कोटा राजस्थान राज्य का तीसरा सबसे बड़ा शहर है और लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। चंबल नदी के तट पर स्थित, कोटा शहर अपनी विशिष्ट शैली के चित्रों, महलों, संग्रहालयों और पूजा स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर सोने के आभूषणों, डोरिया साड़ियों, रेशमी साड़ियों और प्रसिद्ध कोटा पत्थर के लिए जाना जाता है।कोटा शहर अपनी वास्तुकला की भव्यता के लिए दुनिया भर में जाना जाता है, जिसमें खूबसूरत महल, मंदिर और संग्रहालय शामिल हैं, जो बीते युग की भव्यता को प्रदर्शित करते हैं।इस लेख में हम मानव निर्मित प्राकृतिक और धार्मिक सुन्दरता का संगम का निर्माण करने वाले त्रिकुटा मंदिर के बारे में जानेगें।
माँ त्रिकुटा मंदिर
माँ त्रिकुटा का यह मंदिर राजस्थान के कोटा जिले में बूंदी रोड पर स्थित है। जो कोटा शहर से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में विराजमान त्रिकुटा माता को वैष्णो देवी का ही रुप माना जाता है।मां वैष्णो देवी के पर्याय मां त्रिकुटा के इस पावन मंदिर का निर्माण कोटा में पिछले 10 से 12 वर्षों से चल रहा था।प्राकृतिक सुन्दरता के साथ विशाल मंदिर माँ त्रिकुटा का निर्माण किया गया है जो पुरे भारतीय एवं कोटा के लोगों के लिए आकर्षक का केंद्र हैं त्रिकुटा मंदिर को पूरा पत्थरों से सजाकर ऐसे बनाया गया है मानों ये कोई प्रकृति की देन है।
इस मंदिर का मुख्य आकर्षण मंदिर परिसर के केंद्र में भगवान शिव की विशाल मूर्ति है।यह मंदिर मां वैष्णो देवी मंदिर के वास्तविक मार्ग के समान पहाड़ियों और गुफाओं के रूप में बना है।मुख्य गर्भगृह में मां वैष्णो देवी की मूर्ति कटरा में श्री माता वैष्णो देवी की मूल मूर्ति के समान है। प्रवेश द्वार जिसके दोनों ओर दो विशाल शेर और हाथी हैं, मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा देता है।प्राकृतिक दिखने वाली गुफाएं, झरने, पेड़, जानवर, पत्थर की नक्काशी, और भगवान हनुमान और देवी पार्वती जैसे हिंदू देवी-देवताओं की विभिन्न मूर्तियाँ मंदिर के अन्य आकर्षणों में से एक हैं।
चरण पादुका का एक मंदिर भी वहां स्थित है।इस मंदिर के शिल्पकारों ने इसे सबसे प्राकृतिक रूप देने की पूरी कोशिश की। मां त्रिकुटा मंदिर को आम लोगों के लिए नवंबर 2021 में खोल दिया गया था।
त्रिकुटा मंदिर का खुलने का समय
यह मंदिर सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक खुले रहता है।माता का त्रिकुटा मंदिर पूरे सप्ताह भार खुले रहता है।अगर आप इस मंदिर को पूरी तरह से देखना चाहते हो तो आपको लगभग 1 से 2 घंटे का समय लगेगा।जिससे आप इस मंदिर को अच्छी तरह से देख सको।
त्रिकुटा मंदिर की टिकट और अन्य शुल्क
एक टिकट की कीमत 50 रुपये है।दोपहिया वाहनों से 10 रुपये पार्किंग शुल्क लिया जाता है, जबकि चार पहिया वाहनों से 30 रुपये वसूल किए जाते हैं।लॉकर्स और जूतों के स्टैंड के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता है।
कैसे पहुंचें?
कोटा के त्रिकुटा मंदिर पहुंचने के लिए यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर का सांगानेर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जो कोटा से 250 किमी. दूर है। वहीं, यहां पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटा जंक्शन है। इसके अलावा, यहां सड़क मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है जो राज्य के विभिन्न मार्गो से जुड़ा हुआ है।
पढ़ने के लिए धन्यवाद। अपने सुंदर विचारों और रचनात्मक प्रतिक्रिया को साझा करें अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो।