भारत के उत्तरी हिस्से में स्थित, उत्तर-प्रदेश, भारत के 28 राज्यों में से एक राज्य है। जिसके बारे में कहा जाता है कि "कोस-कोस पे बदले पानी, ढ़ाई कोस पे वाणी"
अर्थात यहाँ हर तीन किमी पर पानी का स्वाद बदल जाता है और लगभग दस किमी पर भाषा का लहज़ा बदला हुआ होता है। ऐतिहासिक, धार्मिक और राजनितिक दृष्टि से इस राज्य का अलग ही महत्व है।
उत्तर-प्रदेश जिसको सब उसकी दबंगई और अराजकता के लिये जानते है। कुछ कस्बे तो अपनी इसी दबंगई के कारण ही जाने जाते है। पर उत्तर-प्रदेश जाना जाता है अपनी लखनवी तहजीब के लिए, अपने कनपुरिया अंदाज के लिये, अपनी चिलचिलाती गर्मी के लिये, अपनी जमा देने वाली ठंड के लिये, अपने जुगाड़ के लिये, यहाँ के लोग अपने मस्त-मौला मिज़ाज़ के लिये।
आज उत्तर-प्रदेश की कुछ गौरवान्वित करने वाली खास बातें आपको बताती हूँ, जिसे पढ़कर, उत्तर-प्रदेश को लेकर, आप सभी की राय बदल जायेगी।
सबसे पवित्र और पुराना शहर
उत्तर प्रदेश अपनी गोद में भारत के सबसे पुराने और पवित्र शहर अर्थात वाराणसी को लिये हुए है। वाराणसी लगभग तीन हजार साल पुराना शहर है। वाराणसी को बनारस और काशी भी कहते है। कहते है इस पवित्र शहर की स्थापना भगवान शिव ने की थी। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं की दृष्टि से वाराणसी मुक्ति का द्वार है। यहाँ के गंगा घाट पे स्नान का अलग ही महत्व है।
बनारसी साड़ी के बारे में कौन नही जानता। साड़ी पर खूबसूरत कलाकारी यहीं होती है। खाने में बनारसी पान भी खूब पसंद किया जाता है।
भारत का राष्ट्रीय चिह्न
आप सभी भारत के राष्ट्रीय चिन्ह को जानते ही होंगें। 26 जनवरी 1950 में इस चिन्ह को भारत के राष्ट्रीय चिन्ह की मान्यता मिली। इसमें चार शेर पीठ जोड़े बैठे है। एक शेर के नीचे लिखा है 'सत्यमेव जयते'। यह चिन्ह, सारनाथ में सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया अशोक स्तंभ है।
बौद्ध धर्म का तीर्थ
सारनाथ बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थों में से एक है। इसी स्थान पर भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के पश्चात अपना पहला उपदेश दिया था।
साहित्यकारों की भूमि
उत्तर प्रदेश को साहित्यिक क्षेत्र का सर्वेसर्वा कहें तो कोई संशय नही होगा। संस्कृत से लेकर हिंदी और उर्दू साहित्य की यह भूमि कर्मभूमि रही है। यहाँ बहुत नामवर साहित्यकार हुए है जिस पर सब भारतीयों को गर्व है।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने हिन्दू धर्म का परमपूज्य ग्रंथ राम चरित मानस यहीं लिखा था।
ऋषि वाल्मीकि द्वारा रामायण नामक महाकाव्य का सूत्रपात भी यहीं हुआ था।
कबीरदास, सूरदास, भारतेंदु हरिश्चंद्र, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, आचार्य राम चन्द्र शुक्ल, प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, सुर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुमित्रानंदन पन्त, हरिवंश राय बच्चन, महादेवी वर्मा, राही मासूम राजा, सच्चीदानंद हीरानंद वात्सायन अज्ञये जैसे महान कवि और लेखक उत्तर-प्रदेश में पैदा हुए है।
उर्दू साहित्य में भी फ़िराक गोरखपुरी, जोश मलीहाबादी, नजीर अकराबादी, वसीम बरेलवी, कैफी आजमी, चकबस्त आदि का नाम आज भी गर्व से लिया जाता है।
संगीत और नृत्य की धरोहर
हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का जन्म और विकास भी यहीं हुआ है। यहाँ का पारंपरिक संगीत, ठुमरी और आल्हा जैसे गायन इसी भूमि की देन है बल्कि भातखंडे जैसा महत्वपूर्ण संगीत संस्थान भी यहीं स्थिति है। तबले और सितार का विकास भी इसी राज्य में हुआ था।
पारंपरिक शास्त्रीय नृत्य में भी इस प्रदेश का अहम स्थान है। कत्थक उत्तर प्रदेश का शास्त्रीय नृत्य है और कत्थक नृत्य के प्रमुख कलाकार पन्डित बिरजू महाराज यहीं के रहने वाले थे।
भगवान राम और कृष्ण की जन्म भूमि
उत्तर-प्रदेश की भूमि को पावन और पवित्र कहें तो गलत नही होगा। सरयू नदी के तट पर स्थित अयोध्या को भगवान राम का जन्मभूमि है, वहीं मथुरा में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था।
इलाहाबाद का महा कुम्भ
उत्तर-प्रदेश के इलाहाबाद कुम्भ के मेले में दुनिया भर से लगभग 12 करोड़ लोग आते है। यह मेला विश्व का ऐसा मेला है, जहा सबसे ज्यादा लोग आते है।
प्रधानमन्त्री ही प्रधानमन्त्री
आप सभी को ये जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश के 15 प्रधानमंत्रियों में से 8 प्रधानमंत्री उत्तर-प्रदेश के रहे हैं। जिनके नाम है जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी, चौधरी चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेयी।
आईएएस अधिकारीयों की जननी है यहाँ की मिट्टी
