भारत के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित राज्य कर्नाटक देश के सबसे घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है। कर्नाटक देश में सबसे अधिक राष्ट्रीय संरक्षित स्मारकों वाले भारतीय राज्यों में गिना जाता है। राज्य भर में लगभग 560 राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक स्थित हैं। कर्नाटक राज्य में असंख्य तीर्थस्थल, प्राचीन मूर्तिकला मंदिर, आधुनिक नगर, पर्वतीय शृंखला, जंगल, नदियाँ, झीलें, किले और महल हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। दोस्तों, यह क्षेत्र अपने किलों और महलों के लिए अधिक प्रसिद्ध माना जाता है। जिनका निर्माण इस राज्य पर शासन करने वाले विभिन्न महान शासकों ने कराया था। जब भी हम महल और हवेलियों की बात करते हैं तो हमारे मन में राजस्थान का नाम स्वाभाविक रूप से चला आता है। लेकिन क्या आपको पता है कर्नाटक के कुछ महल राजस्थान के पैलेस को खुली टक्कर देते हैं?
इतिहास से हमें पता चलता है कि इन विशाल महलों के माध्यम से तत्कालीन शाही राजवंश अपनी ताकत और विलासिता दिखाते थे। आज ये सभी महल न केवल भारत के लिए बल्कि यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए भी गौरव का विषय बन चुका है। जब आप इन महलों का दौरा करते हैं तो यहाँ रहने वाले शाही परिवार के शाही आवासों की झलक बरबस ही देख सकते हैं।
कर्नाटक के ये 5 शाही महल देते हैं राजस्थान के महलों को टक्कर
1. राज भवन (कर्नाटक के माननीय राज्यपाल का सरकारी निवास)
2. ललिता महल पैलेस (102 वर्ष पूरे कर चुकी)
3. जयलक्ष्मी विलास पैलेस (संग्रहालय में तब्दील)
4. मैसूरु पैलेस (अंबा विलास)
5. बैंगलोर पैलेस
राज भवन, बेंगलुरु
लगभग 18 एकड़ के परिसर वाला यह राज भवन मध्य बेंगलुरु के सबसे ऊँचे स्थान पर बना हुआ है। जिसका निर्माण 1840 के दशक में सर मार्क क्यूबन द्वारा किया गया था। यह कर्नाटक के राज्यपाल का आधिकारिक निवास भी है। पहले इसे बैंगलोर रेजीडेंसी के नाम से जाना जाता था। राजभवन परिसर के दक्षिण-पूर्व कोने में विधान सौध (विधान सभा), उत्तर-पश्चिम में विधायक गृह और उत्तर-पूर्व में ऑल इंडिया रेडियो है।
राजभवन के अंदर शाही फर्नीचर, उच्च श्रेणी के टेपेस्ट्री, शिकार ट्राफियां, विशेष डिजाइन वाले क्रॉकरी, सुनहरे फ्रेम के साथ अद्भुत तेल चित्रकला, अलंकृत पियानो, उत्कृष्ट बिलियर्ड्स टेबल और प्राचीन वस्तुओं और पुस्तकों का संग्रह है।
ललिता महल पैलेस, मैसूरु
कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी बन चुकी मैसूर के पूर्व महाराजा ने ललिता महल इस पैलेस का निर्माण अपने महत्वपूर्ण अतिथि, भारत के वायसराय के रहने के लिए करवाया था। यह मैसूरु के ठीक बाहर चामुंडी पहाड़ी की तलहटी में स्थित है। ललिता महल पैलेस सफेद रंग की दो मंजिला इमारत है। जिसमें एक खुला बरामदा, गोलाकार गुंबद और प्रतिष्ठित स्तंभ हैं। महल का आंतरिक भाग को संगमरमर के फर्श, शीशम के फर्नीचर, राजसी सीढ़ियाँ, विदेश से मंगाए गए कालीन, खूबसूरत झूमर और पर्दों से सजाई गई है। ललिता महल 2021 में एक अपने निर्माण के बाद सौ वर्ष पूरी कर चुकी है। महल केंद्रीय हॉल में शाही परिवार के सदस्यों के बड़े-बड़े चित्र और कलाकृतियाँ हैं, जो मैसूरु के इतिहास को दर्शाती हैं।
ललिता महल परिसर में एक स्विमिंग पूल, टेनिस कोर्ट, जॉगिंग ट्रैक, हेल्थ क्लब और पास में ही गोल्फ कोर्स भी है। राजस्थान के तर्ज पर ललिता महल पैलेस को अब शानदार विरासत होटल बनाया गया है। जिसका नाम ललिता महल पैलेस होटल है।
कैसे पहुँचें?
