परिवार के साथ पटनीटॉप नहीं देखा, तो क्या देखा?

Tripoto
Photo of परिवार के साथ पटनीटॉप नहीं देखा, तो क्या देखा? by Aastha Raj

दो दिन पहले ही मैं कॉलेज खत्म कर के जम्मू से घर लौटी थी और घर में रिश्तेदारों की भीड़ लगी थी। भीड़ होती भी क्यों नहीं, सबकी लाडली पूरे एक साल बाद घर आयी थी। मोबाईल के इस ज़माने में भी मेरी माँ की आदत थी कि वे तस्वीरों को फोटो ऐल्बम में संजो कर रखती थी। नानी के कहने पर माँ ने ऐल्बम बाहर निकाली और मेरे बचपन से लेकर कॉलेज की तस्वीरें दिखाने लगीं।पन्ना पलटते-पलटते मासी की नज़र माँ की उस तस्वीर पर पड़ी जिसमें वह घुड़सवारी कर रही थी। माँ की वह तस्वीर मैंने पटनी-टॉप में ली थी जब पूरा परिवार वैष्णो देवी दर्शन के लिए जम्मू पहुँचा था।

मेरा कॉलेज का आखिरी साल था जब पहली बार पूरा परिवार जम्मू आया था। वैष्णो देवी के दर्शन के बाद परिवार के पास घुमने के लिए एक और दिन का समय था। अक्टूबर का महीना था इसलिए पटनीटॉप जाने का फैसला किया। मैं पहले एक बार दोस्तों के साथ पटनीटॉप जा चुकी थी इसलिए मुझे पता था कि ये जगह परिवार के साथ वक़्त बितानी के लिए एकदम परफेक्ट है। 

मेरा कॉलेज कटरा में है जहाँ से पर्सनल कैब मिलना बहुत ही आसान है। हमने एक कैब वाले से थोड़ी बातचीत की और वहीं के लोकल दुकानों से होटल की जानकारी ली। हम लगभग दोपहर 2 बजे के बाद पटनीटॉप के लिए निकल गये। जम्मू की वादियों के बारे में तो सब जानते हैं पर कटरा से जो रास्ता पटनीटॉप की ओर जाता है उसकी बात ही अलग है। अक्टूबर के महीने में जम्मू में कहीं बर्फ़बारी नहीं होती पर पटनीटॉप में हल्की बारिश और बर्फ़बारी देखने को मिल सकती है। हम लोग भाग्यशाली थे। 2 दिनों पहले मुसलाधार बारिश होने की वजह से रास्ते में मनमोहक देवधर के पेड़ हलकी बर्फ से ढके थे। ठंडी हवाएँ और जम्मू की वादियों पहले से ही हमारा मन मोह रही थीं और करीब 4 घंटे बाद जब हमलोग पत्नी टॉप पहुँचे तो वहाँ का नज़ारा किसी और दुनिया में ले जाने जैसा था। 

हल्की-हल्की बारिश हो रही थी और कई परिवार आस पास घूमते दिखाई दे रहे थे। सूरज डूबने वाला था और उसकी लालिमा आसमान में हर तरफ बिखरी हुई थी। आसमान लाल नज़र आ रहा था और हर तरफ हरियाली। एक अलग किस्म का सुकून था वहाँ, कहीं खो जाने वाले। पुरे रास्ते डंब-शेराड्स खेलते आए मेरे भाई-बहन अब थक गए थे इसलिए पापा ने फैसला किया कि कल सुबह से हम लोग घूमना शुरू करेंगे। कैब ने हमें एक होटल के पास छोड़ा और बताया कि कल सुबह 7 बजे वह हमें वहीँ मिलेंगे। होटल में सामान रखने के बाद हम सभी आस-पास घूमने निकले। चलते-चलते हम पास के एक ढाबे पर पहुँचे जहाँ रंग बिरंगी लाइट लगी थी। जिन बर्तनों में वो खाना परोस रहे थे वो लकड़ी के थे। हमने वहाँ जम्मू का स्पेशल राजमा चावल खाया। ढाबे के लोगों ने बताया कि लकड़ी के बर्तन खुद बनाते हैं। उसके बाद मैं अपने परिवार को उस चाय की दुकान पर ले कर गयी जहाँ कश्मीरी काहवा मिलता है। चाय का आनंद लेने के बाद हम कुछ देर होटल के बाहर पार्क में बैठे रहे और फिर वापस होटल आराम करने चले गए।

