मैं हमेशा आधुनिक और मशीनी दुनिया से दूर बसी जगहों की तलाश में रहता हूँ। ऐसी जगहें आपको महानगरों की बनावटी तस्वीरों और वही रूटीन ज़िंदगी से अलग होने का अवसर देती हैं। जब मुझे ऐसी जगहों का पता चलता है तो मैं उसके बारे में लिखने से हिचकता हूँ। मुझे डर रहता है कि कहीं पाठक या टूरिस्ट इसे दूसरे लद्दाख या स्पीति में बदल देंगे। लेकिन, इस बार मैं चांस ले रहा हूँ और आप सभी के साथ ऐसी जगह के बारे में शेयर करने जा रहा हूँ जो मैंने कुछ वक्त पहले ही खोज निकाला है - दारमा घाटी, उत्तराखंड।
उत्तराखंड के पूर्वी भाग में स्थित दारमा घाटी तिब्बत और नेपाल के साथ अपनी सीमा शेयर करती है। घाटी में 5000 की जनसंख्या है जो कि लगभग 12 आदिवासी गाँव में बसी हुई है। घाटी को वैसा फेम नहीं मिला है जैसा दूसरे हिमालयी घाटियों को मिलता आया है। बहुत कम टूरिस्ट इधर आते हैं जिससे कि यह अछूता और अपने मूल रूप में आज भी कायम है। ग्लेशियरों द्वारा संरक्षित और दारमा नदी द्वारा समृद्ध यह घाटी 19वीं सदी की छटाओं को महसूस कराती है। हरे-भरे घास के मैदानों, रंगीन ऑर्किडों के बीच खुशबूदार पहाड़ियाँ एक अलग ही युग में रहने का अहसास कराती हैं।
यहाँ क्या देखें और क्या करें
दारमा घाटी जीवन की सरलता हो सहेजने के लिए बेहतरीन जगह है। यहाँ की सबसे अच्छी बात प्राकृतिक सुंदरता को देखना और स्थानीय लोगों के जीवन का आनंद लेना ही है। फिर भी वे लोग जो ज़्यादा की इच्छा रखते हैं, इस जगह को एक्सस्प्लोर कर सकते हैं।
पंचचूली चोटियाँ और ग्लेशियर दारमा घाटी की पहचान हैं। लगभग सभी आगंतुक जो कभी भी घाटी में आते हैं, वे बर्फ में पांच शंकु आकर की चोटियों के लुभावने दृश्य को देखे बिना नहीं रहते हैं। पाँच चोटियाँ, 6,334 मीटर (20,781 फीट) से लेकर 6,904 मीटर (22,651 फीट) तक ऊँची हैं, उनसे जुड़ी एक अहम कहानी भी है। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने स्वर्ग जाने से पहले अपना आखिरी खाना यहीं पकाया था। आप इसको लेकर एक ट्रेक पर उनके नक्शेकदम पर चल सकते हैं जो आपको ग्लेशियर, फूलों के मैदान, ग्रामीण वातावरण और दूरदराज के इलाकों में ले जाएगा और इसमें कई दिन लग सकते हैं।
यूँ तो पूरी दुनिया में बर्फीले पहाड़ मौजूद हैं। लेकिन भारत में, पहाड़ों का एक आध्यात्मिक महत्व है क्योंकि उन्हें देवताओं का निवास माना जाता है। कई प्रमुख देवी-देवताओं के पवित्र स्थल हिमालय के पहाड़ों पर स्थित हैं जो कि सबको आकर्षित करते हैं। प्राचीन शास्त्रों की बात करें तो उन पर ओम छाप के साथ आठ पहाड़ों का उल्लेख है। हमने अब तक उनमें से केवल एक की खोज की है - आदि कैलाश। कई बार यहाँ की चढ़ाई के लिए प्रयास हुए लेकिन हर बार इसे असफल माना गया। आप कई दुर्लभ चोटियों की झलक पाने के लिए आदि कैलाश के आसपास ट्रेक के लिए निकल सकते हैं। इनमें आपको कई दिन लग सकते हैं। पार्वती झील, शिव मंदिर और नबीडांग के दर्शनीय गाँव के साथ-साथ दानिया इस ट्रेक के दूसरे आकर्षण हैं।
स्थानीय लोगों के साथ होमस्टे
कई दिनों के ट्रेक पर अगर आप नहीं जा सकते तो कोई बात नहीं! छुट्टियाँ बिताने के लिए कई विकल्प यहाँ मौजूद हैं! राज्य सरकार के उपक्रम कुमाऊँ मंडल विकास निगम (KMVN) ने हाल ही में यहाँ एक पहल शुरू की है। लगभग 125 परिवार इस पहल के तहत दारमा घाटी में घर उपलब्ध करा रहे हैं। KMVN ने परिवारों को मानक आवास और स्वच्छता सुविधाएँ देने के लिए ट्रेनिंग दी है। डंटू, डुग्टू, बालिंग और नागलिंग कुछ ऐसे गाँव हैं, जहाँ पर ऐसे विकल्प मौजूद हैं। ये होमस्टे आपको इस गुमनाम घाटी की संस्कृति को अनुभव करने और समझने का एक अनूठा मौका देती हैं। इन गाँवों की सरल और शांत जीवन शैली हमारे व्यस्त और थकाऊ शहरी जीवन से उबरने का मौक़ा देती है। इसलिए आराम करें और अपने आप को ताजी हवा, शुद्ध भोजन के साथ फिर से जीवंत करें, निश्चिन्त होकर जंगल की सैर करें और स्थानीय लोगों की मुस्कुराहट के राज़ का पता लगाएँ!
दारमा घाटी कब जाएं
दरमा घाटी में यात्रा और ट्रेक करने का सबसे अच्छा समय बीच मार्च से जून के मध्य और बीच सितंबर से लेकर अक्टूबर के अंत तक है। इन महीनों के दौरान औसत तापमान 27 डिग्री सेल्सियस होता है, जिसमें बहुत कम बारिश होती है।
दारमा घाटी कैसे पहुँचें
बस द्वारा: धारचूला, दरमा घाटी का निकटतम शहर है, जो सड़कों के माध्यम से उत्तराखंड के बड़े क्षेत्रों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। धारचूला से आप दरमा घाटी जाने के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।
रेल द्वारा: धारचूला से 271 कि.मी. दूर काठगोदाम रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है। वहाँ से आप टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या धारचूला बस से पहुँच सकते हैं।
फ्लाइट द्वारा: दिल्ली से उड़ान के लिए निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है, जो धारचूला से लगभग 305 कि.मी. दूर स्थित है।
कहाँ ठहरें
दांटू, दुगटू, बालिंग और नागलिंग के गाँवों में होमस्टे की सुविधा मौजूद हैं। या आप जंगल को ठीक से महसूस करने के लिए अपने टेंट भी लगा सकते हैं।
क्या आप दारमा घाटी या पंचचूली ट्रेक पर गए हैं? अपनी मजे़दार यात्राओं का अनुभव यहाँ शेयर करें।
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