आप सभी को अतुल रोहिल्ला का नमस्कार ।
जैसा कि अपने टाइटल देखा ही है रुद्रनाथ solo ride ।
पहला दिन सुबह ५:३० बजे बाइक स्टार्ट करो तो लगा की बस मौसम साथ दे , रात को इतना भयंकर बारिश तूफान आया , घर वाले ने कहा कि नहीं जाना है , रात को फोन देखा दोस्त का मैसेज आया की में नहीं जा रहा मौसम खराब है। फिर क्या था मूड खराब प्लान कैंसल था , पर दिल कह रहा था नहीं मुझे जाना है भोले बाबा बुला रहे , रात को ही समान पैक किया १२ बजे और पूरी रात नींद ही नहीं आई , ये सोचते हुए की सुबह मौसम खुल जाए , ४:३० बजे आंख खुली तो देखा भोले बाबा ने सुन ली मौसम एक दम साफ़ , बुलेट निकली समान बंधा और ५:३० बजे निकल गया , ठंडा ठंडा मौसम आनंद लेते हुए विकासनगर से ऋषिकेश पहुंच गया subha 7 बजे। वहां यात्रा route चल रहा तो थोड़ा भीड़ है आजकल , थोड़ा चले धीरे धीरे पहुंचे byasi यहां थोड़ा coffee पीने की लगी , थोड़ा आराम करके फिर यात्रा स्टार्ट करी 8 baj चुके थे रास्ता लंबा था ऋषिकेश - देवप्रयाग 76km रोड एक दम बढ़िया देवप्रयाग पहुंचा 9am ,देवप्रयाग के बारे में बता दूं थोड़ा , वहां संगम होता है , भागीरथी और अलकनंदा का और मिलकर बनती है गंगा (जय गंगा मैया )। अदभुत नजारा ऊपर से जो लगता है दिल कोंसाकुन a jata hai shanti एक दम । थोड़ा फोटो लेकर चले आगे यहां नाश्ता किया और फिर आगे चल दिए । अगला पड़ाव जो था वो श्रीनगर था जो 36km दूर था , श्रीनगर से आगे आया ,धारी देवी जी का मंदिर जो श्रीनगर उत्तराखंड से 14km ki दूरी पर है ।
जहां हर दिन एक चमत्कार होता है, जिसे देखकर लोग हैरान हो जाते हैं। दरअसल, इस मंदिर में मौजूद माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। मूर्ति सुबह में एक कन्या की तरह दिखती है, फिर दोपहर में युवती और शाम को एक बूढ़ी महिला की तरह नजर आती है। यह नजारा वाकई हैरान कर देने वाला होता है। इस मंदिर को धारी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर झील के ठीक बीचों-बीच स्थित है। देवी काली को समर्पित इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां मौजूद मां धारी उत्तराखंड के चारधाम की रक्षा करती हैं। इस माता को पहाड़ों और तीर्थयात्रियों की रक्षक देवी माना जाता है। मां का आशीर्वाद लेकर यात्रा आगे बढ़ाई और बुलेट स्टार्ट करके अगला पड़ाव रुद्रप्रयाग जो 20km ki दूरी पर स्थित है, यहां से 2 रास्ते जाते हैं एक केदारनाथ ,chopta tungnath और एक सीधा जो बद्रीनाथ हाईवे कहलाता है। मुझे जाना था सीधा बद्रीनाथ हाईवे , यहां से करणप्रयाग आता है जो 33km की दूरी पर है ,यहां से अब मेराको जाना था गोपेश्वर जो 37km की दूरी पर है , गोपेश्वर बहुत ही सुंदर जगह है । यहां भोले बाबा का एक प्राचीन मंदिर है जिसे गोपीनाथ मंदिर से जाना जाता है , अदभुत मंदिर है भोलेबाबा का , आप फोटो में देख सकते हैं।
यह मंदिर अपने वास्तु के कारण अलग से पहचाना जाता है; इसका एक शीर्ष गुम्बद और ३० वर्ग फुट का गर्भगृ
ह है, जिस तक २४ द्वारों से पहुँचा जा सकता है।
मंदिर के आसपास टूटी हुई मूर्तियों के अवशेष इस बात का संकेत करते हैं कि प्राचीन समय में यहाँ अन्य भी बहुत से मंदिर थे। मंदिर के आंगन में एक ५ मीटर ऊँचा त्रिशूल है, जो १२ वीं शताब्दी का है और अष्ट धातु का बना है। इस पर के राजा अनेकमल्ल, जो १३ वीं शताब्दी में यहाँ शासन करता था, का गुणगान करते अभिलेख हैं।
उत्तरकाल में लिखे चार अभिलेखों में से तीन की गूढ़लिपि का पढ़ा जाना शेष है।
दन्तकथा है कि जब भगवान शिव ने को मारने के लिए अपना त्रिशूल फेंका तो वह यहाँ गढ़ गया। त्रिशूल की धातु अभी भी सही स्थित में है जिस पर मौसम प्रभावहीन है और यह एक आश्वर्य है। यह माना जाता है कि शारिरिक बल से इस त्रिशुल को हिलाया भी नहीं जा सकता, जबकि यदि कोई सच्चा भक्त इसे छू भी ले तो इसमें कम्पन होने लगता है।
मंदिर देख कर आशीर्वाद लेकर चले आगे जो सागर विलेज को रास्ता जाता है जो 4km ki hi दूरी पर है , पहुंचते हुए शाम हो चली थी 5 baj gaye Sagar village से ही रुद्रनाथ trek start होता है जो कि 22km का है , यहां होटल में कमरा लिया जो 500rs तक मिल जाता है । बस अब अगले दिन का इंतजार था कि कब सुबह होगी और हम trek पर निकल पड़ेंगे ,ऐसे ही सोचते हुए आंख लग गई ।