घूमने घुमाने की जब भी बात आती है तो लोग राजस्थान की तरफ़ आहें भर के देखते हैं। हर घुमक्कड़ की ट्रैवल लिस्ट में राजस्थान का नाम ज़रूर आता है। यहाँ क़िले हैं, नहरें हैं, रेगिस्तान हैं, पहाड़ियाँ भी हैं, क्या नहीं है।
आज हम बात करेंगे राजस्थान के इन्हीं 10 क़िलों की, जो कभी विदेशी आक्रमण से हमारी रक्षा करते थे, आज हमारे लिए कला और क़ाबिलियत की पहचान बन चुके हैं।
1. जैसलमेर का क़िला
त्रिकुटा पहाड़ियों पर बसा जैसलमेर का क़िला थार के रेगिस्तान के काफ़ी नज़दीक है। राजस्थान के सबसे पुराने क़िलों में शुमार जैसलमेर का क़िला राणा रावल जैसवाल ने बनवाया था। पीले रंग का होने के कारण इसे सुनार क़िला या सुनहरा क़िला भी कहते हैं।
विदेशी आक्रान्ताओं से बचने के लिए क़िले में 99 गढ़ हैं और 2 तोप दागने की जगहें। 3 स्तरों की सुरक्षा वाले इस क़िले में हर वो चीज़ मौजूद है, जो इसे अपने आप में सम्पूर्ण राजमहल बनाती है। जैसे मंदिर, घर, बाज़ार, रेस्तराँ आदि। आजकल की ज़ुबान में बोले तो आत्मनिर्भर। देखने के लिए आकर्षक जगहों में यहाँ का शाही महल, श्रीनाथ पैलेस, व्यास हवेली, हिन्दू और जैन मंदिर प्रमुख हैं। कई संग्रहालय भी हैं यहाँ पर जो उस समय की पेंटिंग, शस्त्र और दूसरी चीज़ों को अभी तक सँजोए हुए हैं।
2. चित्तौड़गढ़ का क़िला
7वीं सदी में बना चित्तौड़गढ़ का क़िला राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध और ऐतिहासिक क़िलों में आता है। अपने इतिहास, पराक्रम और बलिदान की कहानियाँ आज भी इसके नज़दीक रहने वाले बच्चों को सुनाई जाती है। कुछ तो इनमें इतनी भावुक करने वाली हैं कि आप जहाँ जाते हैं, उन कहानियों को साथ ले जाते हैं।
लेकिन इसके इतर अपनी ख़ूबसूरती के लिए प्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ का क़िला टैंकों, शाही राजभवनों, मंदिरों की जो अनुपम कला दिखाता है, दिल खुशमखुश हो जाता है। मुख्य आकर्षणों में आप राणा कुंभ पैलेस, रानी पद्मिनी पैलेस, बड़ा महल, रतन सिंह पैलेस, कँवर पद का महल ज़रूर देखने जाएँ।
3. नाहरगढ़ का क़िला
अपनी गर्मी की छुट्टियाँ बिताने के लिए महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय यहाँ आया करते थे। अरावली की पहाड़ियों पर समय बिताने के लिए इससे अच्छा मौसम और समय कब हो सकता है। इसकी दीवारें जयगढ़ क़िले से मिलती हैं। जयपुर को देखने के लिए शायद इससे अच्छी जगह आपको मिले।
यहाँ की ख़ूबसूरत जगहों में आपको महेन्द्रभवन जाना चाहिए, जो कि यहाँ का सबसे आकर्षक भवन है। यहाँ एक संग्रहालय है, जहाँ पर उस समय की पेंटिंग्स और कला का दूसरा सामान मौजूद है। ऊपर एक रेस्तराँ भी है जहाँ आप चाय और खाने का लुत्फ़ ले सकते हैं। केवल यही क़िला इतना बड़ा कि आपको इसे घूमने में दिनभर लग जाएगा।
4. अम्बेर का क़िला
आमेर कहिए या अम्बेर, बात एक ही है। अरावली की पहाड़ियों पर बना यह क़िला माओटा झील के ठीक सामने है। 16वीं सदी में राजा मान सिंह का बनवाया यह क़िला हिन्दू और मुग़ल कला की बेशक़ीमती मिसाल है। यहाँ के भवनों में ख़ास दीवान-ए-आम, दीवान-ए-ख़ास, शीशमहल, सुख निवास, शीला माता मंदिर वाक़ई देखने लायक हैं। शाम के समय यहाँ पर लाइट और संगीत के साथ शो हुआ करते हैं। अगर आप सबसे बेहतर अनुभव पाना चाहते हैं तो सूर्योदय या सूर्यास्त के समय आएँ।
5. रणथंबोर का क़िला
रणथंबोर का जंगल बहुत प्रसिद्ध है, उसकी कहानियाँ भी। उसी जंगल के बीच में बना है ये क़िला। शानदार, ज़बरदस्त, ज़िन्दाबाद ये क़िला कई आक्रमण झेलने के बाद भी मुस्तैदी के साथ खड़ा हुआ है। इसका हिस्सा, जिस पर ख़ूब आक्रमण हुए, भी देखने कई पर्यटक आते हैं। गणेश मंदिर, हामिर कोर्ट, धौला महल, जोगी महल, शिव मंदिर यहाँ की आकर्षक जगहों में हैं।
