छत्तीसगढ़ देश के ऐसे राज्यों में शामिल है, जहाँ आदिवासियों की अच्छी-खासी संख्या है। जाहिर है, आधुनिकता की होड़ में यहाँ के लोग उतने मशगूल नहीं रहे। यही कारण है कि इस राज्य में प्रकृति ने भी अपना प्यार लुटाया है। जंगल, जीव, पहाड़, झरना आदि से लगाव रखने वाले सैलानियों को छत्तीसगढ़ कभी निराश नहीं करता है। यूँ तो इसे राज्य बने मात्र 20 साल ही हुए हैं लेकिन इतिहास की जड़ें बेहद गहरी हैं। राजधानी रायपुर देश का तेजी से बढ़ता शहर है तो वहीं हम इसकी प्राचीन राजधानी रतनपुर की ओर कूच कर रहे हैं।
मेरे जैसे घुमक्कड़ों के लिए रायपुर से कतई कम महत्व नहीं रखता है रतनपुर। एक्सप्लोर करने के साथ आपको अगर किसी क्षेत्र की मौलिकता को जानना हो तो इतिहास आपकी मदद करता है। 'तालाबों का शहर' के रूप में विख्यात रतनपुर के किले सैलानियों को अपनी ओर खींचते हैं। यहाँ आकर मुझे पता लगाकि छत्तीसगढ़ का ये 36 का जो आंकड़ा है वो क्या है और कहाँ से आया है। चलिए, जरा इसको खंगाल कर देखने की कोशिश करते हैं और जानते हैं कि रतनपुर में क्या ख़ास एक्सप्लोर करने को है:
रतनपुर शहर में जब आप आते हैं तो आपका स्वागत बाबा भैरवनाथ की प्रतिमा करती है। प्रतिमा की लम्बाई आपका ध्यान आकर्षित करती है जो कि नौ फुट लंबी है। जानकारी के लिए बता दूँ कि रतनपुर का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। उस समय इसे रावलीपुरी के रूप में जाना जाता था। कहा जाता है कि यह पौराणिक राजा मयूरध्वज की राजधानी थी। बाद में चलकर कलचुरी वंश के राजा रत्नदेव प्रथम ने 11वीं शताब्दी में अपनी राजधानी को यहाँ स्थापित किया था। बिलासपुर से लगभग 25 कि.मी. दूर स्थित रतनपुर नेशनल हाइवे 200 पर मौजूद है।
पहाड़ियों के बीच 11066 एकड़ में बसे रतनपुर किले में दाखिल होते ही आप में इतिहास के बारे में जानने की ललक जाग जाती है। गणेश गेट पर ब्रह्मा, विष्णु , शिचोराय, जगरनाथ मंदिर और भगवान शिव के तांडव नृत्य की मूर्तियाँ सैलानियों को आकर्षित करती हैं। इस जगह का ख़ास पुरातात्विक महत्व है। बताया जाता है कि यहाँ के किसी राजा ने अपनी संतानों की सुविधा के लिए प्रशासन को दो भागों और 18-18 गढ़ों में बाँट दिया। एक का केन्द्र रतनपुर ही रहा तो दूसरा रायपुर केन्द्रित शासन का गठन हुआ। फिलहाल छत्तीसगढ़ की नई राजधानी रायपुर है लेकिन रतनपुर को पुरानी राजधानी के रूप में जाना जाता है।
तालाबों की नगरी
आपको जानकर आश्चर्य हो सकता है कि रतनपुर में लगभग 365 तालाब मौजूद हैं। लिहाजा इसे तालाबों की नगरी भी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार, ये तालाब पौराणिक समय से ही अस्तित्व में हैं। बताया जाता है कि लगभग 1400 तालाब यहाँ रहे हैं लेकिन हाल के दिनों में इनकी संख्या लगातार घट रही है। रतनपुर ऐतिहासिक होने के साथ-साथ एक धार्मिक नगरी भी है लिहाजा यहाँ के बचे-कुचे तालाब धार्मिक महत्व के कारण बचाकर रखे गए हैं। छोटे से शहर में इतना ज्यादा तालाब आपको अचंभित कर सकता है। यहाँ का दुलहरा तालाब विशेष कारण से फेमस है। बताया जाता है कि इस तालाब में दो तरह की लहरें उठती हैं जिन्हें गंगा-यमुना कहा जाता है। इन दोनों तरह की लहरों में आप देखकर फर्क कर सकते हैं। 180 एकड़ के तालाब को छत्तीसगढ़ की गंगा भी कहते हैं।
