में एक महाराष्ट्रीयन लड़की हु। मेरे घर मे हफ्ते के 7 दिनों में से 4 दिन का नाश्ता पोहा होता है। और मेरी भी पसंदीदा नास्ता पोहा ही है। आपने भी कभी न कभी तो पोहा जरूर खाया होगा। इंदौर के पोहा के बारे में बहुत कुछ सुना था। लेकिन इंदौर आने के बाद पोहा कि दीवानगी देखी गयी ।
वैसे तो पोहा की शुरुआत सबसे पहले महाराष्ट्र में हुई थी। होल्कर और सिंधिया के शासन में, बोलचाल के व्यंजन ने लोगों के बीच व्यापक अपील प्राप्त की। जब शासक महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश आए, तो उन्होंने इंदौर पर अधिकार कर लिया और अपने साथ पोहा और श्रीखंड सहित अन्य चीजें ले आए।
पोहा की असली दीवानगी का जीता जागता उदाहरण इंदौर शहर है। यह कहना गलत नहीं होगा कि इस शहर के कोन-कोने में आपको पोहा मिल जाएगा। इंदौर के लोगों की सुबह पोहा खाकर शुरु होती है और अब सिर्फ इंदौर में ही नहीं पोहा की दीवानगी आपको पूरे भारत में देखने को मिल जाएगी। इसके साथ ही ऐसा कहा जाता है कि अगर इंदौर का कोई व्यक्ति पोहा,जीरावन, सेंव और जलेबी नहीं खाता है तो वह असली इंदौरवासी नहीं है।
इंदौरी पोहा का इतिहास
पोहा पहले से इंदौर की शान नहीं रहा है। शुरुआती समय में पोहा का सेवन महाराष्ट्र और मारवाड़ी लोग ही किया करते थे। यूं कहें कि पोहा केवल महाराष्ट्र और मारवाड़ी लोगों के किचन तक ही सीमित था। इसके साथ ही पोहे को महाराष्ट्र और मारवाड़ी लोगों का पारंपरिक व्यंजन माना जाता है। बता दें कि इंदौर में पोहा आजादी के करीब दो साल यानी 1949-50 के बाद आया।
पुरुषोत्तम जोशी नाम का एक शख्स महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के निज़ामपुर छोड़ रोजगार की उम्मीद में अपनी बुआ के घर इंदौर आ गए। पुरुषोत्तम जोशी को इंदौर शहर इतना भाया कि उन्होनें अपनी कर्म भूमि इंदौर को ही मान लिया था। हालांकि, सबसे पहले उन्होनें गोदरेज कंपनी में सेल्समैनशिप की नौकरी की। लेकिन वह कभी भी नौकरी नहीं करना चाहते थे और चाहते थे कि वह कुछ अपना काम करें। अपना कुछ खुद का काम करने की इच्छा ने उन्हें इंदौर के तिलकपथ पर उपहार गृह नाम से दुकान खोली।
वह इस दुकान पर पोहा बेचा करते थे और वहां के दुकानदारों और व्यापारी संघ की मानें तो इससे पहले इंदौर में पोहा की कोई भी दुकान मौजूद नहीं थी। दुकान का सारा काम उन्होनें खुद संभाला ऐसे में पुरुषोत्तम जोशी को इंदौर में पोहा लाने का श्रेय दिया जाता है। बता दें कि उस जमाने में 10 से 12 पैसे प्लेट पोहा बिकता था। हालांकि,अब इसका रेट बढ़ गया है। इंदौर के लोगों को पोहा इतना पसंद आया की अब बिना पोहा खाए वहां के लोगों की सुबह की शुरुआत नहीं होती है। पहले यहां पोहे के केवल कुछ ही दुकाने थी लेकिन क्योंकि पोहा इंदौर की शान बन चुका है ऐसे में अब यह 2600 से अधिक दुकानें है।
90 प्रतिशत लोगों की पहली पसंद
यह कहना गलत नहीं होगा कि इंदौर की हवाओं में पोहा की महक हमेशा रहती है। यहां आपको पोहा ठेले से लेकर किसी होटल तक में मिल जाएगा। इंदौर की 90 प्रतिशत जनता की पहली पसंद पोहा है और यहां के लोगों की सुबह पोहे से शुरु होकर पोहे पर ही खत्म हो जाती है। यहां के लोग पोहा को बड़े ही चांव से खाते हैं।
इंदौर की सबसे फेमस पोहा की दुकानें
हालांकि, इंदौर में पोहा आपको हर जगह मिल जाएगा। लेकिन अगर आप पोहा के बेहतरीन स्वाद का आनंद उठाना चाहते हैं तो आपको नीचे दिए हुए दुकान का पोहा जरूर चखना चाहिए।
■ पत्रकार कॉलोनी में रवि अल्पहार का पोहा
■ राजबाड़ा पर लक्ष्मी मंदिर के पास की दुकान का पोहा
■ रात में सरवटे बस स्टेड का पोहा
■ जेएमबी दुकान जाना चाहिए।
इन दुकानों में मिलने वाले पोहा का स्वाद चख आप भी इसके फैन हो जाएंगे। इसलिए जब भी इंदौर जाएं और पोहा खाने की फिराक में हो तो इन दुकानों का दौरा जरूर करें।
डिफरेंट स्टाइल पोहा
आपको पोहा की कई डिफरेंट रेसिपी मिल जाएगी। लेकिन, पोहा को उसल, पनीर के साथ सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है और इसके अलावा पोहा को बनाने के लिए लोग खास तरह के मसालों का भी इ्स्तेमाल करते हैं। कई लोग पोहा में मटर, टमाटर और आलू डालते हैं। कई जगह आपको पोहा के साथ चटनी भी खाने को दी जाती है जो पोहे के स्वाद को दोगुना करता है।
लेकिन इंदौर में आज भी पोहा उसल के साथ मिलता है। बता दें कि उसल के साथ खड़ा मूंग, गुलाबी मोठ और चावल को रात भर भिगोया जाता है और फिर इसे सब्जी जैसा बनाया जाता है। यह खाने में बेहद तीखा होता है| इंदौर में इसे पोहा के ऊपर डालकर परोसा जाता है| यही नहीं इसके बाद पोहा में नींबू और सेंव भी डाली जाती है। इन सभी चीजों से पोहा का स्वाद बढ़ जाता है।
जीआई टैग की मांग
बता दें कि इंदौरी पोहा और सेव पर इंदौर के लोगों द्वारा जीआई टैग लगाने की मांग की जा रही है। बता दें कि जीआई टैग का मतलब ज्योग्राफिकल इंडेक्स टैग होता है। यह टैग उस चीज को दिया जाता है जो किसी राज्य या क्षेत्र में अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है या उस शहर के लिए स्पेशल होता है। भविष्य में अगर पोहा को जीआई टैग दे दिया जाता है तो इसके बाद पोहा को आधिकारिक तौर पर इंदौर का ही माना जाएगा।
फोटो गैलरी: मेरे कैमरा से
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