राजस्थान का नाम लेते ही ऊँट और घड़ा उठाए औरतों की तस्वीरें दिमाग में आती हैं। और ऐसा हो भी क्यों ना, इतने सालों से फोटोग्राफर अपनी तस्वीरों में और फिल्मकार अपनी फिल्मों में यही तो दिखाते आये हैं। मगर क्या राजस्थान में यही सब है ?
जी नहीं, राजस्थान में सभी तरह के नज़ारे दिख जाएँगे। रेतीले रेगिस्तान से लेकर बावली नदियाँ। हिल स्टेशन भी खूब हैं यहाँ, और झरने भी। आज आपको उस राजस्थान से मुलाक़ात करवाएँगे, जिसे हम राजस्थान वालों ने समझा है।
आओ देखो वो जो कभी नहीं देखा यहाँ, राजस्थान राज्य नहीं अपने आप में पूरी दुनिया है। मगर यहाँ आने के लिए मौसम का ध्यान रखना ज़रूरी है। अगले 30 दिन तक दिन में हल्की धूप होगी और रात को ठंडी हवा चलेगी। तो सही वक़्त तो ये ही है!
रेगिस्तानी रात में तारों को निहारो
पहले मुझे लगता था कि रेगिस्तान बंजर होते होंगे। मीलों तक इंसान क्या, जानवर का भी नामोनिशान नहीं; जैसा की फिल्मों में दिखाते हैं। कोई अगर भूले-भटके रेगिस्तान में खो जाए तो बड़ी भयानक मौत मारा जाएगा।
मगर मुझे कहाँ पता था कि थार रेगिस्तान दुनिया का सबसे ज़्यादा आबादी वाला रेगिस्तान है। यहाँ हर किलोमीटर में 83 लोग रहते हैं। अब आप कहेंगे कि ये तो बहुत कम है, लेकिन अगर आप सहारा रेगिस्तान से थार की तुलना करें तो आप समझेंगे की सहारा में हर किलोमीटर में सिर्फ एक आदमी रहता है, और यहाँ थार में 83। तो हुए न ज़्यादा!
यहाँ आकर ऊँट और जीप सफारी तो करना ही, साथ ही यहाँ स्टारगेजिंग भी कर ली तो मज़ा आ जायेगा। यहाँ गिने-चुने तारे नहीं, पूरी की पूरी आकाश-गंगा दिख जाएगी। ऐस्ट्रो-फोटोग्राफर्स के लिए तो जन्नत है। नरम रेत पर खाट डाल कर लेटे हुए सितारों की तरफ देखते रहो, और ठंडी-ठंडी हवा का सुख लेते रहो।
थार रेगिस्तान राजस्थान, गुजरात, हरयाणा और पंजाब जैसे भारत के चार राज्यों के अलावा पाकिस्तान के भी दो राज्यों में फैला है।
भारत के लिए थार बहुत काम का है। देश का पहला परमाणु हथियार परीक्षण सन 1974 में थार के पोखरण में हुआ था। यही नहीं, भारत की सबसे ज़्यादा ऊन थार से ही आती है।
राजस्थान की अपनी 'डेड-सी' : साम्भर
जब तक आप असली 'डेड-सी' देखने के लिए जॉर्डन नहीं जा पा रहे हो, तब तक राजस्थान की अपनी 'डेड-सी' साम्भर झील देख लो। वो भी झील है, ये भी झील है। डेड-सी के पानी में भी 33 % नमक है और साम्भर झील में भी।
राजस्थान की खारे पानी की झीलें डायनासोर के समय यानी मेसोजोइक एरा की झीलें हैं, जो कभी टेथिस सागर का हिस्सा हुआ करती थी। ये आज से करीब 80 लाख साल पुरानी बात है। आज डायनासोर भी नहीं रहे और टेथिस सागर भी, मगर खारे पानी की ये झीलें आज भी मौजूद हैं।
2 लाख टन नमक सांभर झील से आता है, जो भारत के कुल उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत है। सांभर झील 31 कि.मी. लम्बी और 14 कि.मी. चौड़ी और मॉनसून में 3 मीटर गहरी हो जाती है।
हिमालय से भी बूढ़े पहाड़ : अरावली
बहुत कम लोग जानते हैं कि अरावली के पहाड़ हिमालय के भी बूढ़े हैं। ये पहाड़ तब भी थे, जब भारत बना भी नहीं था। यानी तब से जब भारत नाम का ज़मीनी टुकड़ा अफ्रीका की टेकटोनिक प्लेट के साथ गोंडवाना लैंड के नाम से जुड़ा था।
ये अरावली पर्वत ही हैं, जो थार रेगिस्तान को पूरे राजस्थान में फैलने से रोकते हैं। इन्हीं की वजह से रेगिस्तान की हवाएँ उदयपुर तक नहीं आ पाती और उदयपुर ठंडा रहता है।
अरावली की सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर भी हिमाचल प्रदेश की कसौली जितना ही ऊँचा है। दोनों की समुद्र ताल से ऊँचाई 1600 मीटर है। गुरुशिखर काफी पसंदीदा टूरिस्ट स्पॉट है।
राजस्थान में झरने?, जी हाँ !