महामाया मंदिर
रतनपुर में आपको कदम-कदम पर मंदिर मिलते हैं। छत्तीसगढ़ में इसे छोटा काशी के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त है। यहाँ आकर बनारस को आप रिकॉल कर सकते हैं। रतनपुर का महामाया मंदिर कुछ ज्यादा ही फेमस है। यहाँ हजारों की संख्या में ज्योति कलश को जलाया जाता है जो कि इसे और खास बना देता है। इस मंदिर को देश के 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है। मान्यता है कि सती का दाहिना स्कंध यहाँ आकर गिरा था। अन्य शक्तिपीठों की तरह ही यहाँ भी तंत्र-साधना के लिए तांत्रिक जमा होते हैं। मंदिरों से भरे रतनपुर में राम टेकरी, लखनी देवी मंदिर आदि मंदिर खासे लोकप्रिय हैं।
प्रकृति के बीच शांतिपूर्ण वातावरण का आनंद लेना हो तो खूंटाघाट डैम एक अहम जगह है। यहाँ आसपास मौजूद जलाशय, पहाड़ और जंगल का नज़ारा आपके दिल में बस जाएगा। बताया जाता है कि सिंचाई के लिए खारून नदी पर बांध बनाया गया जो कि एक झील सा लगता होता है। सैलानियों को ध्यान में रखते हुए यहाँ रास्ते, ब्रिज और सीढ़ियाँ बनाई गई है। मॉनसून और ठंड के मौसम में यहाँ भारी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। यहाँ की छटा ही ऐसी है कि पक्षी हज़ारों किलोमीटर की यात्रा कर यहाँ पहुँचते हैं। पक्षियों को खेलते देखना हो तो इस डैम पर कुछ समय ज़रूर बिताएँ!
अगर आपके पास वक्त हो तो आप रतनपुर यात्रा के दौरान बिलासपुर स्थित कानन पेंडारी, मल्हार, ताला, लुतरा शरीफ आदि जगहों को भी एक्सप्लोर कर सकते हैं।
कब और कैसे पहुँचें?
रतनपुर की यात्रा आप किसी भी समय कर सकते हैं। बस ज्यादा बरसात की सूरत में यहाँ की यात्रा ना करें। रतनपुर में ठहरने के लिए सस्ते होटल और लॉज उपलब्ध हैं। आप महामाया मंदिर परिसर में मौजूद धर्मशालाओं में भी ठहर सकते हैं। इसके लिए पहले ही बुकिंग करनी होती है। रतनपुर बेहद फेमस टूरिस्ट प्लेस है लिहाजा कनेक्टिविटी भी अच्छी है। आप विभिन्न माध्यमों से यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं।
हवाई जहाज द्वारा - रायपुर निकटतम हवाई अड्डा है जो कि मुंबई, दिल्ली, कोलकाता सहित देश के प्रमुख शहरों से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है।
ट्रेन द्वारा - हावड़ा-मुंबई रेलरूट पर स्थित बिलासपुर सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है जो कि रतनपुर से 25 कि.मी. की दूरी पर है। आप अपनी यात्रा के लिए रायपुर रेलवे स्टेशन पर भी आ सकते हैं। वहाँ से बस या टैक्सी से रतनपुर पहुँचा जा सकता है।
सड़क द्वारा - रतनपुर सड़क मार्ग से अच्छी तरह कनेक्टेड है। आप बस या टैक्सी से आसानी से यहाँ पहुँच सकते हैं। बिलासपुर ज़िला मुख्यालय से रतनपुर के लिए दिनभर में कई बसें उपलब्ध हैं।
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