जयपुर में घर होने से मुझे बड़ा फायदा हुआ है। मैं जयपुर के आस-पास की घूमने लायक जगहें छान आया हूँ। मगर राजस्थान में देखने लायक इतनी चीज़ें हैं कि जाने क्या नया दिख जाए।
पिछले साल सितम्बर-अक्टूबर के इन्हीं दिनों के दौरान मैं जयपुर के आस-पास घूमने लायक जगहें और देखने लायक चीज़ें ढूंढने लगा। आभानेरी त्यौहार के बारे में जानने को मिला - जहाँ पूरे राजस्थान की छटा देखने को मिलती है।
आज आपको इसी आभानेरी के त्यौहार के बारे में बताने वाला हूँ। अगर आपके पास पूरा राजस्थान घूमने का वक़्त नहीं है, तो इस आभानेरी के मेले में ज़रूर जाएँ, क्योंकि आप यहाँ राजस्थान के कई हिस्सों की संस्कृति, कला, लोक नृत्य, संगीत, वास्तुकला और हस्त शिल्पकारी एक ही जगह देख सकते हैं।
आभानेरी त्यौहार
ये त्यौहार हर साल सितम्बर-अक्टूबर के महीनों में राजस्थान के दौसा जिले के आभानेरी गाँव में मनाया जाता है। आभानेरी गाँव का असली नाम आभा नगरी था, जिसका मतलब है ऐसा शहर जहाँ खूब उजाला होता है। दो दिन चलने वाला ये आभानेरी का त्योहार इस साल 2019 में 29 और 30 सितम्बर को मनाया जाएगा।
क्यों मनाते हैं ये त्यौहार?
आभानेरी त्यौहार राजस्थान का पर्यटन विभाग हर साल 2 दिन के लिए संयोजित करवाता है, ताकि राजस्थान की संस्कृति, कला, रंग, संगीत, इतिहास, और लोक नृत्य ज़िंदा रह सकें और आने वाली नई पीढ़ी इन्हें जान सके।
त्यौहार में क्या-क्या होता है
ये त्यौहार सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक दो दिन के लिए मनाया जाता है, जिसके दौरान यहाँ इतने रंगा-रंग कार्यक्रम होते हैं कि आप कला-संस्कृति और रंगों की दुनिया में खो जायेंगे
1. कठपुतलियों का नाच
ये पुराने ज़माने के मल्टीप्लेक्स हुआ करते थे, जिनमें कठपुतलियों का नाच दिखाया जाता था। कलाकार उँगलियों में अलग-अलग किरदारों की कठपुतलियाँ नचाता था, और लोक गीत गाते हुए बड़ी दिलचस्प कहानियाँ सुनाता था। मनोरंजन भी होता था और लोगों को अपनी संस्कृति की कहानियों का ज्ञान भी मिलता था।
2. ऊँटगाड़ी की सवारी
आज आप राजस्थान में जो हरियाली देखते हो वो पंजाब की नहरों की देन हैं। मगर कई सौ साल पहले राजस्थान के बहुत बड़े हिस्से में थार रेगिस्तान फैला हुआ था। जहाँ तक नज़र दौड़ाओ, रेत-ही-रेत।
इस रेत में ना तो कुछ पनपता था, ना पानी निकलता था, न कोई इसे पार कर पाता था, सिवाय रेगिस्तान के जहाज़ ऊँट के। बिना घास-पानी के 6 महीने से ज़्यादा जीने वाला ये जानवर राजस्थान के लोगों के लिए वरदान साबित हुआ। इसे ही खेत में जोता जाता, इससे ही गाडी खिंचवा कर सामान ढोया जाता, और इसी पर बैठ कर रेगिस्तान पार किया जाता था।
क्या आपका दिल नहीं कर रहा एक बार ऊँटगाड़ी की सवारी करने का ?
