भारत वो देश है जहाँ कदम कदम पर लोग, पहनावा और उनके रहन-सहन के तरीके से लेकर बोली तक में बदलाव आ जाता है। भारत में हर दस किलोमीटर चलने के बाद आपकी मुलाकात एक नए पहलू से होती है। फिर चाहे आप उसको सांस्कृतिक विविधता का नाम से दीजिए या फिर क्षेत्रीय विविधता का। भारत में आपको हर थोड़ी दूर पर कुछ बदलाव दिखाई देना तय है। जब देश की हर एक चीज इतना नयापन और बदलाव देखा जा सकता है तो क्या आपको नहीं लगता कि भारत में खाने की भी लाजवाब वैरायटी मिलेगी? गुजरात की दाबेली से लेकर असम के थूपका और मोमो तक हर एक चीज में आपको भारत का एक नया चेहरा देखने के लिए मिलेगा। अब आप इन व्यंजनों को चखने के लिए हर एक जगह रुक तो नहीं सकते तो क्यों ना कुछ ऐसे खाने के बारे में जानकारी बटोर ली जाए जो आपको आसानी से रेलवे स्टेशनों पर ही मिल जाएंगे।
अगर आपको मीठा खाना पसंद है तो ये जगह आपकी बकेट लिस्ट में जरूर होनी चाहिए। राजस्थान के आबू रोड में घूमने के लिए चाहे कुछ हो या ना हो, जा शहर का स्टेशन अपनी लाजवाब राबड़ी के लिए जरूर फेमस है। दूध को पकाकर बनाई जाने वाली इस मिठाई को खाकर आपका दिल खुश हो जाएगा। आबू रोड स्टेशन पर मिलने वाली रबड़ी का मखमली एहसास हर फूडी को जरूर लेना चाहिए। वैसे बता दें इस स्टेशन की रबड़ी इतनी लोकप्रिय है कि इसको खाने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं। फिर चाहे इनकी ट्रेन इस स्टेशन से होकर गुजर रही हो या नहीं, रबड़ी की मिठास उन्हें अपनी तरफ खींच ही लाती है। खास बात ये भी है कि इस शानदार डिश को खाने के लिए आपको अपनी जेब भी ढीली नहीं करनी पड़ती है। आप मात्र 20 रुपए में इस लजीज पकवान का स्वाद ले सकते हैं।
यकीन मानिए अगर आप साउथ के मशहूर कोझिकोड हलवे के बारे में नहीं जानते है तो जनाब आप सच्चे फूडी नहीं हैं। कोझिकोड हलवा अब केवल एक डिश नहीं रह गया है। साउथ के लोगों के लिए ये एक एहसास बन चुका है। ये हलवा गेंहू के आटे से बनाया जाता है जिसको बाद में नारियल के तेल में पकाया जाता है। कोझिकोड हलवे की यही चीज इसको बाकी सभी तरह के हलवों से अलग बनाती है। इतिहास की माने तो पहले के समय में ये हलवा अरब देशों में बहुत प्रचलित था। अरब से लोग जब भारत आए तो वो अपने साथ अरबियाई संस्कृति के साथ-साथ थोड़ा खानपान भी ले आए। अगर आप सबसे लजीज कोझिकोड हलवा खाना चाहते हैं तो उसका सीधा तरीका है अगली ट्रेन पकड़कर कालीकट स्टेशन पहुँच जाइए जहाँ आप इस हलवे की सबसे बेहतरीन वैरायटी चख सकते हैं।
मुंबई का वड़ा पाव अब केवल महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे देश मे फेमस हो चुका है। मुंबई आने वाला हर व्यक्ति ट्रेन से उतरकर सबसे पहले बंबइया वड़ा पाव की खोज में निकलता है। वड़ा पाव का चटपटा स्वाद खाकर सभी यात्रियों का पेट तो भरता ही है लेकिन साथ ही उनकी पूरी थकान भी छूमंतर हो जाती है। वैसे देखा जाए तो वड़ा पव को देशी बर्गर भी कहा जा सकता है। वड़ा पाव एक ऐसी डिश है जिसको मुंबई के लोगों ने खूब प्यार दिया है। आप मुंबई में किसी भी इंसान से उसका मनपसंद स्ट्रीट फूड पूछ लीजिए, जवाब में आपको हमेशा वड़ा पाव ही सुनने को मिलेगा। चाहे भरा पूरा बाजार हो या समुद्र किनारे की चौपाटी, वड़ा पाव एक ऐसी चीज है जो हर मुंबईकर के दिल पर राज करती है।
अगर आप सोच रहे हैं कि भारत में सबसे बेस्ट बिरयानी आपको केवल लखनऊ में ही मिल सकती है तो शायद आपने अबतक दक्षिण भारत को अच्छी तरह से जाना नहीं है। बता दें केरल का शोरनूर रेलवे स्टेशन भी चिकन बिरयानी के मामले में किसी से कम नहीं है। लोगों को अक्सर लगता है साउथ आकर वो केवल डोसा, इडली और वाड़ा ही खा सकते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अगर आपको नॉन वेजेटेरियन खाना पसंद है तो आपको केरल के शोरानूर स्टेशन पर भरपूर स्वाद मिलेगा।
