महीने का शुरुआती सप्ताह था। मैं और मेरे साथी कार्यालय का सारा काम खत्म करके चाय टपरी पर कॉपी-कलम के साथ बैठे थे। फाइनेंसियल रिफ्लेक्शन में हमने पाया कि दो दिन पूर्व की जोधपुर यात्रा हमारे लिए जहाँ काफी आमोद और शांति लेकर आई थी तो अब उसी यात्रा ने हमारे आगामी बजट को हिला कर रख दिया था। सीमित बजट से ही हमें अपने पूरे महीने का खर्च संभालना था। चाहे वह किचन का साजों-सामान हो या व्यावसायिक कार्य हेतु अलग-अलग विद्यालयों के दौरों के लिए खर्च निर्धारित करने के बाद हमारे पास सीमित खर्ची ही बची थी। टपरी पर बैठे-बैठे हमने यह सीखा कि जहां एक ओर यात्रा आमोद और मनोरंजन का कारण बनती है तो वही बजट को लेकर परेशानी का सबक बनते देरी नहीं करती।
इस तरह हमने बिना किसी यात्रा या आमोद के आगामी दो सप्ताह गुजार दिए। लेकिन व्यावसायिक कार्य की चिंता व निजी जीवन की उथल-पुथल ने व्यक्तिगत जीवन को हिला सा दिया था। अब तो एक शांतिमय यात्रा ही थी जो मुझे शांति प्रदान कर इस प्रतिस्पर्धा के युग में ठहरा सकती थी।
मैं इस बारे में सोचते हुए लेखक रोबिन शर्मा द्वारा लिखित "हू विल क्राई व्हेन यू डाई" का हिंदी तर्जुमा पढ़ रहा था। पुस्तक के एक सबक में रोबिन शर्मा शर्मा बताते है कि जब पर्वतारोही अपने पर्वतारोहण के दौरान अलग-अलग जगह बेस कैंप स्थापित करता है। जहां वे आराम कर नई उर्जा के साथ आगामी रणनीति बनाता है। इसी दौरान मैंने पाया कि मेरे जीवन को शांत और नविन उर्जा से भरने के लिए भी ऐसी जगहें है जिन्हें मैं अपना बेस कैंप कह सकता हूँ। उस वक़्त मेरे लिए जो जगह बेस कैंप का कार्य कर सकती है, वह राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित पुष्कर था। लेकिन सीमित बजट की सीमा ने यात्रा के लिए मेरे हाथ बांध से रखे थे परंतु यात्रा करना भी मेरे लिए उस वक्त अति आवश्यक था। अतः मैंने अपनी यात्रा मंडली के साथी के साथ मिलकर एक बार फिर बजट का फाइनेंसियल रिफ्लेक्शन किया। जिसमें हमने आने वाले बजट को न्यूनतम करते हुए पंद्रह सौ रुपए एकदिवसीय पुष्कर यात्रा के लिए निर्धारित किये। हमने अपनी एक दिवसीय पुष्कर यात्रा को दो दिवसीय यात्रा में तब्दील करते हुए अपनी यात्रा संपूर्ण की।
अब एक बार फिर मैं अपने साथी के साथ चाय टपरी पर बैठा था।अपनी पुष्कर यात्रा से मई काफ़ी संतुष्ट था, क्योंकि वह आमोद और शांति के साथ-साथ हमारे बजट के अनुसार भी थी।
मेरी वर्तमान कर्मस्थली अभी भीलवाड़ा है, और वही से मैंने अपनी पुष्कर यात्रा की थी। आज आपके साथ अपनी यात्रा का बजट साझा कर रहा हूं। क्योंकि हमने अपने अनुभव से जाना कि एक बेहतर यात्रा वही है जो हमारे लिए न सिर्फ़ आमोद और शांति का कारण बने बल्कि हमारे बजट के अनुसार भी हो।
हमने सबसे पहले अजमेर के लिए उदयपुर जयपुर एक्सप्रेस में सेकंड सीटिंग आरक्षण करवाया। जिसकी भीलवाड़ा से कीमत कर सहित लगभग अस्सी रुपए थी। हम सवा दो घंटे में सुबह के तकरीबन ग्यारह बजकर पंद्रह मिनट पर अजमेर रेलवे स्टेशन पहुंच चुके थे। अजमेर रेलवे स्टेशन के मुख्य प्रवेश द्वार से निकलते हुए हमनें अजमेर रोडवेज बस स्टैंड के लिए दस रूपए सवारी वाला ऑटो लिया। बस स्टैंड पर पहुंचकर हमने सामने रोड पार करके पुष्कर के लिए जाने वाली प्राइवेट बस मैं बैठ गए। पुष्कर के लिए आप राह चलते व्यक्तियों या दुकान वाले से जानकारी भी ले सकते है । पुष्कर लिए उसी जगह से हरे रंग की नगरपालिका बस सेवा भी चलती है। और आप अजमेर से ही नागौर की ओर जाने वाली बस में बैठकर पुष्कर भी पहुंच सकते हैं। आपको बता दे अजमेर रोडवेज बस स्टैंड से ही पुष्कर भ्रमण के लिए तीन से चार सौ में ऑटो निकलते हैं। यदि आपको एक ही दिन में आना और जाना करना है तो आप ऑटो का विकल्प चुन सकते हैं। ऑटो वाले से बात करके आप अपनी यात्रा को पूरा कर सकते हैं। ऑटो वाले भैया आपको पुष्कर के अलग-अलग केंद्रों पर भ्रमण करवाएंगे लेकिन भ्रमण केंद्र जैसे ऊँट सवारी इत्यादि में आपका अतिरिक्त पैसा बिल्कुल लगेगा।