गुजरात की गढ़वाली पूर्व राजधानी, पाटन एक ऐसा शहर है जिसकी स्थापना 745 ईस्वी में की गई थी। तत्कालीन राजा वनराज चावड़ा द्वारा निर्मित यह पुरातन ऐतिहासिक शहर अपनी उत्कृष्ट ऐतिहासिक सम्पदाओं और प्राकृतिक भव्यता के लिए प्रसिद्ध है।
अहमदाबाद के नज़दीक स्थित ये शहर घूमने के लिए बेहतरीन स्थलों में से एक है। अहमदाबाद में या इस शहर के आसपास रहने वाले लोग पाटन घूमने आ सकते हैं। अपनी उत्कृष्ट प्राचीन वास्तुकला और प्राचीन सौंदर्य के लिए मशहूर पाटन में कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल मौतूद हैं। ये स्थल इतिहास और एडवेंचर प्रेमी दोनों के लिए ही महत्वपूर्ण हैं।
पाटन कैसे पहुंचे
वायु मार्ग द्वारा: पाटन पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा अहमदाबाद में स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डा है, जो इस ऐतिहासिक शहर से लगभग 120 किमी दूर है।
रेल मार्ग द्वारा: पाटन रेलवे स्टेशन शहर के केंद्र में स्थित है और देश के विभिन्न प्रमुख मार्गों से ट्रेनों द्वारा जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग द्वारा: पाटन नियमित बसों के माध्यम से भारत के अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। शहर के केंद्र में स्थित इसके बस टर्मिनल पाटन बस जंक्शन से नियमित बसें उपलब्ध हैं।
पाटन आने का सही समय
पाटन की यात्रा का सबसे अच्छा समय सितंबर से फरवरी में सर्दियों के महीनों में रहता है। इस समय यहां का तापमान औसतन 15 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।
सहस्त्रलिंग तलाव
सहस्त्रलिंग तलाव शहर के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है। यह सरस्वती नदी के तट पर कृत्रिम रूप से निर्मित एक टैंक है। गुजरात के महान शासक सिद्धराज जयसिंह द्वारा निर्मित यह पानी की टंकी अब सूखी है और इसके बारे में कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। बताया जाता है कि तलाव जैस्मीन ओडेन नामक एक महिला द्वारा शापित है जिसने सिद्धराज जयसिंह से शादी करने से इनकार कर दिया था।
इस पंचकोणीय पानी की टंकी में लगभग 4,206,500 क्यूबिक मीटर पानी और लगभग 17 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पानी हो सकता है। ये टैंक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है एवं इस स्थाल पर भगवान शिव को समर्पित असंख्य मंदिरों के खंडहर मौजूद हैं।
रानी की वाव
पाटन में रानी के वाव को देश की सबसे सुंदर और जटिल नक्काशीदार बावड़ी में से एक माना जाता है। ये बावड़ी शिल्प कौशल की प्रतिभा का एक अद्भुत नमूना है एवं इसे भूमिगत वास्तुकला के एक महान उदाहरण के रूप में जाना जाता है। सोलंकी राजवंश की रानी उदयमती द्वारा निर्मित इस बावड़ी की दीवारें भगवान गणेश और अन्य हिंदू देवताओं की जटिल विस्तृत मूर्तियों से सजी हुई हैं। ये बावड़ी वास्तुकला से सजी की एक उत्कृष्ट कृति है और इसकी दीवारों पर शानदार नक्काशी की गई है।
जैन मंदिर
पाटन शहर में सौ से अधिक जैन मंदिर हैं। सोलंकी युग के इन मंदिरों में से एक सबसे महत्वपूर्ण पंचसारा पार्श्वनाथ जैन दरेसर है, जो भव्यता और बेहतरीन शिल्प कौशल का प्रतीक है। इस पूरे मंदिर को पत्थर से बनाया गया है और इसका प्राचीन सफेद संगमरमर का फर्श इसकी भव्यता को और अधिक बढ़ा देता है।
खान सरोवर
1886 से 1890 के आसपास खान सरोवर को गुजरात के तत्कालीन गवर्नर खान मिर्ज़ा अज़ीज़ कोका द्वारा कृत्रिम रूप से बनवाया गया था। कई इमारतों और संरचनाओं के खंडहरों के पत्थरों से निर्मित यह पानी की टंकी एक विशाल क्षेत्र में फैली हुई है और इसकी ऊंचाई 1273 फीट से लेकर 1228 फीट तक है। टैंक के चारों तरफ पत्थर की सीढियां हैं और असाधारण चिनाई से खान सरोवर को अलग किया गया है।
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