लोगों को लगता है राजस्थान में पानी ही नहीं है।
लोगों को गलत नहीं लगता। राजस्थान के ज़्यादातर हिस्से में पानी नहीं है। वो तो सन 1953 में यहाँ पंजाब की सतलुज और रावी नदियों के संगम पर बने हरिके बाँध से इंदिरा गांधी नहर निकाल कर यहाँ के उत्तरी भागों को सींचा गया। तब जाकर यहाँ गेहूं, दालों जैसी ज़्यादा पानी पीने वाली फसलें हो पायी। नहीं तो यहाँ के 60-70 मीटर ऊंचे रेतीले टीबों में कैक्टस और कहीं-कहीं बाजरे के अलावा कुछ उगता नज़र ही नहीं आता।
पर ऐसा नहीं है कि पानी की इस किल्लत से बचने के लिए इंदिरा गांधी नहर से पहले हम हाथ-पर हाथ धरे बैठे थे। यहाँ सदियों से पानी की इकठ्ठा करने के लिए झीलें खुदाई जाती है और बावड़ियां भी बनायी जाती है।
इन्हीं हाथ से खोदी गयी झीलों में से एक है अलवर की सिलीसेड झील, जहाँ आज स्कूब डाइविंग और वाटर स्कूटर जैसी वाटर एडवेंचर एक्टिविटीज की जाती हैं। आज ये अलवर ही नहीं, पूरे राजस्थान का फेवरेट पिकनिक और वीकेंड स्पॉट है।
सिलीसेड झील
9 वर्ग किलोमीटर में फैली सिलीसेड झील को सन 1885 में महाराजा विनय सिंह ने बनवाया था। झील के किनारे एक सुन्दर सा महल भी है, जो महाराजा ने अपनी पत्नी शीला की याद में बनवाया था। आज इस महल को RTDC ने होटल में तब्दील कर दिया है, ताकि आप और हम जैसे लोग कुछ रुपये देकर शाही रजवाड़ों वाली फीलिंग का मज़ा सकें।
सिलीसेड झील में वाटर स्पोर्ट्स
जेट स्कीइंग
वाटर जॉर्बिंग
राफ्टिंग
कैसे पहुंचें
अगर हम दिल्ली से यहाँ आते हैं तो सिर्फ 190 किलोमीटर का फासला है। अपनी गाडी से आएं तो 3 घंटे में आराम से पहुँच सकते हैं।
जयपुर से 150 किलोमीटर के फासले पर है।पहुँचने में सिर्फ 2 घंटे लगते हैं।
यहाँ का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जहाँ इंटरनेशनल और डोमेस्टिक दोनों तरह के जहाज़ उतरते हैं। इसके अलावा जयपुर में भी रेलवे स्टेशन है और अलवर में भी। जयपुर में थोड़ा बड़ा स्टेशन है, जो भारत के ज़्यादातर महानगरों से जुड़ा है।
किनके लिए अच्छा है
यहाँ लोग परिवार के साथ पिकनिक मनाने आते हैं। जवान जोड़े भी यहां हाथ में हाथ डाले घुमते दिख जाते हैं। दोस्तों के साथ मस्ती करने के लोग ग्रुप बनाकर भी यहाँ आते हैं।