श्रेय: इमविकु

Photo of पतनितोप by Aastha Raj

अगले दिन ठीक 7 बजे कैब वाला हमें लेने आ गया, मेरे भाई-बहन काफी खुश थे और यहाँ से जम्मू में बिताए सबसे खुबसूरत दिन की शुरुआत हुई। पटनीटॉप में जो पहली जगह हमने देखी वह था 600 साल पुराना नाग मंदिर। यह मंदिर नाग पंचमी के त्यौहार के लिए प्रसिद्ध है। नाग मंदिर में दर्शन के बाद हम सुध महादेव मंदिर की तरफ बढ़े। कैब वाले ने हमें बताया कि यह मंदिर 80 वर्ष पुराना है और माना जाता है कि इसी जगह पर भगवान शिव का एक भक्त माँ पार्वती की रक्षा करते वक्त रहा था और गलती से शिव के जी के त्रिशूल से उसकी जान चली गयी। इस मंदिर में नंदी की एक मूर्ति है जिसकी यह मान्यता है कि नंदी के कान में जो भी बोलो वो इच्छा पूरी हो जाती है। मेरे भाई बहन नंदी के कान में अपनी मुराद बोल आये। 

इसके बाद एक ढाबे में रुक कर हमने खाना खाया और बढ़ चले नत्था टॉप की ओर जो यहाँ की सबसे ऊँची चोटी है। इसके लिए हमें चढ़ाई करनी थी। रास्ता मुश्किल नहीं था पर हम भाई-बहनों को डर था कि माँ-पापा मना न कर दें पर उन्होंने हिम्मत दिखाई और हम पाँचो ने एक-दूसरे का हाथ थामा और चढ़ाई शुरू की। आधे घंटे की चढ़ाई के बाद हम सबसे ऊपर पहुँच चुके थे और उससे खुबसूरत नज़ारा हममें से किसी ने नहीं देखा था। हम बादलों के बीच थे। हर तरफ बादलों से घिरे हुए। आस-पास के पहाड़ भी नज़र नहीं आ रहे थे। ऐसा लग रहा था आसमान छू लिया हो। इतना सुकून और शांति थी वहाँ कि मेरे छोटी बहन जो बहुत बोलती है उसने भी चुप रह कर इस खूबसूरती का आनंद लिया। हमने वहाँ कुछ तस्वीरें खीचीं और उसके बाद करीब एक घंटे वहाँ पहाड़ की सबसे ऊँची चोटी पर बैठ कर एक दूसरे के साथ वक़्त बिताया। इतनी ऊँचाई पर मोबाइल नेटवर्क नहीं आता है इसलिए कुछ समय बाद हम लोग नीचे उतर कर ड्राईवर के पास पहुँचे।

श्रेय: आइसबेबी

Photo of परिवार के साथ पटनीटॉप नहीं देखा, तो क्या देखा? by Aastha Raj

ड्राईवर पास के ही ढाबे में हमें चाय पिलाने ले गया और उसके बाद हम कुड पार्क की ओर बढ़े, इस पार्क से ज्यादा यहाँ पहुँचने का रास्ता रोचक है। थोड़ी दूर जाने के बाद हमें वहाँ से घुड़सवारी करके पहाड़ के उस पार जाना था।पहले तो पापा थोड़ा घबराये की पहाड़ की चढ़ाई घोड़े पर कैसे होगी पर जब मैंने बताया की अगर दिक्कत होगी तो पैदल भी जा सकते हैं तो मान गये। हम सब अलग-अलग घोड़े पर सवार हुए, थोड़ी फोटो खिंचवाई और करीब 40 मिनट की घुड़सवारी के बाद कुड पार्क पहुँच गए। पार्क के पास एक नहर था, 6 बजे का वक़्त था तो डूबते सूरज का नज़ारा पार्क की खूबसूरती को और बढ़ा रहा था। पार्क बच्चों और उनके माता-पिता से भरा था, हमने भी एक कोना चुना और बैठ गए। पत्नी टॉप की मशहूर मिठाई पतीशों के साथ हम प्रकृति का आनंद ले रहे थे। सूरज ढलने के बाद हमने होटल जाकर वापस सामान लिया और कटरा की ओर बढ़ गये। परिवार के साथ बिताया जम्मू में वो सबसे खुबसूरत दिन था, थोड़ी शांति, थोड़ा एडवेंचर, मनमोहक वादियों ने उस ट्रिप को यादगार बना दिया था। माँ ने पहली बार घुड़सवारी की थी इसलिए सबको अपनी तस्वीर गर्व से दिखा रहीं थी।

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