अब जो जानकारी मैं देने वाली हूँ, उसे पढ़कर आप हैरान रह जायेंगे। भारत देश को सबसे अधिक आईएएस (IAS) अधिकारी उत्तर-प्रदेश से ही प्राप्त है। बल्कि एक गांव तो ऐसा है जहाँ तकरीबन हर घर से कोई न कोई उच्च अधिकारी है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में एक ऐसा गांव है माधोपट्टी। इस गांव में पैदा हुए बच्चे इतने बुद्धिमान है कि 75 घरों वाले इस गांव के 47 युवक आईएएस अधिकारी बने है जो विभिन्न विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे है। कुछ इसरो, भाभा जैसी कई विश्वप्रसिद्ध संस्थानों में नौकरी कर रहे है। यह गांव देश के अन्य गांवों के लिए मिसाल है। इस गांव का युवा खुद को साबित करने के लिए जीतोड़ मेहनत करता है।
इत्र की नगरी
उत्तर प्रदेश में जब कहीं से गुजरे और आपको हवा में गुकाबों की महक आने लगे तो समझ जाइयेगा कि आप गुलाबों के शहर कन्नौज पहुँच गए है। उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में भारी मात्रा में इत्र बनाया जाता है। यहाँ पर फूलों की खेती खूब होती है, जैसे गुलाब, गेंदा और मेंहदी। यहाँ के फूलों से बने इत्र दूर-दूर तक पहुंचाये जाते है।
दुनियाभर में बजते है जिलेसर की घंटी और घुंघरु
घरों मे बजती छोटी घन्टियाँ हो या मंदिरों में बजते बड़े-बड़े घन्टे या फिर पीतल के घुंघरु, ये सभी उत्तर-प्रदेश के एक छोटे से कस्बे, जिलेसर में बनते है। यहाँ का धातु का कारोबार सालों पुराना है। जिलेसर के चार हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। जिलेसर की दुकानों पर इनका खुला माल खूब बिकता है।
जनसंख्या में भी पीछे नहीं है ये राज्य
2011 की जनगणना के अनुसार भारत की सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर-प्रदेश है।
पारिजात वृक्ष
कहते है कि पारिजात वृक्ष, भगवान कृष्ण द्वारा अपनी दूसरी पत्नी के लिए स्वर्ग से लाया गया था। बाराबंकी जिले के किन्तूर गांव में पारिजात का पेड़ है। भारत सरकार द्वारा संरक्षित यह वृक्ष सांस्कृतिक और पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
तम्बाकू-बीड़ी
भारत में सबसे ज्यादा तम्बाकू और बीड़ी उत्तर-प्रदेश में बनाई जाती है। उत्तर-प्रदेश के कासंगज इलाके में तम्बाकू की उच्च स्तर पर खेती होती है। गुरसहायगंज के हर घर में सिर्फ बीड़ी बनाने का काम होता है।
उत्तर-प्रदेश का हस्तशिल्प
उत्तर-प्रदेश का हर शहर और जिला अपनी हस्तकला के लिये जग प्रसिद्ध है। जैसे फिरोज़ाबाद की चूड़ियाँ, पिलखुवा की हैण्ड ब्लाक प्रिंट की चादरें, बनारस की साड़ियाँ तथा रेशम व ज़री का काम, लखनऊ का कपड़ों पर चिकन की कढ़ाई का काम, रामपुरी चाकू, मुरादाबाद के पीतल के बर्तन, मेरठ की कैंची अलीगढ़ का ताला आदि-आदि।
पर्यटकों की पसंदीदा
उत्तर प्रदेश पर्यटकों का भी पसंदीदा स्थान है। हर वर्ष यहाँ सात मिलियन से अधिक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आते है। आगरा का ताज महल तो वैसे भी सात अजुबों में आता है। आगरा, मथुरा-वृन्दावन, बनारस के घाट, राम नगरी-अयोध्या, सारनाथ, इलाहाबाद, चित्रकूट, लखनऊ और झाँसी आदि जहाँ पर्यटकों को देखने के लिये बहुत कुछ है।
“गन्ने का कटोरा”
भारत की कुल गन्ने की फसल में से, आधे से ज़्यादा गन्ने की फसल, उत्तर प्रदेश में होती है। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर में गन्ने की भरपुर खेती होती है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश को "गन्ने का कटोरा" के नाम से भी जाना जाता है।
राज्य एक.......सीमाएं अनेक........
उत्तर प्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है जो अपनी सीमाएं 9 अन्य पड़ोसी राज्यों के साथ साझा करता है। उत्तर पश्चिम में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम में राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में छत्तीसगढ़, पूर्व में बिहार और झारखंड हैं।
किस्सा कुर्सी का
उत्तर-प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है, जो भारतीय राजनीति की दिशा भी बदल सकता है और दशा भी। उत्तर-प्रदेश के पास है लोकसभा की 80 सीटे और राज्यसभा की 31 सीटे है। जो राजनीति में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
मुजफ्फरनगर
मुजफ्फर नगर जिले की प्रति व्यक्ति आय पूरे उत्तर-प्रदेश में सबसे ज्यादा है। इसी जिले के एक छोटे से ब्लॉक शामली को देश में एलआईसी का सबसे अधिक प्रीमियम देने के लिए जाना जाता है।
उत्तर-प्रदेश के बारे में इतनी रोचक जानकारी मिलने के बाद आप ये तो जरूर कहेंगें कि "कुछ बात तो है उत्तर-प्रदेश में"।
मेरी दी गई जानकारी आपको कितनी अच्छी लगी.......कमेंटस करके जरूर बतायें।
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