मैसूर देश के प्रमुख शहरों में से एक हैं। पूरे कर्नाटक से हवाई, रेल और सड़क नेटवर्क द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मैसूर हवाईअड्डा सिर्फ 11 किमी दूर है। देश के कई शहरों से जैसे बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोच्चि से सीधी उड़ानें होती हैं। मैसूर का रेलवे स्टेशन बेंगलुरु और मैंगलोर से जुड़ी हुई है। यहाँ से पहुँचने में करीब ढाई घंटे लगते हैं। सड़क परिवहन की बसों से राज्य के विभिन्न शहरों से भी पहुंचा जा सकता है।
जयलक्ष्मी विलास पैलेस, मैसूरु
मैसूर विश्वविद्यालय के हरे-भरे परिसर में स्थित जयलक्ष्मी विलास पैलेस कर्नाटक का एक और विरासत इमारत है। जो राजस्थान के कई महलों को टक्कर देते हैं। इस पैलेस को मैसूर विश्वविद्यालय द्वारा अधिग्रहित किया गया और 2002 से 2006 के बीच इसका नवीनीकरण किया गया । जयलक्ष्मी विलास पैलेस का निर्माण 1905 में मैसूर महाराजा श्री कृष्णराज वाडियार चतुर्थ द्वारा राजकुमारी जयलक्ष्मी अम्मानी के रहने के लिए किया गया। कहा जाता है कि 1897 में जब राजकुमारी ने एम. कंथाराज उर्स से शादी कर ली तो यह महल नव-विवाहित जोड़े को उपहार स्वरूप दिया गया था। महल को अब भव्य संग्रहालय में बदल दिया गया है। जहाँ स्थानीय लोक प्रदर्शन कलाओं से संबंधित कलाकृतियाँ, विभिन्न कारीगरों के उपकरण और प्राचीन वस्तुएँ और अन्य पुरातात्विक खोज प्रदर्शित की गई हैं।
आगंतुकों के लिए खुलने का समय
सोमवार से शनिवार सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक फिर दोपहर 3 से शाम 5 बजे तक पर्यटक और आगंतुक यहाँ घूम सकते हैं। यह रविवार और सार्वजनिक छुट्टियों के दिन बंद रखा जाता है।
मैसूरु पैलेस/अंबा विलास
मैसूरु पैलेस को अंबा विलास के नाम से भी जाना जाता है। भारत में सबसे अधिक देखे जाने वाले महलों में से एक है। इस पैलेस का निर्माण इंडो-सारसेनिक शैली में किया गया है। अंबा विलास के नाम से भी प्रसिद्ध इस महल का निर्माण 14वीं शताब्दी की शुरुआत में वोडेयार के शाही परिवार द्वारा किया गया था। इसका आंतरिक भाग उत्कृष्ट तरीके से सुसज्जित है। दोस्तों आप जान कर हैरानी होगी कि यह महल 3 बार लगभग नष्टप्राय हो चुका था। चौंक गए ना? दरअसल मैसूरु पैलेस को पहले लकड़ी से बनाया गया था। सन 1638 में इसके ऊपर बिजली गिरने से नष्ट हो गया। इसके लगभग सौ साल बाद टीपू सुल्तान ने सन 1739 में इसे बहुत नुकसान पहुँचाया। यह आपदा यहीं नहीं रुका बल्कि 1897 में पुनः आग लग जाने से इस महल को काफी नुकसान पहुँचा। वर्तमान खड़ा महल चौथा पुनर्निर्माण है। इसे 1912 में ब्रिटिश वास्तुकार हेनरी इरविन ने डिज़ाइन किया था।
मैसूरु पैलेस में क्या देखें?
गुड़िया का मंडप, स्वर्ण सिंहासन, सार्वजनिक दरबार हॉल, पेंटिंग गैलरी, पोर्ट्रेट गैलरी, विवाह मंडप, कुश्ती प्रांगण
मैसूरु महल में स्थित मंदिर
अंबा विलास (मैसूरु पैलेस) परिसर में कई हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर का निर्माण किया गया है। श्री लक्ष्मीरमण स्वामी मंदिर, श्री श्वेता वराहस्वामी मंदिर, श्री त्रिनयनेश्वर स्वामी मंदिर, श्री प्रसन्ना कृष्णस्वामी मंदिर, किल्ले वेंकटरमण स्वामी मंदिर, श्री भुवनेश्वरी मंदिर, श्री गायत्री मंदिर आदि।
कब जाएँ?