3. कालबेलिया नाच
राजस्थान का एक कबीला है जिसे कालबेलिया कहते हैं। इस कबीले का काम है साँप पकड़ना और साँप के ज़हर का व्यापार करना। साँपों से इतने करीबी रिश्ते के कारण इनके काले कपड़े, चमकीले गहने और लहराता नाच भी साप जैसा ही है।
इस कबीले के लोग कभी एक जगह पर घर बनाकर नहीं रहते, बल्कि साल-भर घूमते रहते हैं। आभानेरी त्यौहार के दौरान आप इस रहस्य्मयी जाति का जाना-माना कालबेलिया नाच देख सकते हैं और इनके बारे में और भी जान सकते हैं।
4. लंगा संगीत
लंगा और मांगणियार भी राजस्थान के कुछ ऐसे कबीले हैं, जिनका पुश्तैनी काम नाच-गा कर राजो-महाराजों का मनोरंजन करना था। इस कबीले के गीत इतने मशहूर और सांस्कृतिक रूप से संपन्न हैं कि भारत सरकार ने इस कबीले के संगीतकारों को पूरी दुनिया घुमाई थी।
5. कच्छी घोड़ी नाच
राजस्थान के शेखावाटी इलाके से निकले इस नृत्य में कलाकार कपड़े और खपच्चियों से बनी घोड़ी को कमर पर बाँध कर नाचता है। हाथ में तलवार लेकर नाचते हुए कलाकार कई तरह की कहानियाँ भी बयान करता है।
ऐसा अनोखा करतब आभानेरी त्यौहार के अलावा और मिलेगा ?
6. भवई डांस
भवई जाति का जाना-माना नृत्य है, जिसमें महिलाएँ अपने सिर पर 8-10 मटके रख कर संतुलन बनाते हुए बेहद शालीनता से नाचती हैं।
नाच के दौरान सिर पर मटकों का संतुलन बनाते हुए कई तरह के करतब भी दिखाए जाते हैं, जैसे काँच के गिलास पर खड़ा होना, तलवार की धार पर चलना और कांसे की गोल थाली पर खड़े हो जाना।
7. रास लीला
राजस्थान की जनजातियाँ हैं, जिनका काम ही कृष्ण की लीलाएँ दिखाना हैं। ऐसी ही कुछ जातियाँ भारी-भरकम कपड़े, गहने, मेकअप लगा कर खेल-तमाशे दिखाते हुए कृष्ण लीला का बखान करते हैं। मंच की तरफ देखते भक्तों को भगवान की लीलाओं में रस लेते देख आपको भी काफी मज़ा आएगा।
8. भारत की सबसे बड़ी बावड़ी- चाँद बाओली
आभानेरी गाँव में राजस्थान की सबसे बड़ी बाओली बनी है, जिसका नाम है चाँद बाओली। बाओलियाँ पूरे राजस्थान में कई जगह देखने को मिलेंगे, क्योंकि पुराने वक़्त में इनमें बारिश का पानी इकठ्ठा किया जाता था।
इन सब बाओलियों में चाँद बाओली काफी ख़ास है, क्योंकि ये 100 फ़ीट गहरा कुआँ ऐसा है, जैसे मानों किसी ने 13 मंजिल की इमारत को ज़मीन में धँसा दिया हो। फोटोग्राफी करने के लिए बहुत बढ़िया जगह है।
9. हस्तशिल्पकारी की दुकानें
यहाँ राजस्थान के कलाकारों के हाथों से बनी तस्वीरें, चित्रकारी, मूर्तियाँ, बर्तन, चटाइयाँ , कठपुतलियाँ और बहुत तरह की अनोखी और नायाब चीज़ों की प्रदर्शनी लगती है। अब चूंकि आप ये सामान सीधे कलाकारों से खरीद रहे हो, तो सस्ते भी मिलेंगे।
कैसे पहुँचे आभानेरी?
जयपुर से 90 कि.मी. दूर आभानेरी गाँव तक जाने के लिए आप जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, उदयपुर, अजमेर जैसे बड़े शहरों से बस ले सकते हो। इसके अलावा आभानेरी से 8 कि.मी. दूर बांदीकुई में नज़दीकी रेलवे स्टेशन भी है।
तो अपनी छुट्टी का हिसाब देख कर टिकट वगैरह करवा लीजिये। क्योंकि दो दिन में इतना कुछ जानने, समझने और देखने के लिए मिलेगा तो कोई आभानेरी त्यौहार क्यों नहीं देखने जाना चाहेगा ? याद रहे, इस साल 2019 में आभानेरी फेस्टिवल 29-30 सितम्बर को राजस्थान के दौसा जिले के गाँव आभानेरी में मनाया जाएगा, जहाँ पूरी दुनिया से सैलानी आते हैं। आप भी पहुँचिए।