तेलंगाना में वारंगल के पास मुलुगु जिले के पालमपेट में स्थित रुद्रेश्वर मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया है। रुद्रेश्वर मंदिर को रामप्पा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। रामप्पा मंदिर, 13 वीं शताब्दी के अनुपम स्थापत्य कला का प्रतीक है जिसका नाम इसके वास्तुकार रामप्पा के नाम पर रखा गया था। इस मंदिर को सरकार द्वारा वर्ष 2019 के लिए यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में एकमात्र नामांकन के लिए प्रस्तावित किया गया था। यूनेस्को ने 25 जुलाई को इसे अपनी सूची में शामिल करने की घोषणा की।
रुद्रेश्वर मंदिर का निर्माण 1213 ईस्वी में काकतीय साम्राज्य के शासनकाल में राजा गणपति देव के एक सेनापति रेचारला रुद्र ने कराया था। यहां के स्थापित देवता रामलिंगेश्वर स्वामी हैं। 40 वर्षों तक मंदिर निर्माण करने वाले एक मूर्तिकार के नाम पर इसे रामप्पा मंदिर के रूप में भी जाना जाता है।
काकतीयों के मंदिर परिसरों की विशिष्ट शैली, तकनीक और सजावट काकतीय मूर्तिकला के प्रभाव को प्रदर्शित करती हैं। रामप्पा मंदिर इसकी अभिव्यक्ति है और बार-बार काकतीयों की रचनात्मक प्रतिभा का प्रमाण प्रस्तुत करती है। मंदिर छह फुट ऊंचे तारे जैसे मंच पर खड़ा है, जिसमें दीवारों, स्तंभों और छतों पर जटिल नक्काशी से सजावट की गई है, जो काकतीय मूर्तिकारों के अद्वितीय कौशल को प्रदर्शित करती है।
मंदिर परिसरों से लेकर प्रवेश द्वारों तक हर तरफ काकतीयों की विशिष्ट अद्वितीय शैली देखने को मिलती है।
प्राचीन काल में एक यात्री ने इस मंदिर को दक्कन के मध्ययुगीन मंदिरों की आकाशगंगा में सबसे चमकीला तारा बताया था।