ऑटो वालों और सफारी वालों के बीच कमीशन का अनुबंध होता है । अब क्योंकि हम किस अनुच्छेद में पुष्कर में ठहरने के हिसाब से अपनी यात्रा की योजना बना रहे हैं तो हमारे लिए बस यात्रा काफी किफायती हो सकती है। बस में ही आप booking.com से पुष्कर छोटी बस्ती में स्थित हॉस्टल और गेस्ट हाउस की तलाश कर सकते हैं। यहाँ ठहरने की उचित व्यवस्था के साथ कुछ होटल है जिनका चुनाव आप कर सकते है - गोस्टोप , ज़ोस्टेल, मुस्टेज़ , कृष्णा हवेली व श्याम कृष्णा गेस्ट हाउस इत्यादि। यदि आप समूह में या अकेले घूमने जा रहे हैं तो आप ठहरने के लिए डोम्स का चुनाव कर सकते हैं। डोम्स एक प्रकार से कई यात्रियों के बीच एक साझा कमरा होता है। जहां एक कमरे या हॉल में कई बेड्स लगे होते हैं। यदि आप अलग-अलग लोगों से मेलजोल करना व उनके अनुभव को जानना पसंद करते हैं तो डोम्स में आपकी एक अच्छी खासी मंडली बन सकती है। डोम्स आपको ढाई सौ से लेकर पाँच सौ तक के बीच में आसानी से मिल सकते हैं। रहने का चुनाव हो जाने के बाद अच्छे भोजन की व्यवस्था करना सफल यात्रा की निशानी है। पुष्कर में आपको तमाम कैफे और रेस्टोरेंट आराम से मिल जाएंगे।
अलग-अलग जगह चाय टपरी, शिकंजी, खोमचे वाले, बर्फ गोले वाले भईया, जूस की दुकान है, कुल्फी की रेहड़ी, चाट कॉर्नर, हलवाई की दुकानें व गोलगप्पे की रेहड़ी इत्यादि आपको पुष्कर की गलियों में आराम से मिल जाएंगे। यदि आप कन्हैया हवेली या श्याम कृष्णा गेस्ट हाउस में अपने ठहरने की व्यवस्था करते हैं तो उनकी स्पेशल थाली का आनंद लेना ना भूलें। छोटी बस्ती पुष्कर की रंगीन मार्केट शोपिंग के नज़रिए से काफी लोकप्रिय और सस्ती है। जहां आप सांस्कृतिक व स्थानीय कपड़ों के साथ-साथ साजो-समान की शॉपिंग कर सकते हैं। कुर्ते और कुर्तियों की कीमतें तीन सौ से शुरू हो जाती हैं लेकिन बारगेनिंग करके आप थोड़ा ऊपर नीचे करवा सकते हैं।
यदि आप अपने कान की बालियों और झुमकों के लिए शौकीन है तो हर गली और हर नुक्कड़ पर हैंडमेड ज्वेलरी आपका स्वागत करती नजर आएगी। यदि आप डायरी कलेक्शन और लिखने के शौकीन है तो पुष्कर की मार्केट आपके लिए एकदम उपयुक्त है। यहां आपको हैंडमेड डायरी बीस रुपए से लेकर पाँच सौ तक की कीमत में आसानी से मिल सकती है। पुष्कर मार्केट में जब भी मेरा जाना होता है तो मैं अपने लिए डायरी जरूर लेता हूं।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मेरी दो दिवसीय पुष्कर यात्रा में मैंने ऊपर बताए लगभग लगभग सभी चीजों का लुफ्त उठाया। जिसका बजट लगभग पंद्रह सौ रुपए था।
चाय टपरी पर ही मेरी यात्रा मंडली के साथी ने मुझे सुझाव दिया कि हम किस प्रकार अपने यात्रा वृत्तांत को ट्रिपोटो पर लिखकर न सिर्फ़ क्रेडिट अर्जित कर अपनी आगामी यात्रा व्यवस्थित बना सकते हैं, बल्कि अपने अनुभवों को अन्य साथियों के साथ साझा भी कर सकते हैं। मुझे खुशी है कि मैं आज अपने तीसरे यात्रा वृतांत के साथ ट्रिपोटो परिवार की यात्रा मंडली का सदस्य हूं।