जब भी ऐतहासिक जगहों की बात होती है तो लोगों का ध्यान राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हैदराबाद की ओर जाता है। जहाँ मुगलों ने शासन किया और बेहतरीन इमारतें बनवाईं। जिनको देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इसके अलावा गुजरात और कर्नाटक का भी रूख कर लिया जाता है लेकिन इन सबमें एक जगह को अक्सर नजरंदाज कर दिया जाता है। वो जगह जिसके बिना इस देश का इतिहास अधूरा है। जहाँ के राजाओं की वीरता और बलिदान की कहानी यहाँ की दीवारें कहती हैं, पंजाब। पंजाब आज किसान, सरसों का साग और लस्सी के लिए जाना जाता है लेकिन इन सबके इतर यहाँ किले, महल, मकबरे, मस्जिद और पुराने कस्बे हैं। पंजाब का एक ऐसा ही पुराना शहर है, पटियाला।
जिस तरह से पंजाब अपने लजीज खाने के लिए फेमस है उसी तरह पटियाला शराब के लिए जाना जाता है। वैसे भी पटियाला पैग के बारे में तो हर किसी ने सुना होगा। इस शहर की स्थापना बाबा आला सिंह ने की थी। पटियाला नाम पति और आला से बना है। पति एक उर्दू शब्द है और आला, बाबा आला सिंह के नाम में आता है। अंग्रेजी में इसे पटियाला पढ़ा जाता था इसलिए इसे पटियाला कहा जाने लगा। पटियाला देश की जानी-मानी रियासत हुआ करती थी। कई बड़े राजाओं ने इस पर शासन किया। इन सबमें भूपेन्द्र सिंह सबसे विवादित राजा रहे। जो पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दादा थे। पटियाला में ही देश का पहला डिग्री काॅलेज मोहिंदर काॅलेज शुरू हुआ था। पटियाला रियासत के इतिहास को समझने और देखने के लिए यहाँ की गलियों में घूमना पड़ेगा।
अगर आप सिख आर्किटेक्चर को देखना चाहते हैं तो आपको पटियाला के किला मुबारक परिसर आना चाहिए। 10 एकड़ में देखने के लिए यहाँ कई इमारतें हैं जो आपका मन मोह लेंगी। ये किला महाराजा आला सिंह ने 1764 में बनवाया था। इस किले में मुख्य महल, दरबार, 10 बड़े बरामदे, किला अंद्रूं और मंदिर भी हैं। इस किले को देखकर उस समय के सिख आर्किटेक्चर के बारे में समझ आता है। सबसे अच्छा और देखने लायक अंद्रूं किला है इसके मुख्य किला भी खूबसूरत है। इस महल में हर कमरे का अलग नाम और पहचान है। पटियाला आओ तो किला मुबारक को जरूर देखें।
2- बाबा आला का मकबरा
जो लोग पटियाला आता है उनमें से ज्यादातर लोग उस जगह पर ही जाना भूल जाते हैं जिन्होंने इस शहर को बसाया था। बाबा आला सिंह का मकबरा पटियाला में है लेकिन इंटरनेट पर इसके बारे में आपको नहीं मिलेगा। इसी वजह से इस जगह पर लोगों की भीड़ नहीं दिखाई देगी। ये मकबरा देखने में बेहद खबूसूरत है। इस इमारत में बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ और दरवाजे हैं। बाबा आला सिंह का मकबरा मारबल और लाल पत्थरों से बना हुआ है। बाबा अली शाह को आज भले ही लोग न जानते हो लेकिन पटियाला मराठाओं से सुरक्षित रखने वाले यही राजा थे। अगर आप पटियाला जाते हैं तो इस कम भीड़ वाली जगह पर जरूर जाएँ।
3- शीश महल
इस महल को 1847 में महाराजा नरेन्द्र सिंह ने बनवाया था। ये महल रंग महल का ही एक हिस्सा है। शीश महल के अंदर दीवार बहुत सारे चित्र उकेरे हुए हैं जो देखने लायक हैं। राजस्थानी, पहाड़ी और अवधि संस्कृति के हैं। इसी महल में एक जगह भगवान विष्णु के अवतारों को दीवारों पर देख सकते हैं। दीवारों पर बने कुछ चित्र इसके अलावा महल के काँच पर रंगों से सजावट की गई है। जो इस महल को और खूबसूरत बनाते हैं। इन सबके अलावा यहां पर एक लक्षमण झूला नाम का एक पुल है और एक म्यूजियम है। जिसको आपको जरूर देखना चाहिए।
4- मोती बाग पैलेस