राजस्थान के 'कई' झरनों में से एक है चूलिया। रावतभाटा में चम्बल नदी के पास गिरते हुए चूलिया झरना बनाती है। चम्बल नदी प्रदूषण-मुक्त मानी गयी है। तभी यहाँ कई तरह के जीव जंतु दिख जाते हैं। घड़ियाल, गंगेटिक डॉल्फिन, कछुए, ऊदबिलाव, सारस, बगुला जैसे कई प्रजाति के जीव दिख जाते हैं। चम्बल नदी के नरभक्षी मगरमच्छ भी !
दुनिया की सबसे लम्बी दीवारों पर सैर
चीन की दीवार सबसे लम्बी है ये तो सुना है, मगर दूसरे और तीसरे नंबर की सबसे लम्बी दीवार हमारे अपने देश में है। जयपुर आओ तो वर्ल्ड हेरिटेज साइट आमेर के किले की दीवार पर टहलते हुए शाम के नारंगी सूरज को अरावली के पीछे जाते ज़रूर देखना।
आमेर के आस-पास नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क भी है, जहाँ 200 से ज़्यादा प्रजाति के पक्षी और कई पशु देखे जा सकते हैं। यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित कर दिया है और यहाँ की 36 कि.मी. लम्बी कुंभलगढ़ क दीवार दुनिया की दूसरे नंबर की सबसे लम्बी दीवार है।
झीलों की नगरी उदयपुर से कुम्भलगढ़ तक रोड ट्रिप सबसे सही है। पूरा रास्ता जंगल-घाटियों का है।
बादलों के ऊपर बना भारत का सबसे ऊँचा किला
कुम्बलगढ़ किला भारत का सबसे ऊँचा किला है। किला इतना ऊँचा है कि बारिश के मौसम में किले के बादल महल में असली बादल घुस आते हैं। इतना ऊँचा कि मौसम साफ़ हो तो किले पर से हज़ारों मील दूर थार रेगिस्तान दिखता है।
राजस्थान के राज्य पशु-पक्षी : चिंकारा और गोडावण
कभी भी घूमने जाएँ तो वहाँ के लोग-बाग़, पेड़-पौधे, और जीव-जंतु को बहुत ध्यान से देखें। ये हमें उस इलाके के बारे में बहुत कुछ बता देते हैं।
राजस्थान का राज्य पशु ऊँट और चिंकारा है। दोनों जानवर पीले रेतीले रंग के होते हैं और बेहद कम पानी पीकर जीते हैं। वहीं राज्य का राज्य पक्षी गोडावण दुनिया का इकलौता सबसे भारी पक्षी है जो उड़ान भर सकता है। ये 15 किलो तक वज़नी हो सकते हैं। सोचो पंद्रह किलो के आटे की बोरी को हवा में उड़ते हुए, बस वही है ये।
ये सब पशु पक्षी राजस्थान के ख़ास नैशनल पार्क जैसे डेजर्ट नेशनल पार्क और केवलादेव नेशनल पार्क में भी दिख जाएँगे। केवलादेव तो वर्ल्ड हेरिटेज साइट है जिसे बर्ड पैराडाइस भी कहते हैं।
तो इतना कुछ जान लिया राजस्थान के बारे में, अब प्लान बना लो। और सच बताऊँ, जितना मैनें लिखा है उससे कहीं ज़्यादा अनोखा है राजस्थान। यहाँ आने का सही मौसम अगले 30 दिनों तक ही है, उसके बाद ऐसी गर्मी पड़ेगी कि सड़क पर कुछ ठीक से दिखेगा भी नहीं। अभी सही टाइम है, अभी प्लान बना लो, नहीं तो गर्मियों की यहाँ कि ख़ास काली आंधी देखने भी आ सकते हो, जो दिन में रात कर देती है।
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