाना तो सुबह सुबह गंगा के किनारे जा के वहा सुबह बिताना, सुबह-सुबह नदी के किनारे खड़े होकर शांति को महसूस करना, एक अलग ही अनुभव होता हैं।बस क्या था उसी अनुभव को महसूस करने के लिए मैं भी पहुंच गया। यहां पहुंच कर मैंने ऋषिकेश के योग कल्चर को भी देखा। छोटे से ले कर बड़े तक सब योगा कर रहे थे।कुछ दूर आगे बढ़ा तो देखा एक विदेशी महिला यहां कुछ लोगो को योगा सीखा रही थी, उसे देख कर मुझे बहुत गर्व हुआ कि लोग हमारे कल्चर को अपना रहे हैं। इस योग कल्चर को देख कर मुझे समझ आया की ऋषिकेश को योग कैपिटल ऑफ़ इंडिया क्यों कहा जाता है और ऋषिकेश में सालभर पर्यटकों का जमावड़ा क्यों रहता हैं। आगे जा के मैं नदी के किनारे घंटों बैठा। नदी के किनारे एक पत्थर पर जब मैंने पैर लटका के बैठा तो पानी की धारा मेरे पैरों को छू रही थी जिससे मुझे बहुत सुकून मिल रहा था। अभी मैं बैठा हुआ ही था कि फिर धूप ने संकेत दिया चाय और मैगी का लुत्फ़ लिया जाए और मैं पास के कैफे चला गया। चाय मैगी खाने के बाद मैं नीलकंठ महादेव मंदिर की ओर जाने के लिए अग्रसर हो गया।

नीलकंठ महादेव मंदिर जाना थोड़ा दुर्गम भी है और सुगम भी।कहते हैं ना महादेव के दर्शन पाना इतना आसान नहीं होता। पर जो महादेव को दिल से मानते हैं वो उनके दर्शन के लिए कुछ भी कर सकते हैं। नीलकंठ महादेव मंदिर दर्शन के लिए दो रास्ते हैं अगर पैदल जायें तो दुर्गम और बेहद थकाऊ व खतरनाक रास्ता है ऋषिकेश से चौदह किलोमीटर की अनवरत खड़ी चढाई करनी पड़ती है और दूसरा रास्ता जीप,टैक्सी वाला है, जो करीब तीस किलोमीटर पड़ता है।मैंने टैक्सी बुक किया और निकल लिया महादेव का नाम ले कर।
मंदिर पहुंच के मैंने दर्शन किया। वैसे अमूमन यहां श्रद्धालु की भीड़ रहती हैं पर जिस वक्त मैं दर्शन करने गया था उस वक्त इतनी भीड़ नहीं थीं। वैसे साल में दो बार शिवरात्रि के त्यौहार पर यहाँ मेला लगता है तथा श्रद्धालु दूर दूर से भोले बाबा के दर्शनों के लिए आते है।

तो कुछ ऐसे ख़तम हुआ मेरा ऋषिकेश ट्रिप का दूसरा दिन।

Photo of सफरनामा, पहला सोलो ट्रिप,पांच दिन और ऋषिकेश का ही चुनाओं क्यो जानें? by Yadav Vishal
Day 3

डूबता सूरज,मदमस्त तेज़ हवाओं के झोंके, बीटल्स आश्रम और ऋषिकेश के राम झूला की एक शाम

