भारत भूमि को देवों और ऋषि मुनियों की भूमि कहा जाता है। जिसका कारण यहां पर जन्मे महापुरुष, ऋषि मुनि और देवी देवता हैं।इसका साक्षात उदहारण हमारे पवित्र महाकाव्य रामायण, महाभारत और गीता है।जो बस एक किताब नहीं बल्कि हमारी संस्कृति,सभ्यता और विरासत का साक्षी है।इन महाकाव्यों में वर्णित व्यक्तित्व मानवता के लिए एक उदहारण है जो सदियों से पूजनीय है।उनका व्यक्तित्व संपूर्ण जगत के लिए त्याग, तप और बलिदान की एक मिसाल है। आज हम आपको इसी पवित्र महाकाव्य में से एक रामायण में वर्णित कुछ ऐसे ही स्थलों के बारे में बताएंगे जहां जा कर आपको भी यह एहसास होगा की आखिर क्यों सदियों से इनके व्यक्तित्व को एक आदर्श के रूप में पूजा जा रहा है।इन स्थानों पर जाने मात्र से आपको अंदाजा लग जायेगा कि त्याग ,तप, और बलिदान क्या है।तो आइए चलते हैं इन पवित्र स्थानों की दिव्य यात्रा पर।
1.अयोध्या (उत्तर प्रदेश): भगवान राम की जन्मभूमि
उत्तर प्रदेश का अयोध्या जहां भगवान राम ने जन्म लिया था।अयोध्या शहर सरयू नदी के तट पर स्थित है।प्राचीन काल में यह कौशल साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। उस समय यहां के राजा दशरथ थे जो कि श्री राम के पिता थे। आज भी अयोध्या में राजा दशरथ के महलों के अवशेष देखने को मिलते हैं,और सरकार के प्रयासों से जल्द ही वहां एक भव्य मंदिर का निर्माण कार्य भी पूरा हो जाएगा।इसके अलावा आप यहां हनुमान गढ़ी,कनक महल,सीता जी की रसोई,नागेश्वरनाथ मंदिर, रामकोट, दशरथ महल और सरयू नदी घाट देख सकते है।
2. जनकपुर (नेपाल): माता सीता का जन्मस्थान और विवाह स्थान
जनकपुर माता सीता का जन्मस्थान माना जाता है।कहते है यहां के राजा जनक की कोई संतान नहीं थी,माता सीता उन्हें खेतों में धरती मां के आशीर्वाद से मिली थी।उन्होंने ने बड़े ही प्यार से उसका पालन पोषण किया।राजा जनक ने अपनी पुत्री का स्वंबर जनकपुर में ही किया जहां सीता का विवाह राम से हुआ।यह स्थान नेपाल के काठमांडू से लगभग 90 किमी दूर है। आज भी यहां सीता माता के नाम का मंदिर है और उनकी पूजा अर्चना होती है।
3. प्रयागराज(उत्तर प्रदेश): जहां से श्री राम ने वनवास शुरू किया
उत्तर प्रदेश का प्रयागराज एक बहुत ही पवित्र नगर माना जाता है।क्योंकि यही वह स्थान है जहां से श्री राम ने अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ गंगा नदी पर कर अपने वनवास की शुरुआत की थी और चित्रकूट पहुंचे थे।यह स्थान तीन पवित्र नदियों का संगम स्थल भी है यहां गंगा,यमुना और सरस्वती तीनो नदियों का संगम होता है जिस कारण इसकी पवित्रता और अधिक बढ़ जाती है।कहते है यहां स्नान करने वाले के सारे पाप धुल जाते है।
4. चित्रकूट(मध्य प्रदेश): जहाँ श्री राम निर्वासन काल में रहे
मध्य प्रदेश का चित्रकूट वह स्थान है जहां श्रीराम ने वनवास काल में अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता माता के साथ सबसे अधिक समय व्यतीत किया।यही वह स्थान है जहां विश्वप्रसिद्ध मिलाप श्री राम और भारत का हुआ था जब पिता की मृत्यु के बाद भरत श्री राम को अयोध्या लौटने के लिए लेने आए थे तब श्री राम के न लौटने पर भरत उनके खड़ायू लेकर लौट गए और श्रीराम के नाम से राज्य चलाने लगे।इस स्थान पर आज भी रामघाट, हनुमान धारा और जानकी कुंड नामक कई स्थान है जो आपको उस समय की याद दिलाएगा।
