क्या सच में भगवान अपने भक्तों की मदद करने आते है । Part - 2 

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Photo of क्या सच में भगवान अपने भक्तों की मदद करने आते है । Part - 2 by Pankaj Sharma

Char Dham yatra 2018 ( Part - 2 )

क्या सच में भगवान अपने भक्तों की मदद करने आते है ।

मंदिर की आरती की थाली में 10 रु रखने के बाद जैसे ही मैं थोड़ा साइड में हुआ मैने देखा उस लड़के ने जल्दी से वो 10रु अपनी जेब मे रख लिए ये देख मुझे थोड़ा अजीब लगा कि इतनी भी जल्दी क्या ,दूसरा मन मे विचार आया कि ये लड़का यही आस पास का होगा और मंदिर के घंटे की आवाज़ सुन प्रसाद के चक्कर मे आ गया होगा और 10 रु इसने शरारत में उठा लिए की मंदिर का पुजारी है नही तो ले चलो भगवान का चढ़ावा ,अब मेरे मन मे भी थोड़ी शरारत आयी और मैने बच्चे से पूछ लिया ये आपका मंदिर है बच्चे ने बिना देरी करें फट से जवाब दिया . हाँ , तो मैने भी अगला सवाल कर दिया पुजारी नही दिख रहे तो जवाब आया वो है नही हम ही मंदिर की देख भाल करते है । अब मेरा अगला सवाल , हम कौन ? आपके पापा.. ,जवाब आया नही मेरी माँ ,दादी और मै . जवाब सुन मुझे लगा कुछ छूट रहा है तो मैने फिर पूछा पापा नही करते मंदिर की देख भाल तो जवाब आया वो पिछले साल मर गए । ये सुन मुझे थोड़ा अजीब और बुरा लगा पर खैर सवाल जवाब का शिलशिला शुरू हो गया था तो उस लड़के ने भी हमसे 2 - 3 सवाल कर डाले ,की कहॉ से आये हो, कहॉ जाओगे , क्या काम करते हो ,कहा रुके हो । इन सब छोटे मोटे सवाल जवाब और परिचय के बाद मैने पूछा मम्मी कहाँ है तो जवाब आया वो बीमार है बुख़ार हो रहा है 3 - 4 दिन से , ये बात सुन मेरे मन से अपने आप ही विचार आ गया । चलो , तुमारी मम्मी को देखते है मेरे ये बोलने पर लड़का चुपचाप खड़ा रहा कोई प्रतिक्रिया नही दी ये देख मुझे लगा जैसे ये लड़का कुछ छुपा रहा है तो मैने फिर जोर दे के बोला चलो तुमारे घर चलते है हमारे साथ एक डॉ भी है वो तुमारी मां को अच्छी दवा लिख देंगे। ये सुन लड़का जैसे खुश हो गया और हमें अपने साथ मंदिर के बगल में लगे अपने घर मे ले गया । घर के अंदर का नजारा बता रहा था घर की आर्थिक हालात काफी बेकार है एक बूढ़ी औरत जमीन पर बैठी थी जो इस लड़के की दादी थी दूसरी औरत जो खाट पर लेटी थी वो इसकी माँ थी जो देखने से ही लग रहा था बीमार है । बूढ़ी दादी ने हमें देखा और लड़के से सवाल किया ये कौन है लड़का कुछ बोलता उससे पहले ही हम दोनों बोल दिए कि हम मंदिर आये थे दर्शन के लिए तो सोचा मंदिर के मालिकों से भी मिल ले ,ये सुन बूढ़ी औरत हस्ते हुए बोली मालिक तो अंदर मंदिर में बैठा है हम तो उसके सेवक है फिर लड़के की माँ की तरफ इशारा करते हुए मैने पूछा इनको क्या हुआ तो लड़के की दादी ने जवाब दिया 5 दिन से बुखार है और यहाँ कोई अच्छा डॉ भी नही है जोशीमठ ले जाना होगा , तो मैने बोला ले जाओ ज्यादा तबियत खराब होने से पहले , तो दादी फिर बोली देखो मालिक कब जाने की बोले । इसके बाद मैने लड़के के पिता के बारे में पूछा तो मालूम लगा पिछले साल पहाड़ी से पैर फिसल जाने से गिर गए और गिरने से सर पर चोट लग गयी सर फट गया समय पर इलाज़ मिल नही पाया तो मौत हो गयी । अब घर मे हम तीन ही है दादी ,माँ और ये लड़का जो सरकारी स्कूल में पड़ता है मैने एक बार फिर अपने शहरी लहज़े में दुबारा बोला कि किसी अच्छे डॉ या बड़े सरकारी हस्पताल में इनको ले जाओ , और इस बार जवाव आया लड़के की माँ की तरफ से जो खाट पर सो रही थी कि बेटा पैसे नही है जोशीमठ जाने के और यहाँ ( पांडुकेश्वर ) में कोई ठीक डॉ है नही , सरकारी डिस्पेंसरी में दिखा दिया है पर कोई फायदा नही हो रहा ।

जोशीमठ जाने के पैसे नही है ये सुन मुझे थोड़ा अजीब लगा और फिर मैने पूछ ही लिया घर का खर्चा कैसे चलता है जब लड़के के पिता नही है .....

शेष अगले अंक में ......