हमारा देश भारत किस्से कहानियों का देश है- रंग बिरंगे त्योहारों , मेलो का देश है। इसकी अनूठी संस्कृति,इतिहास , सांस्कृतिक विरासत बरबस ही देसी-विदेशी पर्यटकों का धयान अपनी ओर आकर्षित करती है ।
हमारा देश भी तेजी से अपना स्वरूप बदल रहा है। लेकिन अभी भी कुछ पुराने शहरों ने, तीज त्योहारों ने, मेलो तथा झाकियों ने हमारे देश का खालिस देशीपन बचा कर रखा हुआ है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में अभी भी मेले तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। उन सभी मेलो में पुष्कर का मेला अपनी विशिष्ठ पहचान रखता है।
यह मेला आपको राजस्थान की असली तस्वीर पेश करता है। यूँ तो यह मेला विश्व का सबसे बड़ा पशु धन मेले का खिताब अपने पास रखता है । यहां पर देश विदेश के लोग असली भारत की असली तस्वीर देखने आते हैं।
सामान्य जानकारी के अनुसार तो यहां जानवरों विशेष तौर पर तो ऊठो ( कैमल ) , गाय, भैंस, बकरियों , घोड़ों इत्यादि जानवरों की खरीद फरोख्त होती है । लेकिन आपको यहां राजस्थान की असली संस्कृति की झलक भी मिलती है ।
यहां पर तरह तरह के खेल तमाशे होते है: जैसे उठाे की दौड़, घोड़ों की दौड़, तरह तरह के नृत्य इत्यादि, लंबी मूछों की प्रतियोगिता , आकर्षक झांकियां तथा वेश भूषा की प्रतियोगिता , जानवरों की साज सज्जा की प्रतियोगिता और भी प्रचिलित खेलो जैसे कुश्ती दंगल, कब्बड़ी, खो खो, गिल्ली डंडा प्रतियोगिता इत्यादि।
पुष्कर मेले में और क्या करें?
यहां पर आप हॉट एयर बैलून राइड का भी मजा ले सकते है । पुष्कर शहर की बात ही निराली है । यह अपने तरीके का अलग ही शहर है । इसका अलग ही मिजाज हैं। इस मेले की धमक दूर दराज तक भी है। देश ही भी अपितु विदेश से भी सैलानी इसे देखने तथा अनुभव करने करने लिए आते है। विगत कुछ वर्षों में कोरॉना महामारी के कारण यह मेला अपने पूर्ण स्वरूप में नही लग पाया था। लेकिन इस वर्ष यह मेला अपने पूरे भव्य स्वरूप में लग रहा है। यहां पर आपको अपने देश के असली रूप के दर्शन होंगे और अपनी संस्कृति कला,साहित्य ,खेल इत्यादि का पता चलेगा।
वैसे अगर देखा जाए तो इन्ही मेलो की वजह से हमारी संस्कृति बची हुई है । मेला प्रति वर्ष कार्तिक मास में लगता है । इस बार यह मेला 1 नवंबर से 9 नवंबर तक चलेगा तथा आने वाले कुछ और दिनो के लिए भी चलता है। यहाँ पर पूरे परिक्षेत्र से लोग व्यापार करने आते है। पहले लोग पुष्कर पुण्य सरोवर में डुबकी लगाते है। फिर जगत पिता ब्रह्मा जी के मंदिर दर्शन करते हैं और मेले की ओर बढ़ जाते हैं।
सच कहूं तो इस तरह के मेले तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम होने की वजह से देश की भावी तथा आने वाली पीढ़ी को अपने देश को समझने में आसानी होती है । यह मेला इतना आकर्षक होता है की इसके आगे देश विदेश के सभी आयोजन फीके पड़ जाते है । यह मेला आपको राजस्थान की रंगीली संस्कृति से रुबरु करवाता है ।
पुष्कर मेले में ये भी करें
हॉट एयर बैलून राइड, कैमल सफारी, कैमल राइड , खेलो का आनंद ले सकते है , झूलो का मजा ले सकते हैं, स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठाया जा सकता हैं।, पुष्कर शहर के मंदिरों को देखा जा सकता है , सजावटी सामान ,राजस्थानी कपड़े, ज्वैलरी इत्यादि की खरीदारी , राजस्थान की वेश भूषा,खान पान, संस्कृति, इत्यादि का अवलोकन किया जा सकता है।
कैसे पहुंचे?
पुष्कर सड़क तथा रेल के माध्यम से सम्पूर्ण देश से जुड़ा हुआ है। रेलवे के माध्यम से नजदीकी स्टेशन अजमेर है । अजमेर से पुष्कर की दूरी लगभग 10 से 12 किलोमीटर की है। नजदीकी एयरपोर्ट किशनगढ़ तथा जयपुर है। इन दोनो ही जगह से आसानी से पुष्कर पहुंचा जा सकता है।
क्या आपने कभी पुष्कर की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।
रोज़ाना टेलीग्राम पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।