गोदावरी नदी के किनारे बसा नांदेड़ महाराष्ट्र राज्य का आठवां सबसे बड़ा शहर है। और इस शहर को सबसे ज्यादा खास यह बात बनाती है कि यहीं पर सिख धर्म के 10वें और अंतिम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी का देहांत हुआ था। सिख धर्म में इस शहर की अहमियत को देखते हुए ही महाराष्ट्र सरकार ने नांदेड़ को पवित्र शहर के रूप में मान्यता प्रदान की है। जिस भूमि पर गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने जीवन के अंतिम दिन गुजारे, उसकी धार्मिक महत्वता को ध्यान में रखते हुए राजा रणजीत सिंह ने साल 1832 से 1837 के दौरान अमृतसर में मौजूद स्वर्ण मंदिर के तर्ज पर नांदेड़ में सचखंड श्री हुजूर अबचल नगर साहिब गुरुद्वारे का निर्माण कराया।
सिख धर्म में अमृतसर स्थित हरमिंदर साहिब गुरुद्वारा(स्वर्ण मंदिर) के बाद नांदेड़ के सचखंड हुजूर साहिब गुरुद्वारे को ही सबसे अधिक प्रतिष्ठित और पवित्र स्थान माना जाता है। अमृतसर के अकाल तख्त साहिब, बठिंडा के दमदमा साहिब, आनंदपुर के केशगढ़ साहिब, बिहार के पटना साहिब के साथ ही नांदेड़ के हुजूर साहिब की गिनती भी सिख धर्म के पंज तख्त में होती है। सचखंड हुजूर साहिब गुरुद्वारे को ठीक उसी स्थान पर बनाया गया है, जहां गुरु गोविंद सिंह जी का अंतिम संस्कार किया गया था। गुरुद्वारे के अंदर आज भी गुरु गोबिंद सिंह के नश्वर शरीर के अवशेष रखे गए हैं। जिसके दर्शन करने के लिए भारत समेत दुनियाभर से लोग नांदेड़ आते हैं। इसके अलावा यहां गुरु गोविंद सिंह के कुछ हथियारों को भी अब तक सुरक्षित रखा गया है।
यहां पहुंचने के बाद आप संगमरमर से बने सचखंड गुरुद्वारे और इसके परिसर की खूबसूरती को देखने के बाद इसे बस एकटक निहारते रह जाएंगे। करीब 8 एकड़ इलाके में फैले सचखंड गुरुद्वारे के परिसर में प्रवेश के लिए 40 फीट ऊंचे कुल 6 प्रवेशद्वार बने हुए हैं। आम तौर पर तो मुख्य प्रवेशद्वार के जरिए ही भक्तों की गुरुद्वारे में एंट्री होती है। लेकिन भीड़ ज्यादा होने पर परिस्थिति अनुसार बाकी के प्रवेशद्वार भी खोल दिए जाते हैं। परिसर के मध्य में बनाए गए दो मंजिला सचखंड गुरुद्वारे में जमीन से करीब 15 फीट की ऊंचाई पर पाक तख्त साहिब विराजमान हैं। गुरुद्वारे का मुख्यद्वार सोने का बना हुआ है और बाकी के द्वार चांदी से बनाए गए हैं। गुरुद्वारे का मुख्य आकर्षण इसके सुनहरे गुंबद पर भी सोने का परत चढ़ी हुई है।
बात गुरुद्वारे की हो और लंगर का जिक्र ना हो तो बात अधूरी ही रह जाएगी। आज सिख धर्म की दुनियाभर में सबसे ज्यादा तारीफ उनके निःस्वार्थ लंगर सेवा के लिए ही होती है। दुनिया के किसी भी कोने में किसी भी तरह की समस्या क्यों ना हो, आपको सिख धर्म के अनुयायी वहां लंगर लगाकर भूखे लोगों को खाना खिलाते मिल ही दिख ही जाएंगे। इसलिए जब आप नांदेड़ में हो तो आपको भी कम से कम खाने-पीने की चिंता तो बिल्कुल भी नहीं करनी है। यहां पर दिन भर लंगर की सेवा अबाधित रूप से चलती रहती है। कोई भी आदमी अपना एक भी पैसा खर्च किए बगैर कभी भी किसी भी गुरुद्वारे जाकर अपना पेट भर सकता है।
नांदेड़ में सचखंड गुरुद्वारे के अलावा भी बहुत सारे अन्य गुरुद्वारे हैं जिनका धार्मिक महत्व भी कुछ कम नहीं है। अगर आप नांदेड़ आए हैं, तो फिर इन गुरुद्वारों के चक्कर लगाना भी जरूरी हो जाता है। तो हम बात कर रहे हैं गुरुद्वारा लंगर साहिब, गुरुद्वारा संगत साहिब, गुरुद्वारा माल टेकड़ी साहिब, गुरुद्वारा हीरा घाट साहिब, गुरुद्वारा नगीना घाट साहिब, गुरुद्वारा बंदा घाट साहिब, गुरुद्वारा माता साहिब कौर जी, गुरुद्वारा शिकार घाट साहिब, गुरुद्वारा गोविंद बाग साहिब की। इन सभी गुरुद्वारों के दर पर जाकर वाहेगुरु के आगे माथा टेककर आप अपने हिस्से का आशीर्वाद बटोर सकते हैं।