पटियाला में आज जिस इमारत को राष्ट्रीय खेल संस्थान के नाम से जाना जाता है। वो कभी मोती बाग पैलेस हुआ करता था। इस महल में 16 बड़े कमरे हैं, राजस्थानी शैली के बेहद खूबसूरत झरोखे और छतरी है। इसके अलावा इस महल में एक बगीचा और बरामदा भी है। इस महल को इस महल को 1840 में महाराजा नरेन्द्र सिंह ने बनवाना शुरू किया। मोती बाग पैलेस 1920 में जाकर पूरा हुआ और उस समय पटियाला के राजा थे भूपेन्द्र सिंह। पटियाला आएँ तो इस खूबसूरत पैलेस को भी देखा जा सकता है।
5- बहादुरगढ़ किला
ये किला शहर का सबसे पुराना किला है। इस किले को 1658 में नवाब सैफ खान ने बनवाया था। बाद में ये किला जर्जर और बदहाली की स्थिति में आ गया। एक बार सिखों के नौंवे गुरू तेग बहादुर अपनी यात्रा के दौरान यहीं रूके। तब राजा करम सिंह ने इस महल का दोबारा से बनवाया। उसके बाद ही इस किले का नाम सिखों के नौवें गुरू के नाम पर बहादुरगढ़ किला हो गया। 21 वर्ग किमी. में बना ये किला गोल आकार का है। मजबूत दीवारों और छज्जों वाले ये किला आज भी देखले लायक है।
6- गुरूद्वारा दुख निवारण साहिब
पंजाब के सबसे फेमस गुरूद्वारे में से एक है दुख निवारण साहिब गुरूद्वारा। पहले ये गुरूद्वारा लेथल गाँव में आता था, उसी गाँव के लोगों ने गुरूद्वारे के लिए जमीन दान थी। अब ये जगह और गुरूद्वारा पटियाला में आते हैं। कहा जाता है कि सच्चे मन से जो भी इस गुरूद्वारे के तालाब में डुबकी लगाता है उसके सभी दुख खत्म हो जाते हैं। सफेद और काले मारबल के पत्थरों से बना से ये गुरूद्वारा देखने में भी खूबसूरत है। आप अपनी पटियाला यात्रा में इस जगह को भी देख सकते हैं। इन सबके अलावा काली मंदिर, बारदारी गाॅर्डन और बिर मोती बाग वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी भी आप देख सकते हैं।
पटियाला में ‘पैग’ क्यों?
जब भी पटियाला का जिक्र आता है तो पटियाला पैग की जरूर बात होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं इसकी वजह क्या है? पटियाला के महाराजा भूपिन्द्र सिंह को क्रिकेट से बहुत प्यार था। एक बार ब्रिटिशों और महाराजा की टीम के बीच मैच होना था। महाराजा इस बात परेशान थे कि टीम पटियाला ब्रिटिश टीम को हरा नहीं पाएंगे। इसके लिए उन्हाेंने एक तरकीब सुझाई। उन्होंने मैच एक रात पहले दोनों टीमों को डिनर पर बुलाया। उन्होंने अपने नौकर को कहा कि ब्रिटिश खिलाड़ियों को व्हिस्की के ज्यादा पैग पिलाएँ। ऐसा ही कुछ हुआ और अगले दिन ब्रिटिश उन पैग की वजह से अच्छे से नहीं खेल पाए और टीम पटियाला जीत गई। एक ब्रिटिश अधिकारी को जब ये पता चला तो उन्होंने महाराजा से शिकायत की। इस पर महराजा हँसते हुए बोले, ये पटियाला पैग है, ज्यादा ही रहता है। तब से ये बात हर जगह मशहूर हो गई।
कहाँ ठहरें?
पटियाला कभी भी देखा जाने वाला शहर है लेकिन मेरी मानें तो गर्मियों में इस शहर को देखने में मजा नहीं आएगा। पटियाला पंजाब के बड़े शहरों में से एक है। इसलिए यहाँ ठहरने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आपको यहाँ हर प्रकार के होटल मिल जाएँगे।
कैसे पहुँचे?
पटियाला देश के बड़े शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप यहाँ सड़क, रेल और वायु मार्ग से पहुँच सकते हैं। अगर आप फ्लाइट से जाने की सोच रहे हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पटियाला ही है। जो शहर से करीब 55 किमी. की दूरी पर है। अगर आप ट्रेन से आने की सोच रहे हैं तो पटियाला जंक्शन शहर में ही है। इसके अलावा सड़क मार्ग से भी पटियाला पहुँचा जा सकता है। आप इसके लिए खुद की गाड़ी ले सकते हैं या बस से आ सकते हैं।
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