5. दंडकारण्य(छत्तीसगढ़): जहां श्री राम ने राक्षसों का संहार किया
दंडकारण्य ,छत्तीसगढ़ का वह स्थान है जहां भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दिनों में कुछ समय बिताए थे और यही पर उन्होंने दंडक नाम के राक्षस का संहार भी किया था।यह स्थान अपनी अथाह प्रकृति सुंदरता के लिए जानी जाती है।इसका विशाल वन क्षेत्र बहुत ही दूर तक फैला हुआ और आकर्षक लगता है ।
6. नासिक(महाराष्ट्र): जहां लक्ष्मण ने सूर्पणखा की नाक कटी थी
नासिक महाराष्ट्र का एक बहुत ही जाना माना शहर है पर क्या आप जानते हैं इस शहर का रामायण काल से भी गहरा नाता है। कहते हैं यही वह स्थान है जहां पर श्री राम के भाई लक्ष्मण जी ने रावण की बहन सुपर्णखा की नाक काटी थी।इसी कारण इस शहर का नाम नासिक पड़ा।यही पर स्थित पंचवटी से रावण से माता सीता का अपहरण किया था जिसने एक अलग ही इतिहास बना लिया। यहां पर स्थित राम कला मंदिर, तपोवन और सीता गुफा उस काल के इतिहास की गाथा आज भी सुनते हैं।
7. लेपाक्षी(आंध्र प्रदेश): जटायु द्वारा सीता को बचाने का स्थान
लेपाक्षी आंध्र प्रदेश का वो पवित्र स्थान है जहां गिद्धों के देवता माने जाने वाले जटायु ने रावण द्वारा सीता माता का हरण करके ले जाते समय युद्ध किया था,और इस युद्ध के दौरान वह रावण द्वारा मारा गया था।इस स्थान को एक बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता है।यहां का लेपाक्षी मंदिर जहां आज भी माता सीता के पैरो के निशान, आज भी उस इतिहास के गवाह के रूप में मौजूद है।
8. अशोक वाटिका(श्रीलंका): वह स्थान जहाँ रावण ने सीता को रखा था
अशोक वाटिका रावण की लंका का वो हिस्सा था जहां पर रावण ने सीता का हरण कर उन्हें रखा था।ये स्थान आज भी श्रीलंका में मौजूद है और वहां पर सबसे अधिक देखे जाने वाले स्थानों में से एक है।यही पर हनुमान जी की सीता से मुलाकात हुई थी और रावण की लंका जलाने की शुरुआत भी यही से हुई थी।
9. रामेश्वरम(तमिलनाडु): जहाँ श्री राम ने भगवान शिव की आराधना की और सेतु बनाया
इसी स्थान पर प्रभु श्रीराम ने भगवान शिव की आराधना की थी कि वो रावण पर विजय पा सके और सीता को वापस ला सके।जिसके लिए उन्होंने अपने हाथो से एक शिवलिंग बनाकर स्थापित किया और उसकी पूजा अर्चना की ।जहां बाद में एक भव्य शिव मंदिर का निर्माण किया गया और आज ये रामनाथस्वामी मंदिर के नाम से रामेश्वरम में विख्यात है।यही से उन्होंने अपनी वानर सेना के साथ राम सेतु का निर्माण किया जिस पर चल कर पूरी वानर सेना लंका पहुंची और रावण से युद्ध किया।
10. तलाईमन्नार(श्रीलंका):वह स्थान जहाँ राम लंका में पहुंचे
श्रीलंका का यह स्थान इतिहास के सबसे बड़े युद्ध का साक्षी हैं यही वह स्थान है जहां राम सेतु पर कर श्री राम पहुंचे और इसी स्थान पर उन्होंने रावण का वध किया था।यह स्थान असत्य पर सत्य की विजय का साक्षी है।इस स्थान पर आज सुंदर मन्नार द्वीप, किले और आदम के पुल देखे जा सकते है। तो आप भी इन दिव्य स्थानों की यात्रा एक बार जरूर करे।
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