पुणे में वैसे तो कई प्रमुख पर्यटक और दर्शनीय स्थल हैं। लेकिन आज हम आपको यहां उन 5 प्रमुख दर्शनीय स्थलों का परिचय करा रहे हैं जहां पर्यटकों की संख्या सबसे अधिक होती है।
श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर
श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर पुणे की पहचान है। पुणे आने वाले सभी लोग कम से कम एक बार श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर जरूर जाते हैं। बड़ा ही दिव्य और भव्य मंदिर है यह। मंदिर के करीब आते ही आपके अंदर एक अलग ही शक्ति और ऊर्जा का संचार होने लगता है। यहां आकर आप खुद को काफी हल्का महसूस करेंगे। श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर को इच्छापूर्ति गणेश के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए हर साल यहां देश दुनिया से हजारों श्रद्धालु आते हैं। मंदिर के मेन हॉल में भगवान गणेश की एक बड़ी सी दिव्य मूर्ति है। बताया जाता है कि उनका श्रृंगार करीब 40 किलो सोने से किया गया है। इस मंदिर का निर्माण करीब सवा सौ साल पहले दगडूशेठ हलवाई ने कराया था। इसलिए इस मंदिर को दगड़ूसेठ हलवाई के नाम से जानते हैं। आप यहां 250 रुपये की पर्ची कटवा कर अभिषेक पूजा भी करावा सकते हैं। अगर आप भीड़ के कारण मंदिर के भीतर नहीं जाना चाहते तो बाहर सड़क किनारे से ही शीशे से गणपति बप्पा का दिव्य दर्शन कर सकते हैं। गणेश उत्सव और गुड़ी पड़वा के अवसर पर यहां कुछ ज्यादा ही भीड़ रहती है।
पार्वती हिल
पार्वती हिल पुणे के सबसे शानदार जगहों में से एक है। 2100 फीट की ऊंचाई वाले इस पहाड़ी पर मौसम बहुत सुहाना रहता है। यहां से पुणे शहर का शानदार दृश्य दिखाई देता है। लोग यहां सूर्योदय और सूर्यास्त देखने भी आते हैं। पार्वती हिल पहाड़ी के ऊपर श्री देवदेवेश्वर मंदिर, विष्णु नारायण मंदिर, गणेश मंदिर और कार्तिकेय मंदिर है। इन मंदिरों का निर्माण नानासाहेब पेशवा ने 1749 में करवाया था। ऊपर पहाड़ी पर स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिए सौ से भी अधिक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। पार्वती हिल्स पर मंदिरों के साथ एक म्यूजियम भी है। जहां पेशवा काल के प्राचीन वस्तुओं का अच्छा खासा संग्रह है। इस पहाड़ी पर आकर आप दर्शन पूजा के साथ पर्यटन का भी लाभ उठा सकते हैं। यहां पार्वती हिल्स पर कुछ देर बैठकर आप असीम शांति का अनुभव करेंगे
चतुर्श्रृंगी मंदिर
चतुर्श्रृंगी मंदिर पुणे का एक प्रसिद्ध मंदिर है। चतुर श्रृंग यानी चार चोटी वाले पहाड़ी पर होने के कारण इसे "चतुर्श्रृंगी" मंदिर कहा जाता है। यह पुणे का एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है। चतुर्श्रृंगी देवी को पुणे की अधिष्ठात्री देवी भी माना जाता है। यह मंदिर आदि शक्ति माता जगदंबा को समर्पित है। माता के शक्ति स्वरूप को यहां "चतुर्श्रृंगी" रूप में पूजा जाता है। इसलिए यहां नवरात्र के अवसर पर काफी भीड़ रहती है। पहाड़ी ढलान पर होने के कारण मंदिर के ऊपर से पुणे शहर का मनोहारी दृश्य दिखाई देता है। ऊपर मंदिर तक जाने के लिए सौ के करीब सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। अगर आप पुणे में हैं तो यहां एकबार जरूर जाइएगा।
शनिवारवाड़ा
शनिवारवाड़ा एक किलानुमा संरचना है। पेशवा बाजीराव प्रथम ने इसे करीब तीन सौ साल पहले बनवाया था। इसके बारे में बताया जाता है कि शनिवार के दिन नींव रखने और शनिवार के दिन ही उद्घाटन होने के कारण इसका नाम शनिवारवाड़ा पड़ गया। लोगों का कहना है कि शनिवारवाड़ा एक सात मंजिला किलेनुमा महल था। इसमें पांच दरवाजे- दिल्ली दरवाजा, मस्तानी दरवाजा, खिड़की दरवाजा, गणेश दरवाजा और नारायण दरवाजा थे। मुख्य दरवाजा दिल्ली दरवाजा है। इस दरवाजे पर 12 इंच लंबे कुल 72 कीले लगे हुए हैं। शनिवारवाड़ा में कमल के फूल के आकार का एक लोटस फाउंटेन बनाया गया था। अब खंडहर ही बचे हैं। यह देश के सबसे रहस्यमयी और डरावने किले की लिस्ट में भी शामिल है। रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण की फिल्म बाजीराव मस्तानी की शूटिंग यहां हुई है। इसके बाद से यहां काफी संख्या में पर्यटक आने लगे हैं।
लाल महल
लाल महल को लेकर पुणे ही नहीं देश भर के लोगों में एक विशेष आस्था है। छत्रपति शिवाजी महाराज बचपन में इसी जगह रहे थे। वर्तमान में जो लाल महल है उसे फिर से बनाया गया है। पहले वाला मूल लाल महल समय के साथ खंडहर में तब्दील हो गया था। इस महल में पेंटिंग और प्रतिमाओं के माध्यम से शिवाजी महाराज के बचपन को दिखाया गया है। शनिवारवाडा के पास होने के कारण आप यहां आसानी से आ भी सकते हैं और एक साथ दोनों जगह जा सकते हैं। लाल महल में शिवाजी महाराज की माता जीजाबाई की एक भव्य प्रतिमा है। लाल महल परिसर में भी कई प्रतिमाएं हैं। इसमें सबसे खास है माता के साथ हल चलाते हुए शिवाजी महाराज की मूर्ति।
कैसे पहुंचे पुणे
पुणे देश के सभी प्रमुख शहरों से रेल, सड़क और वायुमार्ग से अच्छी तरह से कनेक्टेड है। यहां पहुंचने के बाद आप शहर के किसी भी इलाके में आसानी से बस या ऑटो-टैक्सी से आ-जा सकते हैं। यहां ओला-उबर ऑटो और टैक्सी के साथ वैसे भी ऑटो-टैक्सी आसानी से उपलब्ध है।
कब पहुंचे
पुणे आप कभी भी किसी भी समय आ सकते हैं। वैसे गर्मी में दिन के समय तापमान कुछ ज्यादा होता है और बरसात में तो यहां बारिश भी अच्छा होती है। तो बारिश-गर्मी से बचना चाहते हैं तो फिर सितंबर से मार्च के बीच का समय पुणे घूमने के लिए सबसे अच्छा होता है।
आपकी यात्रा शुभ और मंगलमय हो। अपनी यात्रा के बारे में सलाह-सुझाव हो तो कमेंट में जरूर बताइएगा। धन्यवाद।