अगर आप मैसुर पैलेस घूमना चाहते हैं तो समय का ध्यान जरूर रखें। महल परिसर और अंदर घूमने का प्रवेश समय हर रोज सुबह 10 बजे से शाम के 5.30 तक रहता है। घूमने के लिए पहले आपको एक छोटी राशि का भुगतान कर टिकट लेना होता है। वयस्कों के लिए यह राशि 70 रुपए प्रति व्यक्ति और बच्चों के लिए प्रति 30 रुपए है।
खास बात?
इस महल को रविवार और सार्वजनिक अवकाश के दिन रोशनी से सजाया जाता है। रोशनी से जगमग मैसूर पैलेस देखने के लिए इन दिनों पर शाम सात बजे से आठ बजे तक जा सकते हैं। अगर आपको लाइट ऐन्ड साउंड शो देखना हो तो इस पैलेस में सोमवार से शनिवार तक शाम 7 से रात 8 तक 45 मिनट का शो आयोजित किया जाता है। जिसे देखने के लिए खूब भीड़ जमा होती है।
कैसे पहुँचें मैसूरु पैलेस?
सड़क से आने के लिए बेंगुलुरु सिर्फ 140 किमी दूर है। कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम और प्राइवेट ट्रांसपोर्ट कंपनी यहाँ के लिए पूरे राज्य के विभिन्न हिस्सों से बसों आदि का उपलब्धता आसान बनाती है
रेलवे के माध्यम से बेंगलुरु, चेन्नई से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहाँ से नियमित रूप से ट्रेनें चलती हैं। बेंगलुरु से मैसूर पहुँचने में मात्र तीन घंटे का समय लगता है।
हवाई-जहाज से आने के लिए मैसूर एयरपोर्ट सिर्फ 10 किमी दूर है। इसके अलावा बेंगलुरु 140 किमी है। बेंगलुरु हवाईअड्डा से कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन द्वारा मैसूर एयरपोर्ट तक बसों का संचालन किया जा रहा है।
कहाँ रुकें?
मैसूर कर्नाटक के प्रमुख और बड़े शहरों में से एक है। यहाँ बड़े होटल, रिसोर्ट से ले कर बजट फ्रेंडली होटल मौजूद हैं।
बैंगलोर पैलेस
बेंगलुरु पैलेस का परिसर 454 एकड़ में फैला हुआ है। महल का इमारती क्षेत्र एक एकड़ में फैला हुआ है। इंग्लैंड के विंडसर कैसल की तर्ज पर बनी इस राजसी वास्तुशिल्प के इमारत को भला कौन नहीं देखना चाहेगा! बुर्जयुक्त प्राचीरें, कंगूरे, किलेबंद मीनारें और मेहराबें इसकी भव्यता दूर से ही दिखाती है। पैलेस में 35 बेडरूम और एक स्विमिंग पूल है। साथ ही इसमें एक खुला प्रांगण है। जो संगीत कार्यक्रमों, प्रदर्शनियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए जगह प्रदान करता है। महल के अंदर वायसराय, महाराजाओं और अन्य प्रसिद्ध हस्तियों की उत्तम नक्काशी, पेंटिंग और तस्वीरें विशेष आकर्षण हैं। महल परिसर के अंदर फन वर्ल्ड नाम का मनोरंजन पार्क भी है।
कब जाएँ?
बेंगलुरु पैलेस को आगंतुकों को घूमने के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5.30 बजे तक खोला जाता है। ध्यान रखें कि निजी कार्यक्रमों के लिए बुक रहने पर आम लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित किया जा सकता है।
बेंगलुरु पैलेस के पास अन्य दर्शनीय स्थल
कब्बन पार्क (4.5 किमी) और सैंकी टैंक (3.8 किमी)।
कैसे पहुँचें?
बेंगलुरु पैलेस बेंगलुरु मैजेस्टिक सिटी सेंटर से 5.3 किलोमीटर उत्तर में और बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से 33 किलोमीटर की दूरी पर है। बेंगलुरु छावनी निकटतम रेलवे स्टेशन है। जो मात्र तीन किलोमीटर दूर है। बेंगलुरु पैलेस तक शहर के सभी हिस्सों से सार्वजनिक परिवहन और कैब ले कर आसानी से पहुँचा जा सकता है।
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