राजस्थान...एक ऐसा राज्य जिसकी पर्यटन की दुनिया में एक अनोखी पहचान है। अपने सुनहरे रेगिस्तान, खूबसूरत झीलों, शाही महलो, ऐतिहासिक किस्से कहानियों और न जाने कितनी ही खूबसूरत जगहों के साथ राजस्थान हमेशा से पर्यटकों के स्वागत के लिए "पधारो म्हारे देश.." कहते हुए तैयार रहता है।
राजस्थान के लिए किसी ने सच ही कहा है कि "जाने क्या दिख जाए..!"
क्योंकी पर्यटक चाहे कितना भी राजस्थान में घूमें फिर भी राजस्थान में ऐसी बहुत सी अद्भुत जगहें हैं जहां अभी तक ज्यादतर पर्यटक नहीं पहुंच पाए हैं। और इनमें से एक लगभग 1000 वर्ष पुराने अद्भुत मंदिर के बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं। ये मंदिर जहां स्थित है उसका इतिहास रामायण काल में रावण से भी जुड़ा हुआ है।
हम बात कर रहे हैं गुलाबी नगरी जयपुर के पास एक स्थानीय उभरते पर्यटन स्थल, बीसलपुर बांध क्षेत्र में स्थित बीसलदेव मंदिर की। बीसलपुर वही स्थान है जिसके लिए कहा जाता है कि रामायण काल में रावण ने इसी स्थान पर भगवान शिव को रिझाने के लिए घोर तपस्या कि थी। इस बात का उल्लेख शिव पुराण में भी देखने को मिलता है।
राजस्थान में बहुत सारे बांध हैं और उनमें से कुछ ने पर्यटन स्थल का दर्जा भी हासिल कर लिया है। बीसलपुर राजस्थान के सबसे बड़े बांधों में से एक है और इस बांध के किनारे एक बहुत ही प्राचीन शिव मंदिर है। हालांकि अभी इस मंदिर में पूजा आदि नहीं होती है। यह मंदिर भारत के पुरातत्व विभाग के अधीन आता है पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा मंदिर को ‘राष्ट्रीय महत्व के स्मारक’ के रूप में भी रखा गया है।
साथ ही बीसलपुर में एक और शिव मंदिर गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर भी है जहां भक्तो की हमेशा भीड लगी रहती है और खास तौर पर महाशिवरात्रि पर पास के स्थानो से हजारो भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं। अब बात अगर बीसलदेव मंदिर की करें तो इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में चहामान के शासक विग्रहराजा VI द्वारा किया गया था और चूंकि उनको बीसलदेव के नाम से भी जाना जाता था इसीलिये इस मंदिर को बीसलदेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
अगर मंदिर की वास्तुकला की बात करें तो यह मंदिर प्राचीन हिंदू शैली की वास्तुकला में बना है। मंदिर कुल 52 खंभों से बना है, इन स्तम्भों पर बेहद खूबसूरत फूलों की आकृतियां बनाई गई हैं और साथ ही मंदिर के गुंबद और सभी दीवारों पर भी बेहद खूबसूरत कलाकृतियां बनी हैं।
यह मंदिर एक बहुत ही शांत जगह पर स्थित है जहाँ आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ जा सकते हैं और वास्तविक शांति और सुकून के साथ कुछ समय बिता सकते हैं। साथ ही अगर बांध का जल स्तर अधिक है तो पानी इस मंदिर के फर्श को भी ढक लेता है और सभी फोटो प्रेमियों के लिए यह दृश्य बेहद शानदार बन जाता है।
इसके अलावा अगर आप सूर्योदय या सूर्यास्त के समय इस स्थान की यात्रा कर रहे हैं तो बैकग्राउंड में सागर जैसे विशाल बांध के साथ इस मंदिर की सुंदरता कई गुना बढ़ जाएगी।
हमने मंदिर के अंदर एक प्राचीन शिवलिंग भी देखा लेकिन जैसा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि अब तक कोई पूजा नहीं की जाती है। लेकिन हमने देखा कि कुछ लोग मरम्मत का काम कर रहे थे और हमें उम्मीद है कि जल्द ही इस मंदिर की स्थिति काफी बेहतर होगी और यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी बन जाएगा।
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