ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर का पट 16 अगस्त से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। 16 से 22 अगस्त तक सिर्फ पुरी के निवासी ही भगवान के दर्शन कर पाएंगे। 23 अगस्त के बाद यहां आने वाले सभी श्रद्धालु भगवान श्री जगन्नाथ का दर्शन कर पाएंगे। मंदिर में आप सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक भगवान के दर्शन कर सकेंगे। श्रद्धालुओं को कोरोना दिशानिर्देशों के तहत मास्क, सैनिटाइजर का इस्तेमाल और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना होगा। राज्य से बाहर के लोगों को 96 घंटे के भीतर वाला आरटी-पीसीआर टेस्ट या कोविड-वैक्सीनेसन का सर्टिफिकेट दिखाना होगा।
श्री जगन्नाथ पुरी मंदिर को कोरोना की दूसरी लहर के कारण 24 अप्रैल, 2021 को बंद कर दिया गया था। अब मंदिर को खोल दिया गया है, लेकिन फिलहाल सभी वीकेंड शनिवार-रविवार को और प्रमुख त्योहारों पर पट बंद रहेगा। कोरोना काल में 30 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी और 10 सितंबर को गणेश चतुर्थी जैसे पर्व पर भीड़ ना उमड़े, इसके लिए मंदिर आम लोगों के लिए बंद रहेगा।
पुरी का जगन्नाथ मंदिर देश के चार धामों- पुरी, द्वारिका, बद्रीनाथ और रामेश्वर में से एक हैं। श्री जगन्नाथ मंदिर हिंदुओं के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। भगवान जगन्नाथ को विष्णु का अवतार माना जाता है। यहां भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र की पूजा की जाती है। भगवान यहां रत्नसिंहासन पर विराजमान हैं। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण चोड़गंग वंश के राजा अनंतवर्मा ने दसवीं सदी में करवाया था। वैसे मंदिर के अंदर स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमाएं इससे भी प्राचीन मानी जाती हैं और इनका संबंध सतयुग के राजा इंद्रयुम्म से है, जो प्रभु राम के भतीजे थे।
जगन्नाथ पुरी में हर साल भव्य रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। वैसे कोरोना काल में बाहरी लोगों के लिए इसमें शामिल होने पर प्रतिबंध था, लेकिन रथयात्रा के अवसर पर यहां हर साल लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। सारा माहौल भक्तिमय रहता है। हर ओर से जय जगन्नाथ की गूंज आती रहती है। रथयात्रा के समय कभी मौका मिले तो पुरी जरूर जाइएगा। एकदम अलौकिक अनुभूति का अनुभव करेंगे।
बंगाल की खाड़ी में पुरी के समुद्र तट पर भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर अपनी स्थापत्य, वास्तुकला और अद्भुत भव्य संरचना के लिए दुनिया में अकेला है। हिंदु धर्म में आध्यात्मिक महत्व रखने वाले इस मंदिर की ऊंचाई 65 मीटर है। शिखर पर 20 फीट ऊंचा एक नीला चक्र लगा है, इसे सुदर्शन चक्र भी कहते हैं। बताया जाता है कि अष्टधातु से निर्मित यह नीलचक्र एक टन से भी भारी है और इसका दर्शन करना स्वयं भगवान के दर्शन करने के समान है। इसकी एक खास बात यह भी है कि शिखर पर लगा यह चक्र पुरी के हर इलाके से दिखाई देता है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नीलचक्र के ऊपर लगे पवित्र ध्वज को हर रोज सूर्यास्त के समय बदला जाता है। बताया जाता है कि यह ध्वज हवा के विपरित दिशा में उड़ता है। एक खास बात यह भी है कि बेजोड़ वास्तुकला के कारण दिन के किसी भी समय मंदिर की परछाई नहीं बनती है। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार को सिंहद्वार कहते हैं। यहां पत्थर के दो सिंह बने हैं। सिंह द्वार के सामने 33 फुट ऊंचा अखंड स्तंभ हैं। इसे अरुणा स्तम्भ या सूर्य स्तंभ भी कहते हैं। आप यह जानकर दंग रह जाएंगे कि सिंहद्वार से प्रवेश करने से पहले तक आपको समुद्र की गर्जना सुनाई देती है, लेकिन द्वार के अंदर जाते ही समुद्र की आवाज सुनाई देनी बंद हो जाती है।
कैसे पहुंचे पुरी जगन्नाथ मंदिर
श्री जगन्नाथ मंदिर पुरी जिले में स्थित है। यह हिंदुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहां आप देश के किसी भी इलाके से आसानी से पहुंच सकते हैं। रेल से आप देश के किसी भी कोने से सीधा पुरी पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग से भी यहां आना काफी आसान है। यहां से ओडिशा के सभी प्रमुख शहरों के लिए बस सेवा उपलब्ध है। पुरी में कोई हवाई अड्डा नहीं है। अगर आप हवाई जहाज से आना चाहते हैं तो पहले आपको यहां से करीब 60 किलोमीटर दूर राजधानी भुवनेश्वर स्थित बीजू पटनायक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा आना होगा, फिर वहां से बस, टैक्सी या ट्रेन से पुरी आ सकते हैं।
कब पहुंचे-
वैसे तो भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए यहां सालों भर श्रद्धालु आते हैं, लेकिन बंगाल की खाड़ी के पास होने के कारण यहां अक्टूबर से अप्रैल के बीच आना बेहतर रहता है। इस समय आप पुरी समुद्र तट के पास भी अपनी खूबसूरत समय बिता सकते हैं।
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