सुबह सुबह जब मैं अपने होटल से ब्रेकफास्ट कर के निकला तो मुझे पता चला यहां से 1.5 किलोमीटर दूर स्वर्गाश्रम परिसर के पीछे उजाड़ में राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाला एक आश्रम के बारे में जिसे "बीटल्स आश्रम" कहते हैं। फिर क्या था मैं निकल गया वहां के लिए। ऋषिकेश का ये मेरा तीसरा दिन था,तीसरे दिन में मैंने सुबह सुबह बीटल्स आश्रम का भ्रमण किया था। उसके बाद मैं होटल चला गया।शाम करीब चार बजे मैंने राम झूला पे वक्त बिताने को सोचा और चल पड़ा राम झूला की तरफ। जब मैं वहां पहुंचा तो हवा अपने पूरे वेग से बह रही थीं।नीचे एक सभ्यता और संस्कृति को अपने गोद में पालने वाली जीवनदायिनी गंगा बह रही थी और ऊपर आसमाान में डूबता हुआ सूरज देख रहा था।यह दृश्य इतना अदभुत था और साथ साथ ही दिल को सुकून देने वाला भी था। मैंने वहां जा आलू चाट का भी स्वाद लिया, आलू चाट ऋषिकेश का मुझे पसंदीदा व्यंजन लगा।

Photo of सफरनामा, पहला सोलो ट्रिप,पांच दिन और ऋषिकेश का ही चुनाओं क्यो जानें? by Yadav Vishal
Day 4

हरि के द्वार पे आरती की खुशबू और टिमटिमाते दीपों की वो शाम

जैसा कि मैंने अपने पहले ब्लॉग में बताया था कि तीसरे दिन की शाम मैंने राम झूला पर बिताया था उसके बाद मैं सुबह सुबह ऑटो ले कर हरिद्वार की तरफ रवाना हो गया एक नए सफ़र और एक आध्यात्मिक जगह को एक्सप्लोर करने और वहां का एक्सपीरियंस लेने के लिए। ऑटो वाले भैया ने मुझे डायरेक्ट "हर की पौड़ी" पे ही उतार दिया। यहां पहुंच कर मैंने देखा कि यहां की हवा में सोंधी सी खुशबू थी और दूर से दिखते अडिग पर्वत, कलकल कर के बहती पवित्र गंगा, दूर दूर से आए श्रद्धालु और चारो ओर गूंजते गंगा मईया के जय कारे। ये रमणीय दृश्ये आँखों के द्वार से होता हुआ सीधे मेरे मन में बस गया तो मैंने सीधे होटल ना जा के थोड़े देर यहां बैठने का निर्णय लिया। उसके बाद मैंने होटल बुक की और कुछ टाइम आराम किया। आराम करने के बाद मैं आरती देखने घाट चला गया। आरती देखने के बाद मैंने बाज़ार घूमने का निर्णय लिया। मैंने देखा कि यहां पूजा की सामग्री व हिन्दू धार्मिक किताबो की भी बहुत सी दुकाने हैं। बाज़ार घूमने के बाद मैंने यहां स्वादिष्ट रात्रि भोजन खाया वो भी बिना लहसुन प्याज का।

Photo of सफरनामा, पहला सोलो ट्रिप,पांच दिन और ऋषिकेश का ही चुनाओं क्यो जानें? by Yadav Vishal
Photo of सफरनामा, पहला सोलो ट्रिप,पांच दिन और ऋषिकेश का ही चुनाओं क्यो जानें? by Yadav Vishal
Day 5


अगले दिन मेरी ट्रेन थीं। सुबह सुबह होटल से चेकआउट करके सीधा मैं शांतिनिकेतन चला गया। वहां घूमने के बाद मैं डायरेक्ट स्टेशन चला गया। जहां मेरे पांच दिन के सोलो ट्रिप का अंत हुआ और इस ट्रिप से मैंने ये जाना कि सोलो ट्रिप करने में काफी मज़ा हैं और हर इंसान को अपने लाइफ में एक बार सोलो ट्रिप पर जरूर जाना चाहिए।

Photo of सफरनामा, पहला सोलो ट्रिप,पांच दिन और ऋषिकेश का ही चुनाओं क्यो जानें? by Yadav Vishal


पढ़ने के लिए धन्यवाद। अपने सुंदर विचारों और रचनात्मक प्रतिक्रिया को साझा करें अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो।

क्या आपने हाल में कोई की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें

बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।

Further Reads