क्यों कहा जाता है पेट्रा को खोया हुआ शहर, कहानी सुनकर हैरान रह जाएंगे

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Photo of क्यों कहा जाता है पेट्रा को खोया हुआ शहर, कहानी सुनकर हैरान रह जाएंगे by Rishabh Dev

पेट्रा को दुनिया के सात अजूबों में से एक माना जाता है। जार्डन में स्थित ये ऐतिहासिक नगर पत्थरों से तराशी गई विश्व प्रसिद्ध इमारतों के लिए जाना जाता है। यहाँ के लाल रंग के पत्थरों की वजह से इसे रोज़ सिटी के नाम से जाना जाता है। होर नामक पहाड़ की ढलान पर बने पेट्रा को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया है। क्या आपको पता है कि पेट्रा को खोया हुआ शहर भी कहा जाता है। आइए आज पेट्रा शहर के इतिहास के बारे में जानते हैं।

इस ऐतिहासिक स्थल की खुदाई 1929 में की गई थी। कहा जाता है कि वर्तमान में 15% पेट्रा शहर ज़मीन के ऊपर है और 85 फ़ीसदी पेट्रा अभी भी ज़मीन के अंदर है। पेट्रा शहर में वाहनों का ले जाना प्रतिबंधित है। आप यहाँ गधे, घोड़े और ऊँट से जा सकते हैं। दरअसल पेट्रा शहर में जाने के लिए एक पतली गली से होकर गुजरना पड़ता है। पेट्रा क़ब्रों और स्मारकों का एक विशाल शहर है। यहाँ देखने के लिए काफ़ी कुछ है। 1989 में फिल्म इंडियाना जोन्स और लास्ट क्रूसेड में इस जगह पर शूटिंग हुई थी। तब से ये जगह दुनिया भर में लोकप्रिय हो गई। बड़ी संख्या में लोग इस जगह को देखने के लिए आते हैं।

पेट्रा का इतिहास

पेट्रा नाम एक स्त्री यूनानी शब्द पेट्रोस से लिया गया है, जिसका मतलब होता है चट्टानें। पेट्रा के इतिहास की बात करें को पेट्रा अरब साम्राज्य का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा था। कहा जाता है कि पेट्रा शहर को एक छत पर स्थापित किया गया था। पेट्रा अरब सागर और लाल सागर के मध्य में स्थित है। पेट्रा को 312 ईसा पूर्व में नबातियन लोगों ने स्थापित किया था। इसके बाद 106 ईस्वी में पेट्रा रोमन शासन के अधीन आ गया था। उस ज़माने में पेट्रा सबसे ज़्यादा आबादी वाला शहर था। पेट्रा रेशम और मसाला व्यापार के रास्तों के लिए एक महत्वपूर्ण जगह थी।

पेट्रा शहर को कई पहाड़ों की चट्टानों पर बसाया गया है। इस जगह का आर्किटेक्चर देखकर आप हैरान रह जाएँगे। पत्थरों का काटकर बनाई गईं इमारतें किसी अजूबे से कम नहीं हैं। पहाड़ों के भीतर ही घर, मकान और पूजा स्थल भी बने हुए हैं। पेट्रा लाल चोटियों से घिरा हुआ है। जिसकी वजह से यहाँ के पत्थरों का रंग लाल है।

खोया हुआ शहर

जार्डन के इस विशाल शहर को खोया हुआ शहर इसलिए कहा जाता है कि ये शहर अचानक ग़ायब हो गया था। कहा जाता है कि 363 ईस्वी में आए एक भूकंप से लगभग आधा शहर नष्ट हो गया था। इसके बाद इसे यूँही छोड़ दिया गया। 11वीं शताब्दी के अंत तक इस शहर के कई महल नष्ट हो गए। लोग इसे भूल गए और इसे खोया हुआ शहर कहा जाने लगा।

बाद में 1812 में एक स्विस खोजकर्ता जोहान लुडविक बर्कहार्ट ने इसे खोज लिया। पेट्रा की पहली वास्तविक खुदाई 1929 में की गई। जुलाई 2007 में पेट्रा को दुनिया के 7 अजूबों में शामिल किया गया। यूनेस्को ने 1985 में इसे विश्व धरोहर में शामिल करने के साथ-साथ मनुष्य की पारंपरिक विरासत की सबसे महँगी संपत्ति करार दिया है।

कब जाएँ?

पेट्रा गर्मियों में बेहद गर्म और शुष्क स्थान के लिए जाना जाता है। आपको गर्मी में पेट्रा शहर को घूमने में काफ़ी दिक़्क़त होगी। पेट्रा को घूमने के लिए सबसे अच्छा समय सर्दियों का माना जाता है। आपको सितंबर से नवंबर के समय पेट्रा आना चाहिए। अगर आप पेट्रा में भीड़ से बचना चाहते हैं तो आपको बिल्कुल सुबह-सुबह पेट्रा जाना चाहिए।

कैसे पहुँचे?

अगर आप भारत से पेट्रा जाने का प्लान बना रहे हैं तो सबसे पहले आपको फ़्लाइट से अम्मान पहुँचना होगा। अम्मान से पेट्रा लगभग 186 किमी. की दूरी पर है। पेट्रा जाने के लिए सबसे नज़दीकी शहर मूसा घाटी जाना होगा। यहाँ विज़िटर्स सेंटर से प्रवेश के लिए टिकट ख़रीदना होगा। यहाँ से पेट्रा लगभग 2 किमी. की दूरी पर स्थित है। आप पथरील पैकेज से ऊँची दीवारों के साथ पेट्रा में प्रवेश करते हैं। आप पेट्रा के लिए या तो पैदल यात्रा कर सकते हैं या फिर किराए के घोड़े का मदद से जा सकते हैं।

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