बचपन से टीवी पर हर 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड देख-देखकर बड़ा हुआ हूँ। दिल्ली के राजपथ पर जब जमीन पर सेना मार्च करती थी, आसमान में लड़ाकू विमान तेज उड़ान भरते थे, भारतीय संस्कृति की झाँकियाँ निकलती तो मन टीवी देखकर ही मंत्रमुग्ध हो उठता। संयोग से स्नातक की पढ़ाई के लिए पिछले तीन सालों से दिल्ली में ही हूँ परन्तु किसी कारणवश परेड देख नहीं पाता। अभी कॉलेज का अंतिम वर्ष है तो परेड देखना जरूरी था, वरना वापस ये मौका कब आये, नहीं पता। इच्छा थी, परन्तु जब टिकट का पता किया तो वह समाप्त हो चुकी थी। ऐसे में आधी रात में ही ख्याल आया कि हम बिना टिकट के ही गणतंत्र दिवस की परेड देखने जाएँगे, और चले गए।
सुबह 5 बजे ही जगकर, जल्दी से तैयार होकर हम मेट्रो लेकर परेड देखने निकल पड़े। चूँकि इस दिन अन्य दिनों से ज्यादा कड़ी सुरक्षा रहती है, तो राजपथ के निकटम दो मेट्रो स्टेशन- केंद्रीय सचिवालय व उद्योग भवन को बंद कर दिया गया था, इसी कारणवश सबको लोक कल्याण मार्ग मेट्रो स्टेशन पर उतरकर ही निर्धारित मार्ग से आगे जाना था। भीड़ काफी ज्यादा थी। लोग ₹20, ₹100 व ₹500 की टिकट लेकर लाइन में लगे थे, ऐसे में हमारे पास टिकट न होने के कारण मन असमंजस में था कि हम परेड देख पाएँगे या नहीं। अपनी शंका दूर करने के लिए हमने कुछ पुलिसवालों से पूछा और उन्होंने बताया कि परेड देख सकते हैं, साथ ही उन्होंने वहाँ तक जाने का रास्ता भी बता दिया। हमें बिना टिकट का होने का बहुत फायदा मिला। अलग लाइन में लगे थे जोकि टिकट वाली लाइन से बहुत छोटी थी। चार जगह सुरक्षा जाँच होने के बाद हम इंडिया गेट के काफी करीब के लॉन में जाकर बैठ गए। शुरुआत में हमारी सीट पीछे थे, मगर थोड़ा वक्त बीतने पर हम सबसे आ गए। ऐसे में फ्री में भी हमने सबसे बेहतरीन नजारे का लुत्फ उठाया।
राजपथ के दोनों ओर लाखों लोग बैठे थे जोकि समय-समय पर वंदे मातरम के नारे भी लगा रहे थे। माहौल रोंगटे खड़े कर देने वाला है, और मुझे लाइव परेड देखने की उत्सुकता और अधिक उत्साहित करती जा रही थी। 10 बजा और परेड शुरू हुआ। सेना की टुकड़ियों ने अपना कौशल दिखलाया, ऊपर हेलीकॉप्टर व लड़ाकू विमानों ने करतब दिखाए। फिर आई मिसाइलें, युद्धपोत की झाँकी, तोप, रडार, ऊँट व और भी बहुत कुछ। बाल पुरस्कार से नवाजे गए कई बच्चों को भी खुली जीप में बिठाकर वहाँ से ले जाया गया। इसके बाद शुरू हुआ झाँकियों का सिलसिला जोकि टीवी पर देखने से कहीं ज्यादा खूबसूरत सामने दिख रहा था। सारी झाँकी खूबसूरत थी, और कलाकार भलीभाँति अपनी प्रस्तुति दे रहे थे। इतना कुछ होने के बाद शुरू हुआ महिला बाइकर्स का मोटरसाइकल करतब। एक-एक मोटरसाइकिल पर अनेक महिला बाइकर्स करतब दिखला रहीं थी। उनकी निपुणता देख मन अत्यंत प्रभावित हो गया।
बाइक परेड होने के बाद लड़ाकू विमानों ने अपने करतब दिखलाए जिसकी आमलोगों ने काफी सराहना की। आसमान में त्रिशूल बनाते हुए जब वे विमान गुजरे तो देखने वाला हर भारतीय गर्व से भर उठा। कुलमिलाकर, मेरी सालों पुरानी इच्छा पूरी हो गयी, वो भी मुफ्त में। भारतीय संस्कृति को एक साथ ऐसे देख पाना सौभाग्य की बात है और ये सौभाग्य बहुत सब्र के बाद मुझे प्राप्त हो ही गया। अगर आप दिल्ली में रहते हैं, या हैं तो अगले साल ये परेड देखने जरूर जाइयेगा। सैन्य शक्ति के पराक्रम को यूँ आमने-सामने देखने का गौरव की अलग होता है।
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