खाने के मामले में दक्षिण भारत का कोई मुकाबला है नहीं है। आपको नॉर्थ में बढ़िया नॉर्थ इंडियन खाना तो मिल जाएगा। लेकिन यदि आप पारंपरिक तरीके से बना हुआ साउथ इंडियन खाना चाहते हैं तो उसके लिए आपको दक्षिण भारत का चक्कर लगाना पड़ेगा। पाझम पोड़ी केरल में पसंद की जाने वाली स्वादिष्ट डिश है जो पके हुए केलों को तलकर बनाई जाती है। उत्तर भारत में आप इसको केले के पकोड़े भी कह सकते हैं। पके हुए केले को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर मैदा में लपेटा जाता है जिसको बाद में नारियल के तेल में डीप फ्राई कर दिया जाता है। इस डिश में तेल की मात्रा जरूर ज्यादा होती है लेकिन यदि आप दक्षिण भारत के व्यंजनों का स्वाद लेना चाहते हैं तो आपको पाझम पोड़ी जरूर चखना चाहिए।
बिहार में एक कहावत है- जो खाए लिट्टी चोखा, वो कभी ना खाए धोखा। अब बिहार में इस डिश का महत्व आप इस कहावत से ही समझ सकते होंगे। लिट्टी चोखा ऐसी बिहारी डिश है जो केवल बिहार तक ही सीमित नहीं है। यूपी और दिल्ली में भी इसके खूब चर्चे होते आए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं लिट्टी चोखा आखिर लोगों की नजरों के सामने कैसे आया? बिहार में हमेशा से एक प्रथा चली आ रही है। जिसमें खेती करने वाले किसान और मजदूर अपने साथ लिट्टी या सत्तू बांधकर खेत ले जाया करते थे और भूख लगने पर इसी को खा लिया करते थे। जब इन किसानों ने धीरे-धीरे शहरों की तरफ कूच करना शुरू किया तो लिट्टी चोखा भी खेत से निकलकर उनके साथ शहर आ पहुँचा। वैसे तो आप लिट्टी चोखा कहीं भी खा सकते हैं लेकिन यदि आप बिहार की धरती पर बना हुआ लिट्टी चोखा खाना चाहते हैं तो पटना जंक्शन सबसे बढ़िया जगह है।
कितने लोग होते है जिन्हें मीठे के साथ हल्का-सा नमकीन खाना अच्छा लगता है। बस अगर आपको भी कुछ ऐसा ही कॉम्बो पसंद है तो आपको बिना देर करे अहमदाबाद के कालूपुर रेलवे स्टेशन की तरफ बढ़ जाना चाहिए। वैसे तो जलेबी फाफड़ा आपको गुजरात के लगभग हर शहर में मिल जाएगा। लेकिन यदि कोई एक जगह है जहाँ का जलेबी फाफड़ा आपको एकदम नहीं मिस करना चाहिए तो वो कालूपुर है। गरम गरम जलेबी के साथ नमकीन फाफड़ा खाने का मजा आपको यहाँ आकर मालूम चलेगा।
पंजाब में आलू पराठा का महत्व एकदम वैसा ही है जैसा कि किसी देश में प्रधानमंत्री को होता है। अब इस लाइन से आप समझ ही गए होंगे कि पंजाबियों के लिए आलू पराठे महत्वपूर्ण से ज्यादा जरूरत बन चुका है। जैसे एक पंजाबी को आप लस्सी से ज्यादा देर तक दूर नहीं रख सकते हैं, ठीक उसी तरह आप पंजाब में होते हुए आलू पराठे को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। अंबाला जंक्शन पर वैसे तो आपको तमाम चीजें मिल जाएंगी लेकिन इन सबमें एक चीज जो सबसे खास और स्वादिष्ट होती है वो है यहाँ मिलने वाला आलू का पराठा। मसालेदार आलू से बने इस पराठे को खाकर आपका पेट भर जाएगा लेकिन मन नहीं भरेगा।
अगर आप खाने के शौकीन हैं तो यकीनन आपके लिए आगरा का मतलब सिर्फ ताजमहल नहीं होगा। खाने के शौकीनों के लिए आगरा में बहुत कुछ है और इसका सबूत आपको अगर कैंट से बाहर निकलते ही मिल जाएगा। आप आगरा में बहुत सारी चीजें खा सकते हैं लेकिन वो एक चीज जो आगरा की पहचान बन चुका है वो है आगरा का पेठा। आगरा का पेठा अब केवल यूपी में ही नहीं बल्कि पूरे देश में फेमस हो चुका है। यहाँ तक कि इसको जी. आई. टैग से भी नवाजा जा चुका है।
जलेबी फाफड़ा, ढोखला, खांडवी, थेपला और खाखरा के अलावा भी एक डिश ऐसी है जिसका असली स्वाद आपको केवल गुजरात आकर ही पता चलेगा। इस डिश का नाम है गोटा। गुजरात के आनंद जंक्शन के बाहर आपको गोटा के तमाम ठेले और छोटी टपरियाँ मिल जाएंगी जहाँ आप इस स्वादिष्ट व्यंजन का स्वाद ले सकते हैं। अगर आप गोटा के बारे में नहीं जानते हैं तो बता दें गोटा असल में मेथी से बनने वाला पकोड़ा होता है। जिसको गुजरात में मेथी ना गोटा के नाम से जाना जाता है। ये गुजरात की पारंपरिक डिश है जिसको बेसन में कटी हुई मेथी डालकर बनाया जाता है। आम भाषा में आप इसको मेथी की भजिया या मेथी के पकोड़े भी भी के सकते हैं। वैसे नाम चाहे जो भी हो, यदि आप गोटा का स्वाद चखना चाहते हैं तो आपको गुजरात के आनंद जंक्शन तक तो आना ही पड़ेगा।
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