हिंदुस्तान के दिल मध्यप्रदेश में कई ऐसे शहर हैं, जहां पूरे वर्ष पर्यटक आते रहते हैं। इन्हीं में से एक शहर है— रीवा। प्राकृतिक सुंदरता से धन्य, यह 17 गन सैल्यूट राज्य रणनीतिक रूप से मध्य प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में स्थित है और ब्रिटिश शासन के दौरान मध्य भारत एजेंसी की तीसरी सबसे धनी रियासत थी। अपनी हरी-भरी हरियाली के लिए जाना जाने वाला, मनमोहक रीवा विश्व प्रसिद्ध सफेद बाघ मोहन का घर भी है। महाराज मार्तंड सिंह ने उन्हें रीवा में देखा और जब वह शावक थे तब उन्हें पालतू बनाया। दिलचस्प बात यह है कि रीवा का नाम महान नदी नर्मदा से लिया गया है, जिसे रीवा के नाम से भी जाना जाता है। ये शहर ऐतिहासिक विरासतों के साथ-साथ प्राकृतिक विरासतों के लिए भी काफी प्रसिध्द है।
रीवा शहर में स्थित एक ऐतिहासिक किला हैं। रीवा का किला पूरी दुनिया में अपनी भव्यता के लिए मशहूर है। इसकी खूबसूरती का जवाब नहीं। यह घूमने के लिए एक शांतिपूर्ण जगह है।इस महत्वपूर्ण किले को सलीम शाह ने बनाना शुरू किया था, लेकिन वे इसे पूरा नहीं कर सके थे। इसके बाद महाराजा विक्रमादित्य ने इसे पूरा करने का फैसला किया।रीवा के अंतिम शासक महाराजा मार्तण्ड सिंह थे।यह किला बिछिया और बीहर नदी के तट पर बना है, जो किले को प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करती हैं। इस महल की वास्तुकला देखने लायक है ।इस किले को राज्य के बेहतरीन किलों में गिना जाता है। यह अपने प्राचीनता और भव्यता के कारण काफी जाना माना पर्यटन स्थल बन गया है। किले के अंदर एक संग्रहालय भी है। किले का संग्रहालय बहुत ही शानदार है। इस संग्रहालय को बघेला संग्रहालय के रूप में जाना जाता है। इस संग्रहालय में बहुत सारी ऐतिहासिक चीजें रखी गई है। इस संग्रहालय में आपको तलवारें, पुरानी बंदूकें, महाराजा की पोशाक, महारानी की गहनें, झूमर, चांदी का सिंहासन, एवं फिल्म अशोका की तस्वीरें भी देखने मिल जाएगी। इस संग्रहालय में जाने के लिए आपको 20rs का भुगतान करना होगा।
रीवा किले में शंकर जी का एक प्राचीन मंदिर है, जिसे महामृत्युंजय मंदिर के नाम से जाना जाता है। रीवा का यह महामृत्युंजय मंदिर दुनिया का सबसे अनोखा मंदिर है। ये एकमात्र मंदिर है जहां भोलेनाथ के महामृत्युंजय रुप के दर्शन होते हैं। शिव का यह रुप अकाल मृत्यु, रोग और कलह से मुक्ति देने वाला माना जाता है।धार्मिक मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ को तीन नेत्र है इसलिए उन्हें त्रिनेत्रधारी भी कहा जाता है। किंतु इस मंदिर के शिवलिंग की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस सफेद शिवलिंग पर तीन नहीं बल्कि एक हजार नेत्र हैं। इसे सहस्त्र नेत्रधारी शिवलिंग भी कहते हैं।यह शिवलिंग एक बहुत ही अद्भुत शिवलिंग है। इस शिवलिंग को देखने के लिए हर साल बड़ी संख्या में लोग आते हैं और यहां पर महाशिवरात्रि का मेला भी लगता है।
रीवा किला आने का सबसे अच्छा समय
रीवा आने के लिए सबसे अच्छा मौसम मानसून होता है। मानसून जुलाई से शुरु होकर सितंबर तक रहता है और इस समय के दौरान यह शहर प्राकृतिक रूप से बहुत सुंदर दिखता है।
कैसे पहुँचे?
सड़क, हवाई, और रेल नेटवर्क से यात्री रीवा तक पहुँच सकते हैं। इसके सबसे पास खजुराहो हवाई अड्डा है जो भारत के महत्वपूर्ण शहरों से भली प्रकार से जुड़ा है। रीवा रेलवे स्टेशन तक पहुँचने के लिए यात्री रेलगााड़ी भी ले सकते हैं जो रीवा शहर के सबसे पास है। खजुराहो से रीवा के लिए बसें भी उपलब्ध होती हैं।
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