लेकिन इसके अलावा आप रणथंबोर के जंगल घूमने का भी प्लान बना सकते हैं।
6. कुंभलगढ़ का क़िला
अरावली की पहाड़ियों पर दूसरा क़िला है कुंभलगढ़ का। अपनी ऐतिहासिक कहानियों के लिए शायद सबसे ज़्यादा चर्चा में यही रहा है। 15वीं सदी में महाराजा राणा कुंभ ने इसका निर्माण करवाया था। चीन की दीवार के बाद सबसे लम्बी 36 किमी0 की दीवार इसी कुंभलगढ़ क़िले की है।
क़िले में 300 से ज़्यादा मंदिर, उसके अलावा भवन, रहने के लिए घर, बावलियाँ, बड़ा महल और विशेष शिव मंदिर हैं। यह क़िला सात बड़े दरवाज़ों से अपने मेहमानों का स्वागत करता है, जिससे इसके आकार में बड़े होने का अन्दाज़ा लगाया जा सकता है।
7. तारागढ़ क़िला
चौहान वंश की कहानी देखनी हो तो इस क़िले में आ जाइए। अपने इतिहास के लिए प्रसिद्ध और बूँदी की शान तारागढ़ क़िला पर्यटकों का पसन्दीदा रहा है। अपने पानी बचा के रखने वाले जलाशय और सुरंगों के कारण आप उस समय की विज्ञान की जानकारी का अन्दाज़ा लगा सकते हैं।
रानी महल यहाँ का सबसे आकर्षक भवन है। इसके अलावा लक्ष्मी पोल, फुता दरवाज़ा और गागुड़ी की फाटक भी देखने लायक जगहों में से हैं। भीम बुर्ज और गरबा गुंजन देखने ज़रूर जाएँ।
8. लोहागढ़ का क़िला
भरतपुर का लोहागढ़ क़िला अकेला ऐसा क़िला है, जो हमेशा मुग़लों के आक्रमण से हारा नहीं। इस पर ब्रिटिश भी कभी अपना अधिकार नहीं जता पाए। जैसा कि नाम से पता चलता है, इसने जमकर लोहा लिया और कभी हार नहीं मानी।
अपनी बनावट, सूझबूझ और समझदारी के सबूत इस क़िले में कई ऐसी जगहें हैं जो आपको यहाँ आते समय ज़रूर देखनी चाहिए। जिनमें महल ख़ास, किशोरी महल और कोठी ख़ास प्रमुख हैं। इसके अलावा यहाँ के संग्रहालय को भी देखें। संस्कृत के पुराने संग्रह रखे हैं यहाँ के संग्रहालय में, पुराने अस्त्र शस्त्र आज कितने अनमोल हैं हमारे लिए। जवाहर बुर्ज और फतेह बुर्ज को देखे बिना सफ़र अधूरा सा लगेगा।
9. जूनागढ़ का क़िला
बीकानेरवासियों का सम्मान बसता है जूनागढ़ के क़िले में। अपने वास्तु कलाओं के लिए मशहूर है यह क़िला। महाराजा राव बीका ने इसके निर्माण का शुभारम्भ किया जिसे इसके बाद राजा जय सिंह और जहाँगीर ने आगे बढ़ाया। चूँकि इसे मुग़लों और राजपूत दोनों ने बनवाया है, तो दोनों की निशानियाँ आज भी यहाँ मौजूद हैं, ब्रिटिशों की भी।
कई भवनों,, मंदिरों और बागानों को अपने में समेटे इस क़िले में करन महल, चन्द्र महल और गंगा महल वाक़ई देखने लायक हैं। करन खंभा, चन्द खंभा और फतेह खंभा यहाँ के वास्तु का परिचय देते हैं।
10. मेहरानगढ़ का क़िला
जोधपुर के पहाड़ पर बना हुआ है मेहरानगढ़ का क़िला। राव जोधा के बनवाए इस क़िले को जसवन्त सिंह ने पूरा कराया। बहुत सुन्दर था, शायद इसीलिए जयपुर और बीकानेर सेनाओं द्वारा सबसे ज़्यादा आक्रमण इसी क़िले पर किया गया था। जय खंभा, फतेह खंभा और लोहा खंभा सबूत के तौर पर आज भी देखने मिलते हैं।
सात बड़े गेट इस क़िले में स्वागत के लिए हैं। मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना और दौलत खाना यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं। यहाँ के संग्रहालय में उस दौर के हथियार, फ़र्नीचर, पालकियाँ मिल जाएँगी, जो उस समय की शाही चमक का मुआइना भर हैं। जोधपुर को क़रीब से जानना है, तो यहाँ पर आने का मौक़ा बिल्कुल न छोड़ें।
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