दिनभर अलग-अलग गुरुद्वारों के चक्कर लगाने के बाद आप शाम के वक्त मुख्य गुरुद्वारे के सामने ही गोविंद बाग साहिब में लेजर शो एन्जॉय कर सकते हो। अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रोज शाम 7:30 से 8:30 तक लेजर शो के जरिए सिख धर्म से जुड़े सभी 10 गुरुओं की जीवनी को दिखाया जाता है। इसके अलावा आप शाम का वक्त गोदावरी नदीं के घाट पर बैठकर भी बीता सकते हैं। नदी के समीप ही आपको गोदावरी माता और सालासर हनुमान जी मंदिर मिल जाएगा है, जिसके दर्शन का लाभ भी उठाया जा सकता है। और थोड़ी ही दूरी पर आपको शनि भगवान के भी दर्शन हो जाएंगे।
वैसे तो सचखंड गुरुद्वारा और अन्य पर्यटन स्थल एक दिन में ही ढंग से घुमा जा सकता है। लेकिन अगर आप एक रात ठहरकर सब कुछ एक दम इत्मीनान से जीना चाहते हैं, तो नांदेड़ शहर में आपको ठहरने के हजार विकल्प मिल जाएंगे। कम से कम 500 प्रति व्यक्ति खर्च कर आप यहां कमरा लेकर ठहर सकते हैं। वैसे अगर आप चाहे तो नांदेड़ में आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए बनाए गए कुछ निःशुल्क तो कुछ बेहद किफायती यात्री निवास में भी ठहर सकते हैं। इसके लिए आप सचखंड गुरूद्वारे की आधिकारिक वेबसाइट www.hazursahib.com से ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं। वहां पहुंचकर भी अपने लिए कमरा बुक किया जा सकता हैं। लेकिन ऑनलाइन बुकिंग के जरिए पहले से अपना कमरा सुनिश्चित कर लेना ज्यादा सही होगा।
सचखंड गुरुद्वारे तक पहुंचने के लिए अपने समय और सहूलियत के अनुसार आप सड़क, रेल और हवाई इन तीनों मार्गों में से किसी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप महाराष्ट्र राज्य के ही किसी कोने से सचखंड गुरुद्वारे तक आना चाहते हैं, तो आप अपने निजी वाहन या फिर राज्य परिवहन के बस में बैठकर आसानी से यहां पहुंच सकते हैं। वैसे अगर आप मुंबई या फिर पुणे जैसे शहर सर यहां आने की सोच रहे हैं, तो फिर आपके लिए रेल या फिर हवाई मार्ग ही बेहतर ऑप्शन होगा। क्योंकि मुंबई-पुणे से करीब 600 किमी का सफर सड़क से तय करने में समझदारी नहीं है।
रेलमार्ग के जरिए सचखंड गुरुद्वारे तक पहुंचने के लिए आपको हुजूर साहिब नांदेड़ रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा। इस स्टेशन तक पहुंचने के लिए आपको भारत के हर होने से कोई न कोई ट्रेन मिल ही जाएगी। आप दिल्ली, मुंबई, चेन्नई या फिर कोलकाता देश के किसी भी कोने से हुजूर साहिब नांदेड़ तक जाने वाली सीधी ट्रेन पकड़ सकते हैं। अब क्योंकि नांदेड़ में स्थित सचखंड गुरुद्वारा सिख धर्मावलंबियों के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। इसलिए पंजाब और नांदेड़ को जोड़ने के लिए इस रूट पर साल भर ही सचखंड एक्सप्रेस और हुजूर साहिब नांदेड़ सुपरस्टार एक्सप्रेस नाम से 2 स्पेशल ट्रेन चलाई जाती हैं। नांदेड़ स्टेशन पहुंचने के बाद आप यहां से नियमित अंतराल पर चलाई जाने वाली निःशुल्क बस सेवा के सहारे सचखंड गुरुद्वारा जा सकते हैं।
कम से कम समय में सचखंड गुरुद्वारे के दर्शन के लिए आप अपने शहर से हवाई मार्ग के जरिए भी यहां तक पहुंच सकते हैं। क्योंकि सचखंड गुरुद्वारे से निकटतम एयरपोर्ट श्री गुरु गोविंद सिंह जी हवाई अड्डा महज 4 किमी की दूरी पर ही स्थित है। हवाई अड्डे से आप एक प्राइवेट टैक्सी के जरिए आसानी सर सचखंड गुरुद्वारे तक पहुंच सकते हैं। वैसे इस हवाई अड्डे पर आप सिर्फ घरेलू एयरलाइन्स के जरिए ही पहुंच सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन्स से यात्रा करते वक्त आपको नांदेड़ से करीब 250 किमी दूर इसके सबसे निकटतम यानी राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, हैदराबाद उतरना होगा। यहां से आप प्राइवेट कैब या फिर बस के जरिए गुरुद्वारे तक पहुंच सकते हैं।
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